ॐ सांँई राम जी
ज्यूँ बंसी को मिले सात सुर श्याम के लब से पूरे है
हम भी तो साँई जी तेरे बिना बिल्कुल अधूरे हैं
गर इक तू ना मिलता तो तो बिन तार के तंबूरे हैं
नाम जानती हैं दुनिया आज जबसे तेरे संग जुड़े हैं
विश्वास तुम पर अगली सांस से भी ज्यादा हैं
जीवन भर साथ निभाने का तुमसे मांगते वादा हैं
हम कुछ यूँ जुड़ गए तुम संग मेरे साँई जी
ज्यूँ राधा के बिना श्याम भी अब आधा हैं
ना तू मुझ बिन ना मैं तुझ बिन रह पाँऊ
एक पल भी जुदाई का ना मैं अब सह पाँऊ
तू मुझमें और मैं तुझ में इस कदर बस जाँऊ
कैसी भी विकट घड़ी हो तेरा नाम लू और हँस जाऊं
नागिन सी डसती हैं जमाने भर की बातें
एक तुम ही क्यों साँईश्वर मुझको हो भाते
साँई साँई क्यूं तू हरपल रटता ही रहता हैं
नादान हैं क्या जाने कि इस देह में तू ही बसता हैं