शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

************************************

निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

************************************

Wednesday, 23 July 2014

श्री साईं लीलाएं - प्यार की रोटी से मन तृप्त हुआ

ॐ सांई राम


 



कल हमने पढ़ा था.. बांद्रा गया भूखा ही रह गया     

श्री साईं लीलाएं


प्यार की रोटी से मन तृप्त हुआ
शिरडी में रहते हुए एक बार बाबा साहब की पत्नी श्रीमती तर्खड दोपहर के समय खाना खाने बैठी थीं| उसी समस दरवाजे पर एक भूखा कुत्ता आकर भौंकने लगा| श्रीमती तर्खड ने अपनी थाली में से एक रोटी उठाकर उस कुत्ते को डाल दी| कुत्ता उस रोटी को बड़े प्रेम से खा गया| उसी समय वहां एक कीचड़ से सना हुआ सूअर आया तो उसे भी उन्होंने रोटी दे दी| यह एक सामान्य घटना थी, जिसे वह भूल गयीं|

शाम को जब श्रीमती तर्खड मस्जिद में बाबा के दर्शन करने गईं तो बाबा उनसे बोले - "माँ ! आज तो तुमने मुझे बड़े प्रेम से खाना खिलाया| खाना खाकर मेरा मन तृप्त हो गया| जिंदगीभर ऐसे ही खाना खिलाती रहना| एक दिन तुम्हें इसका उचित फल मिलेगा| मस्जिद में बैठकर मैं कभी असत्य नहीं कहता| पहले तुम भूखों को भोजन खिलाना, फिर खुद खाना| इस बात का सदा ध्यान रखना| श्रीमती तर्खड बाबा की बात का अर्थ नहीं समझ पायी| उन्होंने बाबा से कहा - "हे देवा ! मैं भला आपको कैसे भोजन करा सकती हूं ? मैं तो स्वयं दूसरों के आधीन हूं और पैसे खर्च करके जो मिल जाता है, वही खा लेती हूं| मैंने आपको उसमें से भोजन कराया, मुझे तो ऐसे याद नहीं|"

बाबा बोले - "माँ ! आज दोपहर में तुमने जिस कुत्ते को और सूअर को रोटी दी थी, वह मेरा ही रूप था| इसी तरह जितने भी अन्य प्राणी हैं, वे सब मेरे ही प्रतिरूप हैं| उनके रूप में मैं सर्वत्र व्याप्त हूं| जो सभी जीवों में मुझे देखता है यानी मेरे दर्शन करता है, वह मुझे अतिप्रिय है| तुम इसी तरह समभाव से मेरी सेवा करती रहो|"

साईं बाबा के इन अमृत वचनों को सुनकर श्रीमती तर्खड अत्यन्त भावविह्वल हो गयीं| उनकी आँखों से अश्रुधारा बहने लगी, गला अवरुद्ध हो गया, अपार हर्ष होने लगा| फिर उन्होंने साईं बाबा के चरणों में सिर झुका दिया|


परसों चर्चा करेंगे..कतलियां कहां हैं?


ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

For Donation

For donation of Fund/ Food/ Clothes (New/ Used), for needy people specially leprosy patients' society and for the marriage of orphan girls, as they are totally depended on us.

For Donations, Our bank Details are as follows :

A/c - Title -Shirdi Ke Sai Baba Group

A/c. No - 200003513754 / IFSC - INDB0000036

IndusInd Bank Ltd, N - 10 / 11, Sec - 18, Noida - 201301,

Gautam Budh Nagar, Uttar Pradesh. INDIA.

बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.