ॐ सांई राम
जिस हाल में रखे साई
उस हाल में रहते जाओ
तुफंनों से क्या घबराना
तूफानों में बहते जाऊ
उस हाल में रहते जाओ
तुफंनों से क्या घबराना
तूफानों में बहते जाऊ
गम और ख़ुशी की रातें
सब हैं उसकी सौगांते
देनेवाला जो दे दे
हंस-हंसके सहते जाओ
जिस हाल में रखे साई .......
तुम दूर नहीं मंजिल से
बस दिल को लगालो दिल से
और उसके गले से लगकर
जो कहना है कहते जाओ
जिस हाल में रखे साई .......
सब हैं उसकी सौगांते
देनेवाला जो दे दे
हंस-हंसके सहते जाओ
जिस हाल में रखे साई .......
तुम दूर नहीं मंजिल से
बस दिल को लगालो दिल से
और उसके गले से लगकर
जो कहना है कहते जाओ
जिस हाल में रखे साई .......
हुक्म-ए-साई में रहकर ज़रा देख ले -
देख होता है फिर क्या से क्या देखले
तू अग़र नेक नियत है उसके लिए
तुझको मिल जाएगा वो कहीं ना कहीं
उसके दीदार की जुस्तजू के लिए
मंदिरों मस्जिदों की ज़रुरत नहीं
झाँककर अपने अंदर खुदा देखले
हुक्म-ए-साई में रहकर ........
देख होता है फिर क्या से क्या देखले
तू अग़र नेक नियत है उसके लिए
तुझको मिल जाएगा वो कहीं ना कहीं
उसके दीदार की जुस्तजू के लिए
मंदिरों मस्जिदों की ज़रुरत नहीं
झाँककर अपने अंदर खुदा देखले
हुक्म-ए-साई में रहकर ........
चाहे दुनिया से बेशक जले दिल तेरा
सारी दुनिया को तू मुस्कुरा के दिखा
हर मुसीबत में आराम की सांस ले
हर मुसीबत को हंसके भुला के दिखा
आजमाइश का ये सिलसिला देख ले
हुक्म-ए-साई में रहकर ........
मांगना है तो उससे उसे मांग ले
बात बनती है उसकी शरण मांगकर
कितनी होगी फिर उसकी दया देखले
हुक्म-ए-साई में रहकर ........
सारी दुनिया को तू मुस्कुरा के दिखा
हर मुसीबत में आराम की सांस ले
हर मुसीबत को हंसके भुला के दिखा
आजमाइश का ये सिलसिला देख ले
हुक्म-ए-साई में रहकर ........
मांगना है तो उससे उसे मांग ले
बात बनती है उसकी शरण मांगकर
कितनी होगी फिर उसकी दया देखले
हुक्म-ए-साई में रहकर ........
आसमान पे उड़ानों से क्या फायदा
ये समज ले तेरी हकीकत है क्या
तू है पानी का इक बुलबुला नासमाज
एक दिन तू हवाओं में उड़ जाएगा
साई रस्ते में परमात्मा देखले
हुक्म-ए-साई में रहकर ........
ये समज ले तेरी हकीकत है क्या
तू है पानी का इक बुलबुला नासमाज
एक दिन तू हवाओं में उड़ जाएगा
साई रस्ते में परमात्मा देखले
हुक्म-ए-साई में रहकर ........