This is also a kind of SEWA.
शिर्डी के साँई बाबा ग्रुप (रजि.)
शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....
"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम
मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे
कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे
मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे
दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे
************************************
निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।
************************************

Saturday, 9 April 2016
माँ ब्रम्हचारिणी
This is also a kind of SEWA.
Friday, 8 April 2016
प्रथम माँ शैलपुत्री
Thursday, 7 April 2016
श्री साई सच्चरित्र - अध्याय 30
आप सभी को शिर्डी के साँईं बाबा ग्रुप की ओर से साईं-वार की हार्दिक शुभ कामनाएं
हम प्रत्येक साईं-वार के दिन आप के समक्ष बाबा जी की जीवनी पर आधारित श्री साईं सच्चित्र का एक अध्याय प्रस्तुत करने के लिए श्री साईं जी से अनुमति चाहते है
हमें आशा है की हमारा यह कदम घर घर तक श्री साईं सच्चित्र का सन्देश पंहुचा कर हमें सुख और शान्ति का अनुभव करवाएगा
किसी भी प्रकार की त्रुटी के लिए हम सर्वप्रथम श्री साईं चरणों में क्षमा याचना करते है...
|
Wednesday, 6 April 2016
कृष्ण कन्हैया साईं
साईं है घनश्याम हमारे
अल्लाह साईं मौला साईं
नानक साईं भोला साईं
साईं साईं साईं ......जय जय साईं
साईं है भगवान हमारे
सुख हो या दुःख सब पर रहें नज़र करना
Tuesday, 5 April 2016
"माँ कैसी होती है"
Monday, 4 April 2016
साँई इस मन में बस तू ही तू
हजार महफिले है लाख मेले है,
पर "तू" जहाँ नहीं हम अकेले ही अकेले है !!
एक कदम भी चलता हूँ तन्हा तो
साँई तेरे होने का एहसास होता हैं
और जब तुम साथ में चलते हो तो
मीलों लंबा सफर पल में पार होता हैं
सिर पर हाथ दया का रख दो मेरे साँई
तो एक पल में सौ जीवन जी जाता हूँ
खजाने भरे हुए हो तो भिखारी लगता हूँ
तेरी उदी से ही बादशाहत पा जाता हूँ
महफिल की रंगत कैसी होनी चाहिए
वो तेरे दरबार की शान ब्यान करती हैं
कशिश तुमको देख भर लेने की बाबा
रग रग में इक नया जोश सा भरती हैं
शहंशाह भी आ कर दर पर तेरे झुकते हैं
सूरज-चाँद-तारे भी तेरे इशारे पर चलते हैं
जाने क्यों बेताब रहते हैं हर पल मन में
आँखे बंद कर के भी तेरा दीदार करते हैं
हमारे सपनों में आया कीजिये
Sunday, 3 April 2016
साईं सच्चरित्र सार
जिस तरह कीड़ा कपड़ो को कुतर डालता है,
For Donation
