ॐ सांई राम
साँईं मेरा पालनहार
किये कर्म कोई गत जन्म
जो सदगुरू साँईं पाये
लांग भक्ति की सीमा को
इस परिवार में समाये
भूखे पेट मैं सो सकू
साँई देना भक्ति का दान
भूखे पेट ना देख सकू
साँईं जिसमें समाये प्राण
तेरे दर्श को प्यासी अँखियाँ
रोग पूछ बैठी मेरी सखियाँ
जाने ना मेरा अब मर्ज ये कोई
लड़ गई मेरी साँईं संग अँखियाँ
अँखियों का नहीं दोष ये कोई
याद तेरी में सारी रतिया रोई
पौंछ ना पाऊँ मैं इन नैनो को
तकलीफ ना दे कहीं साँईं को कोई
शुक्र अदा ना कर सका
दिया तूने इतना अपार
मांग सका ना एक भी
तूने भर दी झोली संग चार