तलवंडी का रहने वाला एक लंगड़ा क्षत्री सिख गुरु जी के भोजन के लिए बड़ी श्रधा के साथ दही लाता था| एक दिन रास्ते में गाँव के चौधरी ने उसकी बैसाखी छीन ली और मजाक उड़ाने लगा कि रोज दुखी होकर अपने गुरु के लिए दही लेकर जाता है,तेरा गुरु तेरी टांग नहीं ठीक कर सकता?सिख ने कहा मेरा गुरु बेपरवाह हें,एक क्षण में सब कुछ ठीक कर सकता है,अगर ना चाहे तो कुछ भी नहीं| उनकी अपनी इच्छा है,वे ठीक भी कर सकते है,और नहीं भी| मैंने खुद उनको कुछ नहीं कहना|अपनी बैसाखी लेकर भगत सिख वहा से निकल पड़ा| वहा गुरु जी जी थाल रखकर प्रेमी कि प्रतीक्षा कर रहें थे| दही लेकर गुरु जी ने भोजन खाया और लेट पहुँचने का कारण भी पूछा| सिख ने सारी बात गुरु जी के आगे रख दी कि किस प्रकार रास्ते में आते हुए चौधरी ने उसकी बैसाखी छीन ली और कहा कि अगर तेरा गुरु समर्थ है तो तेरी टांग क्यों नहीं ठीक कर सकता?इतना सुनते ही गुरु जी उस सिख से कहने लगे कि शाह हुसैन के पास चला जा कि मुझे गुरु जी ने यहाँ आपके पास टांग ठीक कराने के लिए भेजा है|
गुरु जी का ऐसा वचन आते ही गुरुसिख उसी और ही चल दिया जहाँ गुरु जी ने भेजा था| शाह हुसैन जी के पास पहुंचकर सिख ने वहाँ आने का कारण बताया कि आप मेरी लंगडी टांग ठीक कर दे| हुसैन ने एकदम हाथ में मोटा डंडा उठा लिया और गुस्से से कहने लगा कि यह से भाग जा नहीं तो तेरी दूसरी टांग भी तोड़ दूँगा व लंगड़ा बना दूँगा| वह सिख डंडे कि मार से डरता हुआ जल्दी से उठकर भाग पड़ा|भागते-२ उसकी दूसरी टांग भी ठीक हो गई| तब वह पीछे मुड़कर हुसैन जी के चरणों में गिर पड़ा और धन्यवाद करने लगा| हुसैन जी कहने लगे कि करने वाले गुरु जी आप है मगर बदनामी मुझे देते है| मेरी तरफ से गुरु जी को नमस्कार करनी|गुरु जी कि ऐसी रहमत को देखकर हँसते-२ गुरसिख गुरु घर कि और चल दिया|
शिर्डी के साँई बाबा ग्रुप (रजि.)
शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....
"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम
मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे
कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे
मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे
दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे
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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।
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Thursday, 30 November 2023
श्री गुरु अमर दास जी – साखियाँ - लंगड़े की टांग ठीक करनी
Wednesday, 29 November 2023
श्री गुरु अमर दास जी जीवन - गुरु गद्दी मिलना
श्री गुरु अमर दास जी जीवन - गुरु गद्दी मिलना
श्री गुरु अंगद देव जी के पास आकर जब कुछ दिन बीत गए तो आप ने भाई बुड्डा जी से आज्ञा लेकर और सिक्खों की तरह गुरुघर की सेवा में लग गए| आप सुबह उठकर गुरु जी के लिए जल की गागरे लाकर स्नान कराते| फिर कपड़े धोकर एकांत में बैठकर गुरु जी का ध्यान करते| स्मरण से उठकर लंगर के लिए पानी लाते| फिर वहाँ झाडू देते और बर्तन साफ करते| आप सेवा में इतने तल्लीन रहते कि आपको खाने पीने व पहनने की लालसा ही न रही| रात-दिन आप अनथक सेवा के कारण शरीर कमजोर हो गया| पहनने वाले कपड़े भी फटे पुराने से रहते थे|
श्री गुरु अंगद देव जी आपकी सेवा से बहुत खुश हुए| उन्होंने खुश होकर आपको एक अंगोछा दिया| आपने गुरु जी का इसे प्रसाद समझकर अपने सिर पर बांध लिया| आप तन करके गुरु जी की सेवा करते और मन करके गुरु जी का ध्यान करते| गुरु जी आपकी सेवा पर खुश होते रहे और हर साल अंगोछा बक्शते रहे और आप पहले की तरह सिर पर बांधते रहे| इस प्रकार जब ग्यारह साल बीत गए तो इन अंगोछो का बोझ सा बन गया| आपजी का शरीर पतला और छोटे कद का था जो वृद्ध अवस्था के कारण निर्बल हो चुका था|
एक दिन अमरदास जी गुरु जी के स्नान के लिए पानी की गागर सिर पर उठाकर प्रातःकाल आ रहे थे कि रास्ते में एक जुलाहे कि खड्डी के खूंटे से आपको चोट लगी जिससे आप खड्डी में गिर गये| गिरने कि आवाज़ सुनकर जुलाहे ने जुलाही से पुछा कि बाहर कौन है? जुलाही ने कहा इस समय और कौन हो सकता है, अमरू घरहीन ही होगा, जो रातदिन समधियों का पानी ढ़ोता फिरता है| जुलाही की यह बात सुनकर अमरदास जी ने कहा कमलीये! में घरहीन नहीं, मैं गुरु वाला हूँ| तू पागल है जो इस तरह कह रही हो|
उधर इनके वचनों से जुलाही पागलों की तरह बुख्लाने लगी| गुरु अंगद देव जी ने दोनों को अपने पास बुलाया और पूछा प्रातःकाल क्या बात हुई थी, सच सच बताना| जुलाहे ने सारी बात सच सच गुरु जी के आगे रख दी कि अमरदास जी के वचन से ही मेरी पत्नी पागल हुई है| आप किरपा करके हमें क्षमा करें और इसे अरोग कर दे नही तो मेरा घर बर्बाद हो जायेगा|
जुलाहे की बात सुनकर गुरु जी ने कहा श्री अमर दास जी बेघरों के लिए घर, निमाणियों का माण हैं| निओटिओं की ओट हैं, निधरिओं की धिर हैं| निर आश्रितों का आश्रय हैं आदि बारह वरदान देकर गुरु जी ने आपको अपने गले से लगा लिया और वचन किया कि आप मेरा ही रूप हो गये हो| इसके पश्चात गुरु अंगद देव जी ने अपनी कृपा दृष्टि से जुलाही की तरफ देखा और उसे अरोग कर दिया| इस प्रकार वे दोनों गुरु जी की उपमा गाते हुए घर की ओर चल दिए|
इसके पश्चात गुरु जी ने आपके सिर से ग्यारह सालों के ऊपर नीचे बंधे हुए अंगोछो की गठरी उतारकर और सिक्खों को आज्ञा की कि इनको अच्छी तरह से स्नान कराकर नए कपड़े पहनाओ| आज से यह हमारा रूप ही हैं| हमारे बाद गुरु नानक देव जी की गद्दी पर यही सुशोभित होंगे|
गुरु जी ने अपना अन्तिम समय जानकर संगत को प्रगट कर दिया कि अब अपना शरीर त्यागना चाहते हैं| आपके यह वचन सुनकर आस पास की संगत इक्कठी हो गई और खडूर साहिब अन्तिम दर्शनों के लिए पहुँच गई| श्री गुरु अंगद देव जी ने इसके पश्चात एक सेवादार को भेजकर श्री अमर दास जी को खडूर साहिब बुला लिया|
श्री अमर दास जी के आने पर गुरु जी ने सेवादारो को आज्ञा दी कि इनक्को स्नान कराओ और नए वस्त्र पहनाकर हमरे पास ले आओ| हमारे दोनों सुपुत्रो और संगत को भी बुला लाओ| इस तरह जब दीवान सज गया तो गुरु जी ने श्री अमर दास जी को सम्बोधित करके कहा - हे प्यारे पुरुष श्री अमर दास जी! हमे अकालपुरुख का बुलावा आ गया है| हमने अपना शरीर त्याग कर बाबा जी के चरणों में जल्दी ही जा विराजना है| आपने गुरु नानक जी की चलाई हुई मर्यादा को कायम रखना है| यह वचन कहकर आप जी ने चेत्र सुदी 4 संवत 1608 वाले दिन पांच पैसे और नारियल श्री अमर दास जी के आगे रखकर माथा टेक दिया और बाबा बुड्डा जी की आज्ञा अनुसार आप जी के मस्तक पर गुरुगद्दी का तिलक लगा दिया| इसके पश्चात गुरु जी ने तीन परिक्रमा की और श्री अमर दास जी को अपने सिंघासन पर सुशोभित करके पहले अपने नमस्कार किया फिर सब सिक्खों और साहिबजादो को भी ऐसा करने को कहा| अब यह मेरा रूप हैं| मेरे और इनमे कोई भेद नहीं है| गुरु जी का वचन मानकर सारी संगत ने माथा टेका परन्तु पुत्रों ने नहीं क्योंकि वह अपने ही सवेक को माथा टेकना नहीं चाहते थे|
Tuesday, 28 November 2023
श्री गुरु अमर दास जी जीवन - परिचय
प्रकाश उत्सव (जन्म की तारीख): 5 अप्रैल 1479, गांव बसरके, जिला अमृतसर (पंजाब)
Parkash Utsav (Birth date): April 5, 1479 ; at village Basarke, Distt. Amritsar (Punjab)
पिता: भाई तेज भान जी
Father: Bhai Tej Bhan ji
माँ: माता लखमी जी
Mother: Mata Lakhmi ji
महल (पति या पत्नी): माता मनसा देवी
Mahal (spouse): Mata Mansa Devi
साहिबज़ादे (वंश): बाबा मोहन, बाबा मोहरी, बीबी दानी और बीबी भानी जी
Sahibzaday (offspring): Baba Mohan, Baba Mohri, Bibi Dani and Bibi Bhani ji
ज्योति ज्योत (स्वर्ग करने के उदगम): 1 सितम्बर 1574.
Joti Jyot (ascension to heaven): September 1, 1574.
श्री गुरु अमरदास जी तेज भाज भल्ले क्षत्री के घर माता सुलखणी जी के उदर से वैशाख सुदी १४ संवत १५३६ को गाँव बासरके परगना झबाल में में पैदा हुए|
आप जी कि शादी श्री मनसा देवी जी के साथ ११ माघ संवत १५५८ को देवी चंद बहिल क्षत्री कि सुपुत्री के साथ हुई| आप जी के दो साहिबजादे बाबा मोहन जी और बाबा मोहरी जी तथा दो सुपुत्रियों बीबी दानी जी व भानी जी ने जनम लिया| आप कि आयु उस समय ६१ साल थी जब आप गुरु अंगद देव जी कि सेवा में हाजिर हुए|
श्री गुरु अंगद साहिब जी की सुपुत्री बीबी अमरो श्री अमरदास जी के भतीजे से विवाहित थी| आप ने बीबी अमरो जी को कहा की पुत्री मुझे अपने पिता गुरु के पास ले चलो| मैं उनके दर्शन करके अपना जीवन सफल करना चाहता हूँ| पिता समान वृद्ध श्री अमरदास जी की बात को सुनकर बीबी जी अपने घर वालो से आज्ञा लेकर आप को गाड़ी में बिठाकर खडूर साहिब ले गई| गुरु अंगद देव जी ने सुपुत्री से कुशल मंगल पूछा और कहा कि बेटा! जिनको साथ लेकर आई हो, उनको अलग क्यों बिठाकर आई हो| गुरु जी उन्हें अपना सम्बन्धी जानकर आगे आकर मिले| पर अमरदास जी कहने लगे कि मैं आपका सिख बनने आया हूँ| आप मुझे उपदेश देकर अपना सिख बनाए|
लंगर के तैयार होते ही आपको लंगर वाले स्थान पर लेगये| अमरदास जी मन ही मन में सोचने लगे मैं तो कभी मांस नहीं खाता, अगर खा लिया तो प्राण टूट जायेगा| लकिन अगर वापिस कर दिया तो गुरु अपना अनादर समझकर नाराज़ हो जायेगें| हाँ! अगर ये गुरु अंतर्यामी हैं तो अपने आप ही मेरे दिल की बात जान लेगा और लांगरी को मेरे आगे मांस रखने को मना कर देगा| अभी आप के मन में ऐसा विचार आ ही रहा था की श्री गुरु अंगद देव जी ने लंगर बाँटने वाले को इनके आगे मांस रखने को मना कर दिया कि यहे वैष्णव भोजन ही करते हैं| इतना सुनते ही अमरदास जी की खुशी का ठिकाना ना रहा और मन ही मन कहने लगे गुरु जी अंतर्यामी, घट घट की जानने वाले हैं इनको ही गुरु धारण करना चहिये|
Monday, 27 November 2023
श्री गुरु अंगद देव जी - ज्योति - ज्योत समाना
श्री गुरु अंगद देव जी - ज्योति - ज्योत समाना
इसके बाद संगत ने कीर्तन करके सुन्दर विमान तैयार किया और गुरु जी के शरीर को ब्यास नदी के जल से स्नान कराया गया और ऊपर सुन्दर रेशमी कपड़ा डालकर विमान में रखा गया| फिर गुरु जी द्वारा बताये गये स्थान पर सिखो ने आपके शरीर को चन्दन चिता रखकर अरदास की और आपजी के बड़े सुपुत्र दासु जी से अग्नि लगवाकर संस्कार कर दिया|
दसवें दिन श्री गुरु अमरदास जी ने बहुत सारी रसद इकटठी करके कड़ाह प्रसाद की देग तैयार कराई| इस समय गुरु अमरदास जी को वस्त्र और माया की जो भेंट आई थी वह सारी आपने गुरु अंगद देव जी के सुपुत्रो को दे दी और आप संगत के साथ गोइंदवाल|
कुल आयु और गुरु गद्दी का समय
श्री गुरु अंगद देव जी ४७ साल ११ महीने और ३ दिन की कुल आयु भोग कर चेत सुदी चौथ संवत १६०८ को ४ घड़ी दिन चढ़े खडूर साहिब ज्योति-ज्योत समाये|
आप जी ने १२ साल ८ महीने और ६ दिन की गुरु गद्दी की|
Sunday, 26 November 2023
श्री गुरु अंगद देव जी -साखियाँ - हमायूँ बादशाह का अहंकार दूर करना
श्री गुरु अंगद देव जी -साखियाँ - हमायूँ बादशाह का अहंकार दूर करना
आगे से गुरु जी कहने लगे कि अगर तुम अपनी म्यान से तलवार ना निकालते तो तुम्हे तुमारा राज्य शीघ्र प्राप्त होता| परन्तु तुमने गुरु घर का निरादर करके अपने राज्य से भी हाथ धो लिया| ऐसे तुमने अहंकार में आकर किया| अब तुम्हे १२ साल बाद ही बादशाही मिलेगी| ऐसा वचन सुनकर हमायूँ गुरु जी को नमन करके लाहौर कि और रवाना हो गया|
Saturday, 25 November 2023
श्री गुरु अंगद देव जी -साखियाँ - एक तपस्वी योगी की ईर्ष्या
श्री गुरु अंगद देव जी -साखियाँ - एक तपस्वी योगी की ईर्ष्या
तपस्वी लोगो को दिलासा देता रहा पर जब आठ दिन तक वर्षा नहीं हुई तो लोग बहुत हताश हो गये| एक दिन अचानक ही श्री अमरदास जी गुरु जी को मिलने खडूर साहिब आए| असलियत का पता लगते ही बहुत दुखी हुए और संगतो को समझाने लगे अगर आप योगी तपस्वी को गाँव में से निकाल दोगे और गुरु जी से क्षमा माँग लोगे तो बहुत जल्दी वर्षा होगी|आप जी गुरु नानक देव जी की गद्दी पर सुशोभित है, जो की बहुत शक्तिशाली है| उनको प्रसन्न करके हो वर्षा होने की आशा है| गुरु घर का आदर न करने से वर्षा नहीं होगी|
भाई अमरदास जी के ऐसे वचन सुनकर ज़मींदारो ने तपस्वी को कहा कि आप आठ दिनों में भी वर्षा नहीं करा सके और गुरु जी को भी गाँव से बाहर निकाल दिया| इसलिए आप गाँव छोडकर चले जाओ| हम अपने आप गुरु जी को सम्मान सहित वापिस लाकर वर्षा करायेंगे| तपस्वी को गाँव छोड़कर जाना पड़ा और सारी संगत गुरु जी से क्षमा मांगकर गुरूजी को वापिस खडूर साहिब ले आई| लोगों की खुशी की सीमा ना रही जब आकाश पर बादल छाये और खूब वर्षा हुई| गुरु जी के ऐसे कौतक को देखकर संगतो का विश्वाश और पक्का हो गया|
Friday, 24 November 2023
श्री गुरु अंगद देव जी -साखियाँ - हरीके गाँव का अहंकारी चौधरी
Thursday, 23 November 2023
श्री गुरु अंगद देव जी -साखियाँ - खडूर का मिरगी रोग वाला शराबी
श्री गुरु अंगद देव जी -साखियाँ - खडूर का मिरगी रोग वाला शराबी
Wednesday, 22 November 2023
श्री गुरु अंगद देव जी -साखियाँ - अंतर्यामी श्री गुरु अंगद साहिब जी
Tuesday, 21 November 2023
श्री गुरु अंगद देव जी -साखियाँ - जुलाही को आरोग्य करना
श्री गुरु अंगद देव जी -साखियाँ - जुलाही को आरोग्य करना
Monday, 20 November 2023
श्री गुरु अंगद देव जी - गुरु गद्दी मिलना
श्री गुरु अंगद देव जी - गुरु गद्दी मिलना
Sunday, 19 November 2023
श्री गुरु अंगद देव जी जीवन - परिचय
प्रकाश उत्सव (जन्म की तारीख): 31 मार्च 1504, हरिके (जिला फिरोजपुर, पंजाब)
श्री गुरु अंगद देव जी फेरु मल जी तरेहण क्षत्रि के घर माता दया कौर जी की पवित्र कोख से मत्ते की सराए परगना मुक्तसर में वैशाख सुदी इकादशी सोमवार संवत १५६१ को अवतरित हुए| आपके बचपन का नाम लहिणा जी था| गुरु नानक देव जी को अपने सेवा भाव से प्रसन्न करके आप गुरु अंगद देव जी के नाम से पहचाने जाने लगे| आप जी की शादी खडूर निवासी श्री देवी चंद क्षत्रि की सपुत्री खीवी जी के साथ १६ मघर संवत १५७६ में हुई| खीवी जी की कोख से दो साहिबजादे दासू जी व दातू जी और दो सुपुत्रियाँ अमरो जी व अनोखी जी ने जन्म लिया|
भाई जोधा सिंह खडूर निवासी से लहिणा जी को गुरु दर्शन की प्रेरणा मिली| जब आप संगत के साथ करतारपुर के पास से गुजरने लगे तब आप दर्शन करने के लिए गुरु जी के डेरे में आ गए| गुरु जी के पूछने पर आप ने बताया, "मैं खडूर संगत के साथ मिलकर वैष्णोदेवी के दर्शन करने जा रहा हूँ| आपकी महिमा सुनकर दर्शन करने की इच्छा पैदा हुई| किरपा करके आप मुझे उपदेश दो जिससे मेरा जीवन सफल हो जाये|" गुरु जी ने कहा, "भाई लहिणा तुझे प्रभु ने वरदान दिया है, तुमने लेना है और हमने देना है| अकाल पुरख की भक्ति किया करो| यह देवी देवते सब उसके ही बनाये हुए हैं|"
लहिणा जी ने अपने साथियों से कहा आप देवी के दर्शन कर आओ, मुझे मोक्ष देने वाले पूर्ण पुरुष मिल गए हैं| आप कुछ समय गुरु जी की वहीं सेवा करते रहे और नाम दान का उपदेश लेकर वापिस खडूर अपनी दुकान पर आगये परन्तु आपका धयान सदा करतारपुर गुरु जी के चरणों में ही रहता| कुछ दिनों के बाद आप अपनी दुकान से नमक की गठरी हाथ में उठाये करतारपुर आ गए| उस समय गुरु जी धान में से नदीन निकलवा रहे थे| गुरु जी ने नदीन की गठरी को गाये भैंसों के लिए घर ले जाने के लिए कहा| लहिणा जी ने शीघ्रता से भीगी गठड़ी को सिर पर उठा लिया और घर ले आये| गुरु जी के घर आने पर माता सुलखणी जी गुरु जी को कहने लगी जिस सिख को आपने पानी से भीगी गठड़ी के साथ भेजा था उसके सारे कपड़े कीचड़ से भीग गए हैं| आपने उससे यह गठड़ी नहीं उठवानी थी|
गुरु जी ने हँस कर कहा, "यह कीचड़ नहीं जिससे उसके कपड़े भीगे हैं, बल्कि केसर है| यह गठड़ी को और कोई नहीं उठा सकता था| अतः उसने उठा ली है|" श्री लहिणा जी गुरु जी की सेवा में हमेशा हाजिर रहते व अपना धयान गुरु जी के चरणों में ही लगाये रखते|
Saturday, 18 November 2023
श्री गुरु नानक देव जी - ज्योति ज्योत समाना
श्री गुरु नानक देव जी - ज्योति ज्योत समाना
असूज सुदी दसवी संवत् 1539 को संगत के सामने गुरु जी चादर तानकर लेट गए और संगत को धैर्य देते हुए कहने लगे-आप सभी सत्यनाम का जाप करो| जाप कर रही संगत ने जब कुछ समय बाद देखा तब गुरु जी अपना शरीर छोडकर बैकुंठ में जा चुके थे| आपका अन्तिम संस्कार करने के लिए हिन्दू कहे कि हमारा गुरु है हमने संस्कार करना है| मुस्लमान कहे कि हमारा पीर है हमने दफ़न करना है| इस प्रकार झगडा करते जब दोनों धर्मों के लोगों ने चादर उठाकर देखा तो आपका शरीर अलोप था| केवल चादर ही वहाँ रह गई| इस चादर को लेकर आधा हिन्दुओं ने संस्कार कर दिया और आधा मुसलमानों ने कबर में दफ़न कर दिया|
कुल आयु व गुरु गद्दी का समय
(Shri Guru Nanak Dev Ji Total Age and Ascension to Heaven)
Friday, 17 November 2023
श्री गुरु नानक देव जी – साखियाँ - गाय, भैंसे चारनी व खेत हरा करना
Thursday, 16 November 2023
श्री गुरु नानक देव जी – साखियाँ - साँप का छाया देना
श्री गुरु नानक देव जी – साखियाँ - साँप का छाया देना
Wednesday, 15 November 2023
श्री गुरु नानक देव जी - साखियाँ - वृक्ष की छाया खड़ी करनी
श्री गुरु नानक देव जी - साखियाँ - वृक्ष की छाया खड़ी करनी
Tuesday, 14 November 2023
श्री गुरु नानक देव जी - साखियाँ - सच्चा सौदा करना
श्री गुरु नानक देव जी - साखियाँ - सच्चा सौदा करना
Monday, 13 November 2023
श्री गुरु नानक देव जी - साखियाँ - नवाब व काजी के साथ नमाज पढ़ने का कौतक
श्री गुरु नानक देव जी - साखियाँ - नवाब व काजी के साथ नमाज पढ़ने का कौतक
Sunday, 12 November 2023
श्री गुरु नानक देव जी-साखियाँ - मलक भागो का ब्रह्म भोज व उसको उपदेश
श्री गुरु नानक देव जी-साखियाँ - मलक भागो का ब्रह्म भोज व उसको उपदेश
Saturday, 11 November 2023
श्री गुरु नानक देव जी - साखियाँ - मीठा रीठा
श्री गुरु नानक देव जी - साखियाँ - मीठा रीठा
मरदाने ने गुरु जी (श्री गुरू नानक देव जी) के हुक्म का पालन किया| उसने टहनी को हिलाया व रीठो को नीचे गिरा दिया| जब मरदाने ने रीठे खाए तो वो छुहारे कि तरह मीठे थे| उसने पेट भरकर रीठे खाए| इस वृक्ष के रीठे आज भी मीठे है जो नानक मते जाने वाले प्रेमियों को प्रसाद के रूप में दिए जाते है|
मीठा रीठा नानक मते से ४५ मील दूर है|
Friday, 10 November 2023
श्री गुरु नानक देव जी - साखियाँ - मक्के का काबा फेरना
भाई गुरदास जी लिखते हैं:
जिथे जाए जगत विच बाबे बाझ न खाली जाई ||
Thursday, 9 November 2023
श्री गुरु नानक देव जी – साखियाँ - हसन अब्दाल - वली कंधारी का अहंकार तोड़ना (पंजा साहिब)
गुरु जी होती मरदान और नौशहरे से होते हुआ हसन अब्दाल से बहार पहाड़ी के नीचे आकर बैठ गए| उस पहाड़ी पर एक वली कंधारी रहता था जिसे अपनी करामातो पर बहुत अहंकार था| इसके साथ की पहाड़ी पर ही पानी का एक चश्मा निकलता था| गुरु जी ने उसका अहंकार तोड़ने के लिए मरदाने को उस पहाड़ी पर चश्मे का पानी लाने के लिए भेजा| पर वली कंधारी ने वहाँ से पानी लाने को मना कर दिया| उसने कंधारी के आगे बहुत मिन्नतें की पर वली ने कहा अगर तेरा पीर शक्तिशाली है तो वह नया चश्मा निकालकर तुम्हे पानी दे|जब यह बातें मरदाने ने आकर गुरु जी को बताई तो गुरु जी (श्री गुरु नानक देव जी) ने मरदाने से कहा की सतिनाम कहकर एक पत्थर उठाकर दूसरी तरफ रखदो, करतार के हुक्म से पानी का चश्मा चल पड़ेगा| जब पत्थर के नीचे से पानी का चश्मा निकला तो इसके चलने से ही पहाड़ी पर वली कंधारी का चश्मा बंद हो गया|
जब वली कंधारी ने यह देखा की उसका चश्मा बंद हो गया है और नीचे की पहाड़ी का चश्मा चल रहा है तो उसने क्रोध में आकर अपनी पूरी शक्ति के साथ पहाड़ी की एक चट्टान को गुरु जी की तरफ फैंक दिया| पर गुरु जी ने उसे अपने हाथ के पंजे से रोक दिया| गुरु जी की यह दोनो शक्तियाँ, पहले पानी का चश्मा नीचे लेके आना और दूसरा पहाड़ को पंजे से रोकना, से वली कंधारी का अहंकार टूट गया और गुरु जी से अपने अपमान भरे शब्दों के कारण माफ़ी मांगने लगा|
गुरु जी (श्री गुरु नानक देव जी) के हाथ से लगा हुआ पंजे वाला पत्थर अभी तक गुरुद्वारा पंजा साहिब-हसन अब्दाल में दर्शन दे रहा है| हजारों संगते श्रदा के साथ इसके दर्शन करके गुरु जी (श्री गुरु नानक देव जी) की महिमा गाते हुए सुनी व देखी गयी हैं|
पंजा साहिब की यह घटना 3 वैसाख संवत १५७९ में लिखी हुई हैं।
Wednesday, 8 November 2023
श्री गुरु नानक देव जी – साखियाँ - कलयुग से वार्तालाप
कस्तू रि कुंगू अगरि चंदनि लीपि आवै चाऊ ||
मतु देखि भूला विसरै तेरा चिति न आवै नाऊ ||
धरती त हीरे लाल जड़ती पलघि लाल जड़ाऊ ||
मोहणी मुखि मणी सोहै करे रंगि पसाऊ ||
मतु देखि भूला विसरै तेरा चिति न आवै नाऊ ||
हुकमु हासलु करी बैठा नानका सभ वाऊ ||
मतु देखि भूला विसरै तेरा चिति न आवै नाऊ ||
Tuesday, 7 November 2023
श्री गुरु नानक देव जी - परिचय
प्रकाश उत्सव (जन्म की तारीख): 15 अप्रैल 1469. शनिवार,
Father : Mehta Kalyan Dass (Mehta Kalu)
पिता: मेहता कल्याण दास (मेहता कालू)
माँ: माता तृप्ता जी
सहोदर: बेबे नानकी जी (बहन)
Mahal (spouse) : Mata Sulakhani Ji
महल (पत्नी): माता सुलखनी जी
Sahibzaday (offspring) : Baba Sri Chand Ji, Baba Lakhmi Das Ji.
साहिबज़ादे (वंश): बाबा श्री चंद जी, बाबा लखमी दास जी.
Joti Jyot (ascension to heaven) :September 7, 1539 at Sri Kartarpur Sahib (present day Pakistan)ज्योति ज्योत (स्वर्ग करने के उदगम): श्री करतारपुर साहिब (वर्तमान पाकिस्तान) में 7 सितम्बर 1539
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बाबा के 11 वचन
1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य
.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....
गायत्री मंत्र
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥
Word Meaning of the Gayatri Mantra
ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe
these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation
धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"
dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God
भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।
Simply :
तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।
The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.