ॐ सांई राम
"ना कर ग़म की तेरा दामन है ख़ाली"
भरना जो चाहे तू झोली ये ख़ाली
तू साईं के दर पे चला जा सवाली
है जिस दर पे मिलता सुखों का ख़जाना
है जिस दर पे झुकता सारा ज़माना
वहां इस जहाँ की हकीक़त मिलेगी
हर दिल में उसकी इबादत मिलेगी
वहां तेरी झोली रहेगी ना ख़ाली
वहां तेरा दामन रहेगा ना ख़ाली
हैं शिर्डी में बैठे मेरे साईं बाबा
वहीँ पे है काशी वहीँ पे है काबा
हर दिल में बसते हैं मेरे साईं
दीन-ए-इलाही हैं मेरे साईं
आंसू तेरा कोई जाये ना ख़ाली
है तुझको तमन्ना अगर ज़िन्दगी की
खा ले कसम फिर साईं बंदगी की
श्रद्धा सबुरी को इबादत बना ले
दुनिया से खुद को ऊपर उठा ले
ये दुनिया तुझे कुछ नहीं देने वाली