शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Tuesday, 30 May 2017

श्री साईं लीलाएं - माँ का चुम्बन लेने में क्या दोष है?

ॐ सांई राम



कल हमने पढ़ा था.. सब कुछ गुरु को अर्पण करता चल     

श्री साईं लीलाएं

माँ का चुम्बन लेने में क्या दोष है?

साईं बाबा के एक भक्त थे दामोदर घनश्याम बावरेलोग उन्हें 'अण्णा चिंचणीकरके नाम से जानते थेसाईं बाबा पर उनकी इतनी आस्था था कि वे कई वर्ष तक शिरडी में आकर रहेअण्णा स्वभाव से सीधेनिर्भीक और व्यवहार में रूखे थेकोई भी बात उन्हें सहन न होती थीपर मन में कोई कपट नहीं थाजो कुछ भी कहना होता थादो टूक कह देते थेअंदर से एकदम कोमल दिल और प्यार करने वाले थेउनके इसी स्वभाव के कारण ही बाबा भी उन्हें विशेष प्रेम करते थे|एक बार दोपहर के समय बाबा अपना बायां हाथ कट्टे पर रखकर आराम कर रहे थेसभी भक्त स्वेच्छानुसार बाबा के अंग दबा रहे थेबाबा के दायीं ओर वेणुबाई कौजलगी नाम की एक विधवा भी बाबा की सेवा कर रही थीसाईं बाबा उन्हें माँ कहकर पुकारते थेजबकि अन्य सभी भक्त उन्हें 'मौसीबाईकहा करते थेमौसीबाई बड़े सरल स्वभाव की थीउसे भी हँसी-मजाक करने की आदत थीउस समय वे अपने दोनों हाथों की उंगलियां मिलाकर बाबा का पेट दबा रही थींजब वे जोर लगाकर पेट दबातीं तो पेट व कमर एक हो जाते थेदबाव के कारण बाबा भी इधर-उधर हो जाते थेअण्णा चिंचणीकर भी बाबा की दूसरी ओर बैठे सेवा कर रहे थेहाथों को चलाने से मौसीबाई का सिर ऊपर से नीचे हो रहा थादोनों ही सेवा करने में व्यस्त थेइतने में अचानक मौसीबाई का हाथ फिसला और वह आगे की तरफ झुक गयी और उनका मुंह अण्णा के मुंह के सामने हो गया|मौसीबाई मजाकिया स्वभाव की तो थी हीवह एकदम से बोली - "अण्णा तुम मेरे से पप्पी (चुम्बन) मांगते होअपने सफेद बालों का ख्याल तो किया होतातुम्हें जरा भी शर्म नहीं आती?" इतना सुनते ही अण्णा गुस्से के मारे आगबबूला हो गये और अनाप-शनाप बकने लगे - "क्या मैं मुर्ख हूंतुम खुद ही मुझसे छेड़छाड़ कर झगड़ा कर रही हो|" अब मौसी का भी दिमाग गरम हो गयादोनों में तू-तूमैं-मैं बढ़ गयीवहां उपस्थित अन्य भक्त इस विवाद का आनंद ले रहे थेबाबा दोनों से बराबर का प्रेम करते थेकुछ देर तक तो बाबा इस तमाशे को खामोशी से देखते रहेफिर इस विवाद को शांत करते हुए बाबा अण्णा से बोले - "अण्णा ! क्यों इतना बिगड़ता हैअरेअपनी माँ की पप्पी लेने में क्या दोष है?"बाबा का ऐसा कहते ही दोनों एकदम से चुप हो गये और फिर आपस में हँसने लगे तथा बाबा के भक्तजन भी ठहाका हँसी में शामिल हो गये|

कल चर्चा करेंगे..बाबा के सेवक को कुछ न कहना, बाबा गुस्सा होंगे        

ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

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बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.