सभी आते यहां पे अपने लिये,
कौन करता किसी के लिये,
सब ही कहते है सांई मेरे लिये.
कौन आता है शिरडी मेरे लिये
सभी आते यहां पे अपने लिये..
मेरे दिल में है उनकी चाहत भरी,
जो सब ही के काम आता है,
मुझे उनसे भी शिकवा नहीं है कोई,
मागते है जो खुशिया अपने लिये,
और करता नहीं कुछ भी रब के लिये.
कौन आता है शिरडी मेरे लिये
सभी आते यहां पे अपने लिये..
मैं तो खुद एक फकीर हूँ तुमहे क्या मैं दूँ,
फकीरी की मस्ती में रमता रहूँ,
मैं तो बन्दा हूँ उनका मैं किससे कहूँ,
अल्ल्हा मालिक के कहने से करता रहूं,
भला हो सब ही का ये है चाहत मेरी,
ऐसे भक्तों की झोली मैं भरता रहूं.
कौन आता है शिरडी मेरे लिये
सभी आते यहां पे अपने लिये..
सुन लेता हूँ मैं भी सभी की कही,
भले हो बुरे हो या जो कोई,
सब के रंज़ो सितम भी सहूं,
और मौला से मेरी मैं कहता रहूं,
भर दे झोली तूं उनकी मेरे नाम से,
और गुनाह को तूं उनके ज़रा बक्श दे.
कौन आता है शिरडी मेरे लिये
सभी आते यहां पे अपने लिये..
This is also a kind of SEWA.