शिर्डी के साँई बाबा ग्रुप (रजि.)
शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....
"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम
मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे
कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे
मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे
दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे
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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।
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Saturday, 25 February 2012
Friday, 24 February 2012
Thursday, 23 February 2012
श्री साई सच्चरित्र - अध्याय 47
ॐ सांई राम
आप सभी को शिर्डी के साईं बाबा ग्रुप की ओर साईं-वार की हार्दिक शुभ कामनाएं , हम
प्रत्येक साईं-वार के दिन आप के समक्ष बाबा जी की जीवनी पर आधारित श्री
साईं सच्चित्र का एक अध्याय प्रस्तुत करने के लिए श्री साईं जी से अनुमति
चाहते है , हमें आशा है की हमारा यह कदम घर घर तक श्री साईं सच्चित्र का सन्देश पंहुचा कर हमें सुख और शान्ति का अनुभव करवाएगा, किसी भी प्रकार की त्रुटी के लिए हम सर्वप्रथम श्री साईं चरणों में क्षमा याचना करते है...
श्री साई सच्चरित्र - अध्याय 47 - पुनर्जन्म
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वीरभद्रप्पा और चेनबसाप्पा (सर्प व मेंढ़क) की वार्ता ।
गत अध्याय में बाबा द्घारा बताई गई
दो बकरों के पूर्व जन्मों की वार्ता थी । इस अध्याय मे कुछ और भी पूर्व
जन्मों की स्मृतियों का वर्णन किया जाता है । प्रस्तुत कथा वीरभद्रप्पा और
चेनवसाप्पा के सम्बन्ध में है।
Wednesday, 22 February 2012
Tuesday, 21 February 2012
Monday, 20 February 2012
महाशिवरात्रि
ॐ नमः शिवाय
महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है।
फाल्गुन
कृष्ण चतुर्दशी को शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि
के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि भगवान् शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के
रूप में अवतरण हुआ था। प्रलय की वेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव
तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते
हैं। इसीलिए इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि कहा गया। तीनों भुवनों की
अपार सुंदरी तथा शीलवती गौरां को अर्धांगिनी बनाने वाले शिव प्रेतों व
पिशाचों से घिरे रहते हैं। उनका रूप बड़ा अजीब है। शरीर पर मसानों की भस्म,
गले में सर्पों का हार, कंठ में विष, जटाओं में जगत-तारिणी पावन गंगा तथा
माथे में प्रलयंकर ज्वाला है। बैल को वाहन के रूप में स्वीकार करने वाले
शिव अमंगल रूप होने पर भी भक्तों का मंगल करते हैं और श्री-संपत्ति प्रदान
करते हैं।
Sunday, 19 February 2012
MAHA SHIV RATRI FESTIVAL ON 20 FEBRUARY, 2012
ॐ सांई राम
Devo Ke Dev, Har Har Mahadev
Maha Shivaratri or Shivratri Utsav is a famous Hindu festival in honor
of Lord
Shiva, one of the Trimurtis in Hinduism. Sivaratri, which literally
means “Great Night of Shiva” or "Night of Siva”, is observed on the
13th night/14th day in the Krishna Paksha on the month of Phalgun
(February – March) in the Hindu Calendar. Mahashivaratri is celebrated
on the night before Amavasya, the night before and day of the new moon.
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