शिर्डी के साँई बाबा ग्रुप (रजि.)
शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....
"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम
मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे
कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे
मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे
दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे
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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।
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Saturday, 12 July 2014
Friday, 11 July 2014
Thursday, 10 July 2014
श्री साई सच्चरित्र - अध्याय 35
ॐ सांई राम
आप सभी को शिर्डी के साईं बाबा ग्रुप की और से साईं-वार की हार्दिक शुभ कामनाएं
हम प्रत्येक साईं-वार के दिन आप के समक्ष बाबा जी की जीवनी पर आधारित श्री साईं सच्चित्र का एक अध्याय प्रस्तुत करने के लिए श्री साईं जी से अनुमति चाहते है
हमें आशा है की हमारा यह कदम घर घर तक श्री साईं सच्चित्र का सन्देश पंहुचा कर हमें सुख और शान्ति का अनुभव करवाएगा
किसी भी प्रकार की त्रुटी के लिए हम सर्वप्रथम श्री साईं चरणों में क्षमा याचना करते है...
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Wednesday, 9 July 2014
श्री साईं लीलाएं- विट्ठल का दर्शन देना
ॐ सांई राम

कल हमने पढ़ा था.. गौली बुवा की कथा
श्री साईं लीलाएं
श्री साईं लीलाएं
साईं बाबा भगवद् भजन व ईश्वर चिंतन में विशेष रूप से रुचि रखते थे| बाबा सदैव अपने आत्मस्वरूप में मग्न रहा करते थे| बाबा के होठों पर 'अल्लाह मालिक' का उच्चारण सदैव रहता था| बाबा द्वारिकामाई मस्जिद में 'कीर्तन सप्ताह' का भी आयोजन किया करते थे| इसी 'कीर्तन सप्ताह' को 'नाम-सप्ताह' भी कहा जाता था|
Tuesday, 8 July 2014
श्री साईं लीलाएं- गौली बुवा की कथा
ॐ सांई राम

गौली बुवा की कथा
95 वर्षीय वृद्ध गौली बुवा विठोवा के परमभक्त थे| वे पंढरी के बारकरी में थे| गौली बुवा पूरे वर्षभर में 8 महीने वे पंढरपुर रहते थे और 4 महीने यानी आषाढ़ से कार्तिक मास तक गंगा के किनारे रहा करते थे| गौली बुवा का यह नियम था कि वे प्रत्येक वर्ष सवारी लेकर पंढरपुर जाया करते थे और वहां से वापस लौटते समय साईं बाबा के दर्शन करने के लिए शिरडी भी अवश्य जाया करते थे| सवारी के नाम पर उनके पास एक गधा था जिस पर वे अपना सामान रखा करते थे और एक शिष्य भी उनकी सेवा करने के लिये सदैव उनके साथ रहा करता था|
95 वर्षीय वृद्ध गौली बुवा विठोवा के परमभक्त थे| वे पंढरी के बारकरी में थे| गौली बुवा पूरे वर्षभर में 8 महीने वे पंढरपुर रहते थे और 4 महीने यानी आषाढ़ से कार्तिक मास तक गंगा के किनारे रहा करते थे| गौली बुवा का यह नियम था कि वे प्रत्येक वर्ष सवारी लेकर पंढरपुर जाया करते थे और वहां से वापस लौटते समय साईं बाबा के दर्शन करने के लिए शिरडी भी अवश्य जाया करते थे| सवारी के नाम पर उनके पास एक गधा था जिस पर वे अपना सामान रखा करते थे और एक शिष्य भी उनकी सेवा करने के लिये सदैव उनके साथ रहा करता था|
Monday, 7 July 2014
Sunday, 6 July 2014
श्री साईं लीलाएं- रोहिला के प्रति प्रेम
ॐ सांई राम

कल हमने पढ़ा था.. जब बाबा जी जोहर अली के चेले बने
श्री साईं लीलाएं
रोहिला के प्रति प्रेम
श्री साईं लीलाएं
रोहिला के प्रति प्रेम
साईं बाबा का प्रेम सभी लोगों के प्रति एकसमान था| बाबा सभी वर्णों के लोगों से समान रूप से प्रेम करते थे| बाबा की दृष्टि में ऊंच-नीच, जाति-पाति, छोटे-बड़े, अमीर-गरीब का कोई भेदभाव नहीं थक| सभी एकसमान थे| एक बार रोहिला (मुस्लिम) फकीर शिरडी में आया| वहां वह बाबा के साथ द्वारिकामाई मस्जिद में ठहरा था| वह सदैव साईं बाबा के साथ रहता था| रोहिला लम्बे-चौड़े और गठे हुए शरीर का व्यक्ति था| साईं बाबा के प्रति उसके मन में बहुत श्रद्धा-भाव था| वह पवित्र कुरान के कलमें दिन-रात बड़ी ऊंची आवाज में पढ़ता और 'अल्लाहो-अकबर' के नारे लगाया करता था|
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