ॐ सांई राम
आप सभी को श्री दूर्गा नवमी के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभ कामनायें
This is also a kind of SEWA.
"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम
मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे
कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे
मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे
दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे
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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।
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ॐ सांई राम
आप सभी को श्री दूर्गा नवमी के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभ कामनायें
यह वचन करके आपजी कुश के आसन पर चादर तान कर लेट गए और शरीर त्यागकर स्वर्ग सिधार गए|
कुल आयु व गुरु गद्दी का समय (Shri Guru Har Krishan Ji Total Age and Ascension to Heaven)
श्री गुरु हरि कृष्ण जी 5 साल 2 महीने की उम्र में गुरु गद्दी पर बैठ कर 2 साल 5 महीने गुरुत्व करके चेत्र सुदी चौदस 1721 विक्रमी को ज्योति ज्योत समां गए|
ॐ साँई राम जी
कीरतपुर से दिल्ली को जाते हुए गुरु जी अम्बाले के पास पंजोखरे गाँव में ठहरे| पंडित जो उसी गाँव के रहने वाले थे आपसे कहने लगे कि आप छोटी उम्र में ही ईश्वर अवतार और गुरु कहलाते हो|
अगर आपमें शक्ति है तो मुझे आप गीता के अर्थ करके दिखाओ| पंडित की ऐसी बात सुनकर गुरु जी ने कहा, पंडित जी! अगर अपने गीता के अर्थ सुनने हैं तो अपने गाँव में से किसी आदमी को लेकर आओ, हम उससे ही गीता के अर्थ आपको सुनवा देंगे|
गुरु जी की यह बात सुनकर पंडित जी ने एक अनपढ़ झीवर को बुलाया| गुरु जी ने उस झीवर को हाथ मुँह धुलवा कर एक आसन पर बिठा दिया|गुरु जी ने अपने हाथ की छड़ी उसके सिर पर रख कर कहा कि "पंडित जी को गीता के अर्थ करके सुनाओ|" गुरु जी की कृपा से उस झीवर ने गीता पड़कर शास्त्र अनुसार अर्थ करके पंडित को सुनाए|
गुरु जी के ऐसे कौतक को देखकर पंडित जी दंग रह गए| उनकी ऐसी प्रत्यक्ष शक्ति को देखकर पंडित ने गुरु जी को प्रणाम किया और क्षमा माँगी| अब इस स्थान पर एक सुन्दर गुरुद्वारा बना हुआ है|
ॐ सांई राम
माँ दुर्गा जी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है| इनका वर्ण पूर्णत: गौर
है | इनकी गौरता की उपमा शंख, चक्र और कुंद के फूल से की गई है | इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है- ' अष्टवर्षा भवेद गौरी ' | इनके वस्त्र एवं समस्त आभूषण आदि भी श्वेत है | इनकी चार भुजाएं है | इनका वाहन वृषभ है | इनके ऊपर के दाहिना हाथ अभय-मुद्रा में तथा नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है | ऊपर वाले बायें हाथ में डमरू और नीचे वाले बायें हाथ में वर मुद्रा है | इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है | अपने पार्वती रूप में जब इन्होने शिव जी को पति रूप में पाने के लिए तपस्या की थी तो इनका रंग काला पड़ गया था | इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान् शिव ने इनके शरीर को पवित्र गंगा-जल से मल कर धोया तब इनका शरीर बिजली की चमक के सामान अत्यंत क्रन्तिमान-गौर हो गया | तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा |
पंजोखरे से चलकर और स्थान-स्थान पर संगतो को दर्शन की खुशी देते हुए गुरु हरि कृष्ण जी दिल्ली पहुँच गए| गुरु जी के रहने का प्रबंध राजा जयसिंह ने अपने बंगले में कराया| उसने गुरु जी के दिल्ली पहुँचने की खबर बादशाह को भी दे दी|
उस समय दिल्ली शहर में हैजे की बीमारी से बहुत लोग बीमार थे| गुरु जी के आने की खबर सुनकर बहुत से रोगी आपके पास आने लगे| आप जिन्हें भी अपने चरणों का चरणामृत देते वह जल्द ही स्वस्थ हो जाता| इस प्रकार आपकी उपमा को सुनकर बहुत रोगी आपके पास आने लगे| आपने एक कुंड बनवाया जिसमे अमृत समय के स्मरण से उठकर अपने चरणों की छोह का पानी भर देते| इस कुंड में आए हुए रोगियों को सेवादार आठों पहर चरणामृत देते| जिससे बहुत से रोगी स्वस्थ हो गए| वह गुरु जी की महिमा गाते और भेंट अर्पण करते|
इस वार्ता को सुनकर श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने अरदास में यह शब्द रखे -
"श्री हरि कृष्ण जी धिआईअै जिस डिठै सभ दुख जाइ||"
ॐ सांई राम
आप सभी को नवरात्रों की हार्दिक बधाई
ॐ साँई राम जी
श्री गुरु हरि कृष्ण जी-साखियाँ-बादशाह औरंगजेब के शहिजादे का गुरु जी से प्रभावित होना
ॐ सांई राम
आप सभी को नवरात्रों की हार्दिक बधाई
राजा जयसिंह की रानी ने जब यह सुना कि बाल गुरु जी शक्तिवान हैं तो उसने आपको भोजन खिलाने के लिए महलों में बुलाया| रानी गुरु जी की शक्ति को परखना चाहती थी| इस मकसद से रानी ने सेविकाओं वाले वस्त्र पहन लिए और उनके बीच में जाकर बैठ गई| अन्तर्यामी गुरु जी जब अपनी माता सहित राजा के महल में गए तो सभी सेविकाओं ने आपको माथा टेका और बैठ गई|
गुरूजी अपने हाथ की छड़ी सबके सिर ऊपर रखते गए और साथ-साथ यह भी कहते रहे कि यह भी रानी नहीं, यह भी रानी नहीं| परन्तु जब असली रानी की बारी आई तो गुरु जी ने उसके सिर पर भी छड़ी रखी और कहने लगे यह ही रानी है| यह सुनकर रानी फूले नहीं समाई और बड़े प्यार से उन्हें गोदी में बिठा लिया| साथ ही साथ श्रदा के साथ उनके चरण पकडे और सिर झुकाया| राजा-रानी ने बड़े प्रेम से उन्हें भोजन खिलाया व जवाहरात की थाली भी उनको भेंट की|
ॐ सांई राम
ॐ साँई राम जी
ॐ साँई राम जी
प्रकाश उत्सव (जन्म की तारीख): किरतपुर में 7 जुलाई, 1656
Parkash Ustav (Birth date): July 7, 1656 at Kiratpur
पिता: गुरु हर राय जी
Father: Guru HarRai Ji
माँ: माता कृष्ण कौर
Mother: Mata Krishen Kaur
सहोदर: राम राय (भाई)
Sibling: Ram Rai (brother)
ज्योति ज्योत (स्वर्ग करने के उदगम): 30 मार्च 1664
Joti Jyot (ascension to heaven): March 30, 1664
श्री हरि कृष्ण जी का जन्म श्री गुरु हरि राय जी के घर माता कृष्ण कौर जी की कोख से सावण वदी 10 बुधवार संवत 1713 विक्रमी को कीरतपुर नगर में हुआ| आपजी के बड़े भाई का नाम श्री राम राय जी था|
ॐ सांई राम
ॐ साँई राम जी
ॐ साँई राम जी
ॐ साँई राम जी
ॐ साँई राम जी