शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Tuesday 17 November 2009

Jai Hanumaan Gyaan Gun Saagar, Jai Kapish Tihu Lok Ujaagar

ॐ सांई राम


हनुमान भक्तों के लिए बजरंग का विश्व में पहला और अनोखा दुर्लभ संग्रहालय लखनऊ में स्थापित किया गया है। रामभक्त से जुड़ी चीजों के अनूठे संग्रह के लिए इसका नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। यह अनोखा काम कर दिखाया है हनुमान भक्त सुनील गोम्बर ने। सुनील गोम्बर ने इस संग्रहालय के लिए देश-विदेश से पिछले कई सालों से हनुमानजी से जुड़ी अनेक चीजें संग्रहित की हैं।

इंदिरानगर स्थित अपने निवास बजरंग निकुंज के प्रथम तल में सुनील गोम्बर ने एक बड़े हॉल में इस संग्रहालय में हनुमानजी के जुड़ी दुर्लभ वस्तुएँ संग्रहित  की हैं। इस संग्रहालय में प्रभु श्रीराम के 48 चिह्नों द्वारा अंकित चरण पादुकाओं के दर्शन मिलेंगे। यह चाँदी में कारीगरी के द्वारा तैयार कराए गए हैं। भगवान राम द्वारा उच्चारित किए गए हनुमानजी के 1000 विभिन्न नाम भी यहाँ पढ़ने को मिल जाएँगे। ये हनुमान सहस्रनाम स्तोत्र से लिए गए हैं तथा संस्कृत से इनका हिन्दी में अनुवाद किया गया है।

संग्रहालय की दीवार में संकटमोचन दिव्य लोक की स्थापना की गई है। इस दिव्यलोक में हनुमान परिवार की दिव्य झाँकी को दर्शाया गया है। हनुमानजी संकट सुवन माने जाते हैं, इसलिए झाँकी सर्वप्रथम शंकरजी, फिर इनके स्वामी श्रीराम, सीताजी, लक्ष्मीजी, इनके पिता केसरीजी एवं माता अंजनीजी, इनके गुरु सूर्यदेव, पवनदेव जिनके ये औरस पुत्र माने जाते हैं आदि को एक ही स्थान पर विराजित किया गया है। मित्र मंडली के सुग्रीव, अंगद, नल, नील एवं इनके सलाहकार जामवंत भी विराजमान हैं। इनके कृपापात्र गोस्वामी तुलसीदासजी भी इस दिव्यलोक में शोभायमान हैं।

हनुमत संग्रहालय में हनुमानजी पर उपलब्ध विभिन्न संगीतमय भजनों की कैसेट व सीडी का संग्रह, हनुमानजी पर विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध देश-विदेश के साहित्य की लगभग 250 पुस्तकें उपलब्ध हैं। साथ ही हनुमानजी पर कार्य कर रहे देश-विदेश की विभिन्न संस्थाओं की सूचना, हनुमानजी का मुकुट, कुंडल, गदा, ध्वज, सिंदूर, मूँज के जनेऊ का संग्रह है।

संग्रहालय में हनुमानजी का प्रचार-प्रसार करने वाली अवतारी विभूतियों के चित्र जैसे नीम करौली बाबा, गुरु समर्थराम दास आदि तथा देश-विदेश की हनुमानजी पर 137 वेबसाइट की सूचना जिज्ञासु भक्तों को सहजता से उपलब्ध है। हनुमत संग्रहालय का औपचारिक उदघाटन 21 नवम्बर 2004 को हुआ था। तब से लेकर आज तक यह संग्रहालय लगातार बढ़ता जा रहा है।

यहाँ हंगरी की कलाकार ह् यूमिल रोजेलिया (राधिकाप्रिया) द्वारा राम चरितमानस के सात काण्डों पर आधारित अद्भुत शैली में बनाई गई सात पेंटिंग भी लगाई गई हैं। यहीं पर सन 1864 में रतलाम के राजा रंजीतसिंह द्वारा जारी किए गए हनुमानजी के सिक्कों का संग्रह रखा गया है। हनुमानजी की लंगूर रूप में एक विलक्षण प्रतिमा का प्रदर्शन भी किया गया है। हनुमानजी की एक प्रतिमा ऐसी है, जिसमें हनुमान ऊँट पर सवार हैं और हाथ में पताका लिए हुए हैं। यहाँ पालने में लेटे बाल हनुमान को निहारना अत्यंत मनोहारी लगता है ।

सुनील गोम्बर ने इस संग्रहालय में राम-हनुमान लेखन बैंक की भी स्थापना की है। प्रकाशन व्यवसाय से जुड़े सुनील गोम्बर जब कक्षा 7 के छात्र थे तभी से हनुमानजी के प्रति आसक्ति हो गई थी, जो धीरे-धीरे अब जुनून में परिवर्तित हो गई है। कुछ वर्ष पूर्व उनकी नाक से अचानक निकलने वाले खून ने उनकी जीवन दृष्टि ही बदल दी। यहीं से वे जीवन का टर्निंग प्वाइंट मानते हैं। इसी समय उन्होंने जय बजरंग चेरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की ।

सुनील गोम्बर ने हनुमानजी से सम्बंधित  4 पुस्तकों को संकलित कर प्रकाशन भी किया है। उनकी सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तक तुलसीदास हनुमान साधना शब्दमणि  है। इसके अलावा उनकी पुस्तक तुलसीदास का हनुमान दर्शन, सुन्दरकाण्ड सुन्दर क्यों, भक्तों का दृष्टिकोण तथा वर्ल्ड ऑफ लार्ड हनुमान भी चर्चा में हैं।

सुनील गोम्बर ने विशेषकर हनुमान भक्तों से विनती की है कि हनुमानजी से संबंधित किसी भी प्रकार की पुस्तक, दुर्लभ सामग्री, दुर्लभ सूचना मिले तो उसे उनके पास भेजें, वे उसे इस संग्रहालय में संजोकर रखेंगे। सुनील गोम्बर हनुमान भक्तों को संग्रहालय में सपरिवार आमंत्रित करते हैं। यह संग्रहालय आम जनता के लिए प्रत्येक रविवार प्रातः 11 बजे से अपराह्न 1 बजे तक खुला रहता है।
संग्रहालय का पता-
बजरंग निकुंज 14/1192, इंदिरा नगर, लखनऊ
फोन-0522-2711172, मो.- 9415011817


कबीरजी कहते है .............

माया तजे तो क्या हुआ
मान तजा ना जाए
मान बड़े मुनिवर गए
मान सबन को खाए

It is very easy to give up efforts and lose weath. It is really very difficult to give up the ego. Very great and analytical people have fallen victim to ego. The ego is killing one and all.

कदे अभिमान न कीजिये
कहा कबीर समझाये
जा सीर अह जो संचारे
पड़े चौरासी जाए

Don't have ego. He who has ego is restless always.

सुखा के संगी स्वार्थी
दुःख में रहते दूर 
कहे कबीर परमारथी
दुःख सुख सदा हुजूर 


The fair weather friends stay away when we face the rough weather. Those who understand the truth are with us at all times.

सबसे लघुता ही भली
लघुता से सब होए
जासा द्वितीय का चन्द्रमा
शशि लहे सब कोए
 It is always better to be humble. Being humble is an effective way of getting results. The Moon of the second day ( after the no moon day) is loved by all.

छमा बडन को उचित है
छोटन को उत्पात
का विष्णो का घटी गया
जो भृग मरी लात

Forgiveness befits the person who is great. One who is petty does something destructive. What is the loss incured by God Vishnu after receiving a blow from Maharishi Bhrugu.

जैसा भोजन कीजिये
वैसा ही मन होए
जैसा पानी पीजिये
तैसी वाणी होए

Your mind is affected by the food that you consume. Your voice is the reflection of the drinks you have.

कबीरा ते नर अंध है
जो गुरु कहते और
हरी रूठे गुरु थोर है
गुरु रूठे नहीं थोर 

Kabir says that the people who do not understand Guru are blind. If God is displeased with us then Guru is there for salvation. If he is displeased there can be no salvation.

कबीरा धीरज के धरे
हाथी मन भर खाए
कुत कुत  बेकार में
सेवन घरे घर जाए

As the elephant has patience it eats till its mind is satisfied. But the impatient dog runs here and there in the hope of food.

घी  के तो दर्शन भले
खाना भला न तेल
दाना तो दुश्मन भला
मुरख का क्या मेल 

It is better if one can just have a chance of looking at the purified butter. It is not good to eat oil. It is good to have a sensible person as our enemy than to befriend a fool.

चन्दन जैसा साधू है
सर्प है सब संसार
ताके अंग लपटा रहे
मन में नहीं विकार

A good person is like a sandal tree. The world is like a snake. The snake resides on the sandal tree but the sandal tree does not become poisonous to any extent.


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Tuesday 10 November 2009

श्री साई बावनी

ॐ सांई राम
श्री साई बावनी

जय ईश्वर जय साई दयाल, तू ही जगत का पालनहार,



दत्त दिगंबर प्रभु अवतार, तेरे बस में सब संसार!
ब्रम्हाच्युत शंकर अवतार, शरनागत का प्राणाधार,
दर्शन देदो प्रभु मेरे, मिटा दो चौरासी फेरे !
कफनी तेरी एक साया, झोली काँधे लटकाया,
नीम तले तुम प्रकट हुए, फकीर बन के तुम आए !
कलयुग में अवतार लिया, पतित पावन तुमने किया,
शिरडी गाँव में वास किया, लोगो को मन लुभा लिया!
चिलम थी शोभा हाथों की, बंसी जैसे मोहन की,
दया भरी थी आंखों में, अमृतधारा बातों में!
धन्य द्वारका वो माई, समां गए जहाँ साई,
जल जाता है पाप वहाँ , बाबा की है धुनी जहाँ!
भुला भटका में अनजान, दो मुझको अपना वरदान,
करुना सिंधु प्रभु मेरे , लाखो बैठे दर पर तेरे!
जीवनदान श्यामा पाया, ज़हर सांप का उतराया!
प्रलयकाल को रोक लिया, भक्तों को भय मुक्त किया,
महामारी को बेनाम किया, शिर्डिपुरी को बचा लिया!
प्रणाम तुमको मेरे इश , चरणों में तेरे मेरा शीश,
मन को आस पुरी करो, भवसागर से पार करो!
भक्त भीमाजी था बीमार, कर बैठा था सौ उपचार,
धन्य साई की पवित्र उदी, मिटा गई उसकी शय व्याधि!
दिखलाया तुने विथल रूप, काकाजी को स्वयं स्वरूप,
दामु को संतान दिया, मन उसका संतुशत किया!
कृपाधिनी अब कृपा करो, दीन्दयालू दया करो,
तन मन धन अर्पण तुमको, दे  दो सदगति प्रभु मुझको!
मेधा तुमको न जाना था, मुस्लिम तुमको माना था,
स्वयं तुम बन के शिवशंकर, बना दिया उसका किंकर!
रोशनाई की चिरागों में, तेल के बदले पानी से,
जिसने देखा आंखों हाल, हाल हुआ उसका बेहाल!
चाँद भाई था उलझन में, घोडे के कारण मन में,
साई ने की ऐसी कृपा , घोडा फिर से वह पा सका!
श्रद्धा सबुरी मन में रखों, साई साई नाम रटो ,
पुरी होगी मन की आस, कर लो साई का नित ध्यान !
जान का खतरा तत्याँ का , दान दिया अपनी आयु का,
ऋण बायजा का चुका दिया, तुमने साई कमाल किया!
पशुपक्षी पर तेरी लगन, प्यार में तुम थे उनके मगन,
सब पर तेरी रहम नज़र , लेते सब की ख़ुद ही ख़बर!
शरण में तेरे जो आया , तुमने उसको अपनाया,
दिए है तुमने ग्यारह वचन, भक्तो के प्रति लेकर आन!
कण-कण में तुम हो भगवान, तेरी लीला शक्ति महान,
कैसे करूँ तेरे गुणगान , बुद्धिहीन मैं हूँ नादान!
दीन्दयालू तुम हो हम सबके तुम हो दाता ,
कृपा करो अब साई मेरे , चरणों में ले ले अब तुम्हारे!
सुबह शाम साई का ध्यान , साई लीला के गुणगान,
दृढ भक्ति से जो गायेगा , परम पद को वह पायेगा!
हर दिन सुबह शाम को, गाए साई बवानी को,
साई देंगे उसका साथ , लेकर हाथ  में हाथ!
अनुभव त्रिपती के यह बोल, शब्द बड़े है यह अनमोल,
यकीन जिसने मान लिया , जीवन उसने सफल किया !
साई शक्ति विराट स्वरूप , मन मोहक साई का रूप,
गौर से देखों तुम भाई, बोलो जय सदगुरु साई!


॥अनंत कोटी ब्रम्हांड नायक राजाधिराज योगीराज परं ब्रम्हं श्री सच्चिदानंद सदगुरू श्री साईनाथ महाराज की जय ॥

॥श्री सच्चिदानन्द सदगुरु  साईनाथ महाराज की जय ॥

॥श्री सदगुरु साईनाथपर्णमस्तु । शुभं भवतु ॥


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Wednesday 4 November 2009

Gurdwara Hemkunt Sahib ji

ॐ सांई राम

 
Wishing you all a very Happy and blessed Guru Nanak Jayanti
Hemkunt Sahib ji with a setting of a glacial lake surrounded by seven peaks, is a popular pilgrimage site for Sikhs. It is located in the Himalayas at an elevation of over 15,200 ft (4,600 m) in the state of Uttarakhand, India, and is accessible only by foot from Govindghat on Rishikesh-Badrinath highway.
 
It is most known for a gurudwara, known as Hemkunt Sahib, associated the Sikh guru, Guru Govind Singh, and is one of the most sacred of Sikh shrines , the lake also has a Lakshman temple built by it .
 
Hemkund is Sanskrit name derived from two meaning 'Hem' - Snow & "Kund", Bowl so by Hindu mythology it is meant Bowl of Snow, where Sh. Guru Gobind Singh ji(tenth guru of Sikhs)and Lord Lakshman did his penance. Hemkund comes by crossing Devprayag, Rudraprayag, Karnaprayag, Nandprayag & Vishnuprayag.
 
Hemkund is inaccessible because of snow from October through April. Each year the first Sikh pilgrims arrive in May and set to work to repair the damage to the path over the harsh winter. This Sikh tradition is called "kar seva" (literally "work service") and forms an important tenet of the Sikh faith of belonging to and contributing to the community
 
The take-off point for Hemkund is the town of Govindghat about 275 km from Rishikesh. The 13 km trek from here is along a reasonably well maintained path to the village of Gobind Dham or Ghangaria. There is another Gurudwara where pilgrims can spend the night. In addition there are a few hotels and a well-maintained campground with tents and mattresses. After this a 5,000 ft (1,500 m) climb in 6 km of stone paved path reaches Hemkund. There are no sleeping arrangements at Hemkund and one is advised to leave by 2PM to make it back to Gobinddham by nightfall
 
On the way to Gurdwara Hemkunt Sahib ji. It is definetly not an easy task to reach here.
 
On the banks of the Hemkund lake stands the Lakshman Temple (also known as Lokpal Temple). It is believed that Lakshman had meditated at this place and the mythical Sanjeevani Buti that cured Lakshman after Meghnad wounded him during a battle is also said to have been found in the vicinity. So, the Lakshman Temple is considered as one of the famous Hindu pilgrimage sites.
 It was there that Sri Guru Gobind Singh ji the tenth and last Guru of the Sikhs is reported to have meditated in his previous life In 'Bachitar Natak' the great Guru relates his story in the following words - "I shall now relate my own story, how God sent me into this world. I was busy performing penance on the hills of 'Hemkund' where seven peaks are prominent. The place is called 'Sapt Shring' where King Pandav had performed Yoga, there I practiced austerity and worshipped the god of death.
 
Associated with the 10th Sikh Guru, Guru Gobind Singh, Hemkund Sahib Gurudwara is a revered Sikh Gurudwara and one of the most visited Sikh holy places. For eight months of the year, the Lokpal Lake, on which, the Hemkund Sahib Gurudwara is situated remains frozen, after which it melts in the monsoons and meadows of wildflowers colour its banks. Encircled by the Saptashringa Peaks (seven snow-clad peaks), which are collectively called Hemkund Parvat, it mirrors its surroundings on the crystal-clear waters. The lake is the source of the Laxman Ganga (also called Hem Ganga) stream that merges with the Pushpawati stream flowing from the Valley of Flowers. From this point on, the river is called Laxman Ganga.
 
As mentioned in the holy Granth Sahib, Guru Gobind Singh, the tenth Guru of the Sikh faith had meditated on the bank of this lake in one of his earlier births. It is widely believed among Sikhs that Guru Gobind Singh introduced the features now universally associated with Sikhism. In 1699, he started the new brotherhood called the Khalsa (meaning the pure). The five K's' associated with Sikhism date from this period: kesh (uncut hair) kangha (comb), kirpan (dagger or short sword), kara (steel bangle), and kachh (shorts).
 
The Hemkund Sahib Gurudwara is a grand star shaped structure of stone and masonry at the edge of the lake whose crystal clear water mirrors the image of the seven peaks that surround it. Streams from Hati Parvat and Sapt Rishi Peaks feed the lake and a small stream called Himganga flows out of it.
 
 
The sacred and holy lake of Hemkund Sahib ji
Discovery of Hemkunt The Sikhs started to search for Hemkunt, the "Tap Asthan" (the place of meditation), in the late nineteenth century, even though the Dasam Granth was recorded in the 1730's. The first Sikh to trace the geographical location of Hemkunt was Pandit Tara Singh Narotam in 1884. He was a nineteenth century Nirmila scholar. His findings were published by the renowned exponent of Sikh history and scholar, Bhai Vir Singh in 1929 in his book called "Sri Kalgidhar Chamatkar". This book was then read by Sohan Singh, who was a retired Granthi (priest) from the Indian army working voluntarily at a gurdwara in Tehri Garhwal. Having read the description of where the Tap Asthan was, he set out to find the physical spot in 1933. Unfortunately that year he had no luck and attempted again his search the following year. His enquiries led him to the place known as Lokpal to the local folk. The description matched that of the place described by the Guru as Sapat Shring and the place where King Pandu was believed to have meditated. Hemkunt had been found. However Sohan Singh's discovery was met with much scepticism, so he approached Bhai Vir Singh (1872-1957) whose work had inspired him to search for the Tap Asthan. Both Sohan Singh and Bhai Vir Singh met, and visited the site, and both were then convinced that the Gurus' description of Tap Asthan matched the site found.
 
Bhai Vir Singh then committed himself to developing Hemkunt Sahib. He gave Sohan Singh some money, believed to be an amount of 2,100 rupees, with which to buy some supplies and materials to start construction of a small gurdwara on the shore of the lake. Sohan Singh publicized the cause and was able to collect further funds. In early 1935 whilst purchasing materials in Mussoorie, Sohan Singh met Modan Singh a Havaldar from the survey department who later accompanied him to the site of construction, then joined forces with him. After obtaining permission from the local people, they hired a contractor and started work on the construction of a ten foot by ten foot stone Gurdwara. Construction of this Gurdwara was completed in 1936. At the same time, they also enlarged the ancient Hindu Mandir that stood on the lake shore as a symbol of respect.

My Heatfelt pranams to all the Gurus..
"Waheguru ji ka Khalsa,
Waheguru ji ki Fateh"

 
Dhan Guru Gobind Singh Ji
Dhan Akal Purakh

 
Guru Gobind Singh Ji writes that the only one worthy to be called a Khalsa, is the one whose heart lotus is filled with the Supreme Light of the Supreme Lord. And the Khalsa is only that one who enjoys ATAM RUS. Guru Gobind Singh Ji emphasises that the one within whom there is God's Perfect Light (POORAN JOT) and God's enjoyable union (ATAM RUS) – then there is no difference between that one and God. No difference between that one and Guru Gobind Singh Ji himself!




 
The only ones who can enjoy this highest level of divine joy – ATAM RUS – are those upon whom the Eternal Being has bestowed his mercy. The ones who have taken support of the Perfect Lord. The ones who have meditated upon the perfect Satguru and followed his instructions. Not being separate from the Perfect Lord, they have become one and the same. The Perfect Lord has come to reside in their heart. And they are totally engrossed in always singing and praising God.
 
Wahiguru ji ka Khalsa Wahiguru ji ki Fateh
 
Jo Bole So Nihaal or Bole So Nihal
 
Message from the teachings of Sai baba
Only by Ardent wish we get Spiritual Bliss Ego and arrogance will lead to the fall of a man.
If we seek refuge in God with confessions, even the most heinous crimes will be burnt to ashes. True confession means repenting for the sins done earlier and resolving not to repeat them. God knows a sincere heart. Those who regret sincerely will be much disturbed with their sins, seek Baba's shelter and beg for the spiritual alms. Then, their sins get destroyed in the divine contemplation and the earnest souls receive the grace of God. The Almighty will illumine them with right thoughts.Some deceptive people claim themselves to be the paragons of moral values and ethical conduct and assume inwardly that they are the ideal men. They think that their crimes are not so big and need not take refuge at the Feet of Baba. Such people who feign honesty and pray to God to destroy the incidental sins will not be graced by Baba and are never allowed near. Since their minds are bloated with ego and pride, they will either be in a mood to receive what Baba wants to give or try to understand and apply Baba's teachings for their good. Thus, Baba did not permit the arrogant inside Dwarakamayi. Only when their minds get purified by sincere repentance, Baba would permit them into His darbar. So, upon our ardent longing to belong to Baba only, we are assured of living in His Presence.
 
Gurur Brahma Gurur Vishnu Gurur Devoh Maheshwar;
Gurur Shakshat Parambramha Tashmai Shri Gurur Veh Namah
May the Merciful Sri Sai Baba always shower His grace on us and our families and remove our problems and anxieties by giving us all - strength , goodluck, success and happiness with peace of mind.
Sai bhakt,
Deepa H
 


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Tuesday 3 November 2009

Sai ki Beti

ॐ सांई राम

 

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Monday 2 November 2009

Dhan Guru Nanak Tu Hi Nirankaar


ॐ सांई राम
 
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धन  धन  श्री  गुरु  नानक  देव  जी दा जनम 1469 तलवंडी दे.
इक गाँव शेखपुरा डिस्ट्रिक्ट विच, लाहौर से 65 कि. मी.  पश्चिम कि ओर हुआ | गुरूजी जनम से ही  एक विचित्र हाव-भावः अत: मोहक व्यक्तित्व के थे जो कि मनुष्य रूप में भगवान् को दर्शाता है. गुरु नानक देव जी ने उनके द्वारा बताये मार्ग पर चलने वालों के लिए एक मजबूत नीवं का निर्माण किया..

गुरु नानक देव जी ने सदा एक ही महत्तवपूर्ण शिक्षा  दी जो कि जरूरतमंद और गरीबो कि मदद के लिए सब का सहयोग था..

गुरु जी  ने ४० सालो में 38,000 मील  पाँव से चल कर अपनी जीवन यात्रा को अंजाम दिया|
 
वो  हरिद्वार, कुरुक्षेत्र, बनारस, हिमालय, बिदार, तिब्बत, बर्मा,
सीलोन, मक्का, बगदाद, इराक के साथ साथ भारतीये खाड़ी  के सभी द्वीपों पर भी गए..

गुरु जी ने सर्व शक्तिमान भगवान् को सदा एक  कहा… गुरु जी ने कभी भी जाती और धर्म पर विश्वास नहीं किया.. गुरूजी ने हमें सिखाया कि हमारा शरीर, रंग और भेद    एक सा बना हुआ है
आओ आज सब मिल कर श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव का जश्न मनाएं…

वाहेगुरु जी का खालसा
वाहेगुरु जी कि फतह 
 
किसी ने पुचा तेरा घर बार कितना  है
 किसी  ने  पुचा  तेरा  परिवार  कितना है 
अज्ज तक किसी ने पूछ्या के   
तेरा गुरु नाल प्यार कितना है…
 
Sourced by Jasmine
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For Donation

For donation of Fund/ Food/ Clothes (New/ Used), for needy people specially leprosy patients' society and for the marriage of orphan girls, as they are totally depended on us.

For Donations, Our bank Details are as follows :

A/c - Title -Shirdi Ke Sai Baba Group

A/c. No - 200003513754 / IFSC - INDB0000036

IndusInd Bank Ltd, N - 10 / 11, Sec - 18, Noida - 201301,

Gautam Budh Nagar, Uttar Pradesh. INDIA.

बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.