शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Wednesday, 30 November 2022

श्री साईं लीलाएं - किसी से बुरा मत बोलो

 ॐ सांई राम


कल हमने पढ़ा था.. दाभोलकर के मन की बात 


श्री साईं लीलाएं - किसी से बुरा मत बोलो
    
बाबा केवल यही चाहते थे कि सबका भला हो| बाबा अपने पास आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सत्य-मार्ग पर चलने के लिए कहते| अच्छाई करने के लिए सबको प्रेरित करते| जो भी व्यक्ति अच्छाई की राह पर चलता, बाबा उसका हौसला और बढ़ाते|

एक बार हेमाडपंत साईं बाबा के दर्शन करने शिरडी गये थे| वहां पर उनके मन में यह विचार आया कि उस परम पावन स्थान पर गुरुवार (बृहस्पतिवार) के दिन राम-नाम का अखण्ड स्मरण और कीर्तन करें| दूसरे ही दिन गुरुवार था|अपने निश्चय को याद करके बुधवार की रात वे राम-नाम लेते-लेते सो गये| गुरुवार को सुबह उठते ही उन्होंने राम-नाम लेना शुरू कर दिया| नित्य काम से निवृत होकर मस्जिद में साईं बाबा के दर्शन करने गए| जब वे बूटीवाड़े के पास से गुजर रहे थे तो मस्जिद के आंगन में औरंगाबादकरनाम के भक्त, संत एकनाथ महाराज का रामभक्ति बताने वाला अमंगा गा रहे थे| उसका अर्थ इस तरह था - "मैंने गुरु-कृपा का काजल पाया है और सब उसे लगाने से राम के सिवाय कुछ भी दिखाई नहीं देता है| मेरे अंदर और बाहर भी राम हैं| मेरे सपनों में भी राम हैं| इतना ही नहीं, मैं जागते हुए और सोते हुए राम को ही देखता हूं, मैं हर जगह राम को ही देखता हूं| सभी कामनाएं पूरी करने वाला राम कण-कण में भरा है और वह जनार्दन के एकनाथ का अनुभव है|"

यह गीत सुनते ही हेमाडपंत सोचने लगे - "बाबा का खेल समझ से बाहर है| मेरे मन की बात जानकर ही उन्होंने औरंगाबादकर से वह अमंगा गवाया होगा| नहीं तो हजारों गीत जानते हुए भी उन्होंने यही अमंगा क्यों गाया? बाबा सब कुछ करते हैं और हम केवल कठपुतलियाँ हैं - और यही सच है| मैंने जो कहा, जो सोचा है वह साईं माँ को पसंद है|' -यह सोचने हुए उन्हें और भी उम्मीद मिली और यह सब मंत्र बाबा से ही मिला| ऐसा सोच के वह पूरा दिन उन्होंने राम-नाम के साथ बिताया|एक बार की बात है - बाबा के एक भक्त ने बाबा की अनुपस्थिति में अन्य लोगों के सामने एक दोस्त की बात निकलते ही उसे भला-बुरा कहना शुरू कर दिया| उसके शब्द इतने बुरे थे कि उससे सभी को घृणा हुई| ऐसा देखने में आता है कि बिना वजह निंदा  करने से विवाद ही पैदा होते हैं| पर ऐसे व्यक्ति को सही मार्ग पर लाने की बाबा की प्रणाली बड़ी विचित्र थी|

उसकी बकवास सुनकर सभी लोग मस्जिद की तरफ चल पड़े| अंतर्यामी साईं बाबा से यह बात छुपी न रह सकी| दोपहर को लैंडीबाग से लौटते समय जब बाबा की उस भक्त से भेंट हुई तो बाबा उसे अपने साथ लेकर आने लगे| रास्ते में एक जगह विष्ठा खाते एक सूअर की ओर इशारा करते हुए बाबा ने उससे कहा - "देखो, वह कितने प्रेम से विष्ठा खा रहा है| तुम लोगों को अपशब्द कहते हो, तुम्हारा यह आचरण निष्ठा खाते सूअर जैसा ही है| तुम्हारे पूर्वजन्म के शुभ कर्मों के कारण ही तुम्हें यह मानव शरीर मिला है| फिर भी तुम ऐसा आचरण करोगे तो क्या शिरडी तुम्हारी कोई सहायता कर पायेगी, सोचो?"

वह भक्त उसी समय बाबा का उपदेश सुनकर चुपचाप वहां से चला गया|


कल चर्चा करेंगे..दासगणु को ईशोपनिषद का रहस्य नौकरानी द्वारा सिखाना

ॐ सांई राम
ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं

बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

Tuesday, 29 November 2022

श्री साईं लीलाएं - दाभोलकर के मन की बात

ॐ सांई राम



कल हमने पढ़ा था.. सब के प्रति प्रेम भाव रखो 

श्री साईं लीलाएं - दाभोलकर के मन की बात

बाबा केवल यही चाहते थे कि सबका भला हो| बाबा अपने पास आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सत्य-मार्ग पर चलने के लिए कहते| अच्छाई करने के लिए सबको प्रेरित करते| जो भी व्यक्ति अच्छाई की राह पर चलता, बाबा उसका हौसला और बढ़ाते|

एक बार हेमाडपंत साईं बाबा के दर्शन करने शिरडी गये थे| वहां पर उनके मन में यह विचार आया कि उस परम पावन स्थान पर गुरुवार (बृहस्पतिवार) के दिन राम-नाम का अखण्ड स्मरण और कीर्तन करें| दूसरे ही दिन गुरुवार था|अपने निश्चय को याद करके बुधवार की रात वे राम-नाम लेते-लेते सो गये| गुरुवार को सुबह उठते ही उन्होंने राम-नाम लेना शुरू कर दिया| नित्य काम से निवृत होकर मस्जिद में साईं बाबा के दर्शन करने गए| जब वे बूटीवाड़े के पास से गुजर रहे थे तो मस्जिद के आंगन में औरंगाबादकरनाम के भक्त, संत एकनाथ महाराज का रामभक्ति बताने वाला अमंगा गा रहे थे| उसका अर्थ इस तरह था - "मैंने गुरु-कृपा का काजल पाया है और सब उसे लगाने से राम के सिवाय कुछ भी दिखाई नहीं देता है| मेरे अंदर और बाहर भी राम हैं| मेरे सपनों में भी राम हैं| इतना ही नहीं, मैं जागते हुए और सोते हुए राम को ही देखता हूं, मैं हर जगह राम को ही देखता हूं| सभी कामनाएं पूरी करने वाला राम कण-कण में भरा है और वह जनार्दन के एकनाथ का अनुभव है|"

यह गीत सुनते ही हेमाडपंत सोचने लगे - "बाबा का खेल समझ से बाहर है| मेरे मन की बात जानकर ही उन्होंने औरंगाबादकर से वह अमंगा गवाया होगा| नहीं तो हजारों गीत जानते हुए भी उन्होंने यही अमंगा क्यों गाया? बाबा सब कुछ करते हैं और हम केवल कठपुतलियाँ हैं - और यही सच है| मैंने जो कहा, जो सोचा है वह साईं माँ को पसंद है|' -यह सोचने हुए उन्हें और भी उम्मीद मिली और यह सब मंत्र बाबा से ही मिला| ऐसा सोच के वह पूरा दिन उन्होंने राम-नाम के साथ बिताया|


परसों चर्चा करेंगे..किसी से बुरा मत बोलो   

ॐ सांई राम
ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं

बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

Monday, 28 November 2022

श्री साईं लीलाएं - सब के प्रति प्रेम-भाव रखो

 ॐ सांई राम


कल हमने पढ़ा था.. माँ! मेरे गुरु ने तो मुझे केवल प्यार करना ही सिखाया है

श्री साईं लीलाएं - सब के प्रति प्रेम-भाव रखो

 
ठीक उसी समय मस्जिद में घंटी बजने लगी| बाबा के भक्त रोजाना दोपहर को बाबा की पूजा और आरती करते थे| यह घंटी दोपहर की पूजा-आरती की सूचक थी| शामा और हेमाडपंत तेजी से मस्जिद की ओर चल पड़े| बापू साहब जोग पूजन शुरू कर चुके थे| सभी आरती गा रहे थे| शामा हेमाडपंत का हाथ पकड़कर बाबा के दायीं ओर बैठ गये, जबकि हेमाडपंत सामने बैठ गये|

तब बाबा ने हेमाडपंत से कहा - "शामा ने तुझे जो दक्षिणा दी है, वह मुझे दे|" तब हेमाडपंत से कहा - "बाबा ! शामा तो यहीं पर है - और दक्षिणा के लिये उसने पंद्रह नमस्कार दिये हैं|" तब साईं बाबा हँस पड़े और बोले - "ठीक है, अब मुझे बता तुम दोनों के बीच क्या बातें हुई हैं?" इस पर हेमाडपंत ने शुरू ने अंत तक हुई सारी बातें विस्तार से बता दीं| उसने बताया वार्ता बड़ी सुखदायी रही| विशेषकर उस वृद्ध महिला की कथा अद्भुत थी| इस कथा के माध्यम से आपने मुझ पर कृपा की है| तब बाबा ने पूछा - "यह कहानी कितनी मीठी है?" शामा ने कहा - "बाबा, इस कहानी को सुनकर मेरे मन की चंचलता दूर हो गयी| अब मुझे रास्ता समझ आने लगा (यानि सत्य मार्ग का पता चल गया)| अब मैं एकदम शांत हूं|"

बाबा ने कहा, मेरी प्रणाली अनोखी है| यदि इस कहानी को स्मरण रखोगे तो बड़ी सार्थक सिद्ध होगी| फिर बाबा खुशी से हँस पड़े और बोले - "अब मेरा कहा मानकर सुने ले ! चैतन्य-स्वरूप परमात्मा सब जगह मौजूद है| इसलिए प्रत्येक प्राणी के अन्दर जो चेतना है उसी का ध्यान करना चाहिए, फिर वह मिल जाता है| जो मनुष्य यह नहीं कर सकता उस मेरे स्वरूप का दिन-रात ध्यान करना चाहिये| ऐसा करने से मन स्थिर होकर परमात्मा से एकरस हो जाएगा| ध्येय व ध्यान का भेद समाप्त हो जायेगा| गुरु और शिष्य का सम्बंध कछुवी माँ और उसके बच्चों के जैसा है| जिस तरह कछुवी नदी तट पर रहकर, दूसरे तट पर रहनेवाले अपने बच्चों का फिर प्रेम-दृष्टि से पालन-पोषण करती है| वह न तो अपने बच्चों का हृदय से लगाकर रखती है और न ही उन्हें अपना दूध ही पिलाती है| बच्चे भी अपनी माँ को याद करते रहते हैं| कछुवी की प्रेम-दृष्टि ही उनके लिए आहार है|

इतने में ही आरती सम्पन्न हो गई और भक्त ऊंचे स्वर में 'साईं बाबा की जय-जयकार करने लगे' - और बापू साहब जोग ने सबको प्रसाद में मिश्री बांटी| बाबा को भी मिश्री प्रसाद दिया| बाबा ने अपने हाथ का मिश्री प्रसाद हेमाडपंत को देते हुए कहा - "यदि तुम इस कहानी को सदैव याद रखोगे तो तुम्हारी स्थिति मिश्री जैसी मधुर हो जायेगी और तुम्हारी सभी कामनाएं पूर्ण होंगी और तुम्हारा कल्याण हो जायेगा|"

हेमाडपंत ने बाबा के चरणों में सिर झुकाया और आँखों में आँसू भरकर बोले - "बाबा, आपका आशीर्वाद ही मेरे लिए बहुत है| आप ही मुझे सम्भालिये|"

* लेन-देन के बिना कोई भी किसी से नहीं मिल सकता| इसलिए मनुष्य तो क्या, किसी भी जीव के प्रति नफरत का भाव मत रखो| सभी से आदर-भाव से मिलो| अभद्रता का व्यवहार मत करो| भूखे को रोटी, प्यासे को पानी, वस्त्रहीन को कपड़ा, राहगीर को बैठने के लिए जगह दो| यदि तुम्हारी ऐसा करने की सामर्थ्य नहीं है तो कम से कम उससे बुरा मत बोलो| यदि कोई तुम्हें बुरा बोले तो उस पर क्रोध मत करो| ऐसा करने वाले को सुख मिलता है| संसार चाहे इधर से उधर हो जाये तुम अपने आदर्श पर स्थिर रहो, जो कुछ हो रहा है, उसे देखते रहो| तुम द्वैतभाव को त्याग दो| द्वैतभाव से गुरु-शिष्य में पृथकत्व आ जाता है| सबका अल्लाह मालिक है, वही सबका रखवाला है| वही सबको मार्ग दिखाता है और वही सबकी इच्छाएं पूरी करता है| पूर्वजन्म का सम्बंध होने से ही तेरी और मेरी भेंट हुई है| फिर आपस में प्यार बांटकर खुश रहो| यहां कोई स्थिर रहनेवाला नहीं है| जब तक सांसे चलती हैं तब तक ही जीवन है और अपने जीतेजी जिसने परमात्मा को पा लिया, वह ही धन्य है|

इस उपदेश को सुनकर हेमाडपंत को अति आनंद हुआ और वे बाबा की चरणवंदना कर अपने घर लौटे|


कल चर्चा करेंगे..दाभोलकर के मन की बात

 सांई राम
ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं

बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

Sunday, 27 November 2022

श्री साईं लीलाएं - माँ! मेरे गुरु ने तो मुझे केवल प्यार लकरना ही सिखाया है

ॐ सांई राम



कल हमने पढ़ा था.. साठे पर बाबा की कृपा 


श्री साईं लीलाएं - माँ! मेरे गुरु ने तो मुझे केवल प्यार   लकरना ही सिखाया है
  
साठे मुम्बई के प्रसिद्ध व्यापरी थेएक बार उन्हें अपने व्यापार में बहुत हानि उठानी पड़ीजिससे वे बहुत उदास-निराश हो गयेउनके मन में घर-बार छोड़कर एकांतवास करने के विचार पैदा होने लगेसाठे की ऐसी स्थिति देखकर उनके एक मित्र ने उनसे कहा - "साठे ! तुम शिरडी चले जाओ और वहां पर कुछ दिन साईं बाबा की संगत में रहोसत्संग में रहकर व्यक्ति निश्चित हो जाता है और साईं बाबा तो वैसी भी साक्षात् ईशावतार हैंआज तक बाबा के दरबार से कोई भी निराश होकर नहीं लौटा हैइसलिए लोग बड़ी दूर-दूर से उनके दर्शन करने के लिये शिरडी जाते हैंयदि मेरी बात मानो तो तुम भी एक बार शिरडी जाकर देख लोयदि बाबा चाहेंगे तो तुम्हारी भी झोली भर देंगे|"

मित्र की बातों का साठे पर एकदम सीधा प्रभाव पड़ावे शिरडी गयेशिरडी पहुंचकर जब उन्होंने साईं बाबा के दर्शन किये तो मन को बहुत शांति मिलीउन्हें एक नया हौसला मिलावे सोचने लगे कि पिछले जन्म के शुभ कर्मों के कारण ही उन्हें साईं बाबा का सान्निध्य प्राप्त हुआ है साठे ने शिरडी में रहकर 'गुरुचरित्रग्रंथ का पारायण शुरू कर दियापारायण की आखिरी रात में उन्हें स्वप्न दिखाई पड़ा कि बाबा स्वयं गुरुचरित्र ग्रंथ हाथ में लिए हुए उस पर प्रवचन कर रहे हैं और वह सामने बैठकर सुन रहे हैंनींद खुलने पर उन्हें प्रसन्नता हुई और स्वप्न को याद कर उनका गला भर आया|


सुबह होने पर साठे काका साहब दीक्षित से मिले और अपना रात्रि का स्वप्न बताकर उसके बारे में पूछातब काका असमर्थता जताते हुएउनके साथ जाकर बाबा से मिलेपूछने पर बाबा ने बताया - "साठेगुरुचरित्र पढ़ने से मन शुद्ध होता हैविचार पवित्र बनते हैंअब तुम मेरी आज्ञा से एक सप्ताह का पारायण और करो तो तुम्हारा कल्याण होगाईश्वर प्रसन्न होकर तुम्हें भवबंधन से मुक्ति देंगे|" साठे की समस्या का समाधान हो गया और बाबा की अनुमति लेकर वे अपने ठहरने के स्थान पर लौट आये|जिस समय साईं बाबा काका साहब को साठे के बारे में 'गुरुचरित्रका पारायण करने के बारे में बता रहे थेउस समय मस्जिद में बाबा के भक्त गोविन्द रघुनाथ दामोलकर (हेमाडपंत) तथा अष्ठा साहब बाबा की चरण सेवा कर रहे थेयह सुनकर उनके मन में विचार आया कि 'मैं तो पिछले चालीस वर्षों से गुरुचरित्र का पारायण करता आया हूंऔर सात वर्षों से बाबा की सेवा में हूंपरन्तु जो साठे को बाबा से सात दिन में मिल गयावह मुझे क्यों नहीं मिलामुझे बाबा का उपदेश कब होगा?'


हेमाडपंत के मन में उठ रहे विचारों के बारे में बाबा जान चुके थेबाबा ने उनसे कहा - "तुम शामा के पास जाकर मेरे लिये पंद्रह रुपये दक्षिणा मांग के ले आओलेकिन वहां थोड़ी देर बैठकर वार्तालाप करना और बाद में आना|" हेमाडपंत तुरंत उठे और शामा के पास गयेशामा उस समय स्नान क्रिया से निवृत होकर कपड़े पहन रहे थेउन्होंने हेमाडपंत से कहा कि आप सीधे मस्जिद से आ रहे हैंआप बैठकर थोड़ा-सा आराम कर लेंतब तक मैं पूजा कर लूंऐसा कहकर शामा अंदर कमरे में पूजा करने चले गए|हेमाडपंत की नजर अचानक खिड़की में रखी 'एकनाथी भगवानग्रंथ पर पड़ीसहजभाव से खोलकर देखा तो जो अध्ययन आज सुबह उन्होंने साईं बाबा के दर्शन करने के लिए जल्दी में अधूरा छोड़ा थावही थाहेमाडपंत बाबा की लीला को देखकर हैरान रह गयेफिर उन्होंने सोचा कि सुबह पढ़ना अधूरा छोड़कर मैं गया थायह गलती सुधारने के लिए ही बाबा ने मुझे यहां भेजा होगाफिर वहां पर बैठे-बैठे उन्होंने वह अध्याय पूर्ण किया|जब शामा बाहर आये तो हेमाडपंत ने बाबा का संदेश सुनायाशामा ने कहामेरे पास पंद्रह रुपये नहीं हैंरुपयों के बदले आप दक्षिणा के रूप में मेरे पंद्रह नमस्कार ले जाइएहेमाडपंत ने स्वीकार कर लियाउन्होंने हेमाडपंत को पान का बीड़ा दिया और बोलेआओ कुछ देर बैठकर बाबा की लीलाओं पर चर्चा कर लें|फिर दोनों में वार्तालाप होने लगाशामा बोलेबाबा की लीलाएं बहुत गूढ़ हैंजिन्हें कोई समझ नहीं सकताबाबा लीलाओं से निर्लेप हुए हास्य-विनोद करते रहते हैंइस अज्ञानी बाबा की लीलाओं को क्या जानेंअब देखो तो बाबा ने आप जैसे विद्वान को मुझ अनपढ़ के पास दक्षिणा लेने भेज दियाबाबा की क्रियाविधि को कोई नहीं समझ सकतामैं तो बाबा के बारे में केवल इतना ही कह सकता हूं कि जैसी बाबा में भक्त की निष्ठा होती हैउसी अनुसार बाबा उसकी मदद करते हैंकभी-कभी तो बाबा किसी-किसी भक्त की कड़ी परीक्षा लेने के बाद ही उसे उपदेश देते हैंउपदेश शब्द सुनते ही हेमाडपंत को गुरुचरित्र पारायण वाली बात का स्मरण हो आयावह सोचने लगे कि कहीं बाबा ने उनके मन की चंचलता को दूर करने के लिए लो उन्हें यहां नहीं भेजा हैफिर वे शामा से बाबा की लीलाओं को एकग्रता से सुनने लगे -
शामा सुनाने लगे - "एक समय संगमनेर से खाशावा देशमुख की माँ श्रीमती राधाबाईसाईं बाबा के दर्शन के लिए शिरडी आयी थींवह बहुत वृद्धा थींबाबा का दर्शन कर लेने पर वह सफर की सारी तकलीफें भूल गयींबाबा के प्रति उनकी बहुत निष्ठा थीउनके मन में बाबा से उपदेश लेने की तीव्र इच्छा थीउन्होंने अपने मन में यह निश्चय किया कि जब तक बाबा गुरोपदेश नहीं करतेतब तक वह शिरडी और छोड़ेंगी और आमरण-अनशन करने का निर्णय कियावे अपनी जिद्द की पक्की थींउन्होंने अन्न-जल त्याग दियातीन दिन बीत गयेभक्तगण चिंतित हो गयेपर वे माननेवाली नहीं थीं|


उनकी ऐसी स्थिति देखकर मैं भयभीत हो गयामैंने मस्जिद में जाकर बाबा से प्रार्थना की - "हे देवा ! देशमुख की माँ आपकी भक्त हैंआपका गुरु उपदेश पाने के लिए उन्होंने खाना-पीना तक छोड़ दिया हैयदि आपने उसे उपदेश नहीं दिया और दुर्भाग्य से उन्हें कुछ हो गया तो लोग आपकी ही दोषी ठहरायेंगेआप पर बेवजह इल्जाम लगायेंगेआप कृपा करके इस स्थिति को टाल दीजिये|"शामा की बात सुनकर पहले तो बाबा मुस्कराएउन्हें उस बूढ़ी माँ पर दया आ गयीबाबा ने उन्हें अपने पास बुलाकर कहा - "माँ ! तुम जानबूझकर क्यों अपनी जान से खेल रही होशरीर को कष्ट देकर क्यों मृत्यु का आलिंगन करना चाहती होमांग के जो कुछ मिलता हैउसी से गुजारा करनेवाला फकीर हूंतुम मेरी माँ हो और मैं तुम्हारा बेटातुम मुझ पर रहम करोजो कुछ मैं तुमसे कहता हूंउस पर ध्यान दोगी तो तुम भी सुखी हो जाओगीमैं तुमसे अपनी कथा कहता हूंउसे सुनोगी तो तुम्हें भी अपार शांति मिलेगीसुनो -
मेरे श्री गुरु बहुत बड़े सिद्धपुरुष थेमैं कई वर्षों तक उनकी सेवा करके थक गयातब भी उन्होंने मेरे कान में कोई मंत्र नहीं फूंकामैं भी अपनी बात का पक्का थाचाहे कुछ भी हो जाएयदि मंत्र सीखूंगा तो इन्हीं सेयह मेरी जिद्द थीपर उनकी तो रीति ही निराली थीपहले उन्होंने मेरे सर के बाल कटवाये और फिर मुझसे दो पैसे मांगेमैं समझ गया और मेंने उन्हें दो पैसे दे दिएवास्तव में वे दो पैसे श्रद्धा और सबूरी (दृढ़ निष्ठा और धैर्य) थेमैंने उसी पल उन्हें वे दोनों चीजें अर्पण कर दींवे बड़े प्रसन्न हुएउन्होंने मुझ पर कृपा कर दीफिर मैंने बारह वर्ष तक गुरु की चरणवंदना कीउन्होंने ही मेरा भरण-पोषण कियाउनका मुझ पर बड़ा प्रेम थाउन जैसा कोई विरला गुरु ही मिलेगामैंने अपने गुरु के साथ बहुत कष्ट उठायेउनके साथ बहुत घूमाउन्होंने भी मेरे लिये बहुत कष्ट उठायेमेरी इच्छी से परवरिश कीहम आपस में बहुत प्यार करते थे|गुरु के बिना मुझे एक पल भी कहीं चैन नहीं मिलता थामैं भूख-प्यास भूलकर हर पल गुरु का ही ध्यान करता थावही मेरे लिए सब कुछ थेमुझे सदैव गुरुसेवा की ही चिंता लगी रहती थीमेरा मन उनके श्रीचरणों में ही लगा रहता थामेरे मन का गुरुचरणों में लगना एक पैसे की दक्षिणा हुईदूसरा पैसा धैर्य थादीर्घकाल तक मैं धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करता हुआ गुरु की सेवा करता रहाकि यही धैर्य एक दिन तुम्हें भी भवसागर से तार देगाधैर्य धारण करने से मनुष्य के पाप और मोह नष्ट होकर संकट दूर हो जाते हैं और भय नष्ट हो जाता हैधैर्य धारण करने से तुम्हें भी लक्ष्य की प्राप्ति होगीधैर्य उत्तम गुणों की खानउत्तम विचारों की जननी हैनिष्ठा और धैर्य दोनों सगी बहनें हैं|


मेरे गुरु ने मुझसे कभी कुछ नहीं मांगा और बार-बार मेरी रक्षा कीहर मुश्किल से मुझे निकाला और कभी मुझे अकेला नहीं छोड़ावैसे तो मैं सदैव गुरुचरणों में ही रहता थायदि कभी कहीं चला भी जाता जब भी उनकी कृपादृष्टि मुझ पर लगातार रहती थीजिस प्रकार एक कछुवी माँ अपने बच्चे का पालन-पोषण प्रेम-दृष्टि से करती हैवैसे ही मेरे गुरु का प्यार थामाँ ! मेरे गुरु ने मुझे कोई मंत्र नहीं सिखायाफिर मैं तुम्हारे कान में कोई मंत्र कैसे फूंक दूंइसलिए व्यर्थ में उपदेश पाने का प्रयास न करोअपनी जिद्द छोड़ दो और अपनी जान से मत खेलोतुम मुझे ही अपने कर्मों और विचारों का लक्ष्य बना लोसिर्फ मेरा ही ध्यान करो तो तुम्हारा पारमार्थ सफल होगातुम मेरी और अनन्य भाव से देखो तो मैं भी तुम्हारी ओर अनन्य भाव से देखूंगाइस मस्जिद में बैठकर मैं कभी असत्य नहीं बोलूंगाकि शास्त्र या साधना की जरूरत नहीं हैकेवल गुरु में विश्वास करना ही पर्याप्त हैकेवल यही विश्वास रखो कि गुरु ही कर्त्ता हैवही मनुष्य धन्य है जो गुरु की महानता को जानता हैजो गुरु को ही सब कुछ समझता हैवही धन्य हैक्योंकि फिर जानने के लिए कुछ भी बाकी नहीं रहता|"


बाबा के इन वचनों को सुनकर राधाबाई के मन को बड़ी शांति मिलीआँखें भर आयींफिर बाबा के चरण स्पर्श करके उसने अपना अनशन त्याग दिया|


कल चर्चा करेंगे..सब के प्रति प्रेम-भाव रखो

ॐ सांई राम
ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं

बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

Saturday, 26 November 2022

श्री साईं लीलाएं - साठे पर बाबा की कृपा

 ॐ सांई राम



कल हमने पढ़ा था.. छिपकली बहनों का मिलन
 


श्री साईं लीलाएं - साठे पर बाबा की कृपा


साठे मुम्बई के प्रसिद्ध व्यापरी थेएक बार उन्हें अपने व्यापार में बहुत हानि उठानी पड़ीजिससे वे बहुत उदास-निराश हो गयेउनके मन में घर-बार छोड़कर एकांतवास करने के विचार पैदा होने लगेसाठे की ऐसी स्थिति देखकर उनके एक मित्र ने उनसे कहा - "साठे ! तुम शिरडी चले जाओ और वहां पर कुछ दिन साईं बाबा की संगत में रहोसत्संग में रहकर व्यक्ति निश्चित हो जाता है और साईं बाबा तो वैसी भी साक्षात् ईशावतार हैंआज तक बाबा के दरबार से कोई भी निराश होकर नहीं लौटा हैइसलिए लोग बड़ी दूर-दूर से उनके दर्शन करने के लिये शिरडी जाते हैंयदि मेरी बात मानो तो तुम भी एक बार शिरडी जाकर देख लोयदि बाबा चाहेंगे तो तुम्हारी भी झोली भर देंगे|"मित्र की बातों का साठे पर एकदम सीधा प्रभाव पड़ावे शिरडी गयेशिरडी पहुंचकर जब उन्होंने साईं बाबा के दर्शन किये तो मन को बहुत शांति मिलीउन्हें एक नया हौसला मिलावे सोचने लगे कि पिछले जन्म के शुभ कर्मों के कारण ही उन्हें साईं बाबा का सान्निध्य प्राप्त हुआ है साठे ने शिरडी में रहकर 'गुरुचरित्रग्रंथ का पारायण शुरू कर दियापारायण की आखिरी रात में उन्हें स्वप्न दिखाई पड़ा कि बाबा स्वयं गुरुचरित्र ग्रंथ हाथ में लिए हुए उस पर प्रवचन कर रहे हैं और वह सामने बैठकर सुन रहे हैंनींद खुलने पर उन्हें प्रसन्नता हुई और स्वप्न को याद कर उनका गला भर आया|

सुबह होने पर साठे काका साहब दीक्षित से मिले और अपना रात्रि का स्वप्न बताकर उसके बारे में पूछातब काका असमर्थता जताते हुएउनके साथ जाकर बाबा से मिलेपूछने पर बाबा ने बताया - "साठेगुरुचरित्र पढ़ने से मन शुद्ध होता हैविचार पवित्र बनते हैंअब तुम मेरी आज्ञा से एक सप्ताह का पारायण और करो तो तुम्हारा कल्याण होगाईश्वर प्रसन्न होकर तुम्हें भवबंधन से मुक्ति देंगे|" साठे की समस्या का समाधान हो गया और बाबा की अनुमति लेकर वे अपने ठहरने के स्थान पर लौट आये|


कल चर्चा करेंगे..माँ! मेरे गुरु ने तो मुझे केवल प्यार करना ही सिखाया है      

ॐ सांई राम
ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं


बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

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बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.