शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Tuesday, 4 November 2014

श्री गुरु अर्जन देव जी - श्री गुरु अर्जन देव जी गुरु गद्दी मिलना

श्री गुरु अर्जन देव जी - श्री गुरु अर्जन देव जी गुरु गद्दी मिलना





श्री गुरु अर्जन देव जी गुरु गद्दी मिलना

आप अपने ननिहाल घर में ही पोषित और जवान हुए| इतिहास में लिखा है एक दिन आप अपने नाना श्री गुरु अमर दास जी के पास खेल रहे थे तो गुरु नाना जी के पलंघ को आप पकड़कर खड़े हो गए| बीबी भानी जी आपको ऐसा देखकर पीछे हटाने लगी| गुरु जी अपनी सुपुत्री से कहने लगे बीबी! यह अब ही गद्दी लेना चाहता है मगर गद्दी इसे समय डालकर अपने पिताजी से ही मिलेगी| इसके पश्चात गुरु अमर दास जी ने अर्जन जी को पकड़कर प्यार किया और ऊपर उठाया| आपजी का भारी शरीर देखकर वचन किया जगत में यह भारी गुरु प्रकट होगा| बाणी का जहाज़ तैयार करेगा और जिसपर चढ़कर अनेक प्रेमियों का उद्धार होगा| इस प्रथाए आप जी का वरदान वचन प्रसिद्ध है-
"दोहिता बाणी का बोहिथा||"गुरु रामदास जी द्वारा श्री अर्जन देव जी को लाहौर भेजे हुए जब दो वर्ष बीत गए| पिता गुरु की तरफ से जब कोई बुलावा ना आया| तब आपने अपने ह्रदय की तडप को प्रकट करने के लिए गुरु पिता को चिट्ठी लिखी -
राग माझ || महला ५ चउपदे घरु १ ||
१. मेरा मनु लोचै गुर दरसन ताई || बिलाप करे चात्रिक की निआई || त्रिखा न उतरै संति न आवै बिनु दरसन संत पिआरे जीउ || १ || हउ घोली जीउ घोली घुमाई गुर दरसन संत पिआरे जीउ || १ || रहाउ ||

जब इस चिट्ठी का कोई उत्तर ना आया तो आपने दूसरी चिट्ठी लिखी -

२. तेरा मुखु सुहावा जीउ सहज धुनि बाणी || चिरु होआ देखे सारिंग पाणी || धंनु सु देसु जहा तूं वसिआ मेरे सजण मीत मुरारे जीउ || २ || हउ घोली हउ घोल घुमाई गुरु सजण मीत मुरारे जीउ || १ || रहाउ ||
जब इस चिट्ठी का भी उत्तर ना आया तब आपने तीसरी चिट्ठी लिखी - 

३. एक घड़ी न मिलते ता कलियुगु होता || हुणे कदि मिलीए प्रीअ तुधु भगवंता || मोहि रैणि न विहावै नीद न आवै बिनु देखे गुर दरबारे जीउ || ३ || हउ घोली जीउ घोलि घुमाई तिसु सचे गुर दरबारे जीउ || १ || रहाउ ||
गुरूजी ने जब आपकी यह सारी चिट्ठियाँ पड़ी तो गुरूजी ने बाबा बुड्डा जी को लाहौर भेजकर गुरु के चक बुला लिया| आप जी ने गुरु पिता को माथा टेका और मिलाप की खुशी में चौथा पद उच्चारण किया - 

४. भागु होआ गुरि संतु मिलाइिआ || प्रभु अबिनासी घर महि पाइिआ || सेवा करी पलु चसा न विछुड़ा जन नानक दास तुमारे जीउ || ४ || हउ घोली जीउ घोलि घुमाई जन नानक दास तुमारे जीउ || रहाउ || १ || ८ || (पन्ना ९३ - ९७)
गुरु पिता प्रथाए अति श्रधा और प्रेम प्रगट करने वाली यह मीठी बाणी सुनकर गुरु जी बहुत खुश हुए| उन्होंने आपको हर प्रकार से गद्दी के योग्य मानकर भाई बुड्डा जी और भाई गुरदास आदि सिखो से विचार करके आपने भाद्र सुदी एकम संवत् 1639 को सब संगत के सामने पांच पैसे और नारियल आपजी के आगे रखकर तीन परिक्रमा करके गुरु नानक जी की गद्दी को माथा टेक दिया| आपने सब सिख संगत को वचन किया कि आज से श्री अर्जन देव जी ही गुरुगद्दी के मालिक हैं| इनको आप हमारा ही रूप समझना और सदा इनकी आज्ञा में रहना| 

बाबा प्रिथी चंद जी का तीक्षण वोरोध और झगड़ा देखकर गुरु जी ने बाबा बुड्डा जी आदि बुद्धिमान सिखो को कहा कि हमारा अन्त समय नजदीक आ गया है और हम गोइंदवाल जाकर शांति से अपना शरीर त्यागना चाहते हैं| दूसरे दिन प्रातःकाल गुरु जी श्री अर्जन देव जी, बीबी भानी जी सहित कुछ सिख सेवको को साथ लेकर गोइंदवाल पहुँच गए| दूसरे दिन सुबह दीवान सजाकर संगत को वचन किया हमारा अन्तिम समय नजदीक आगया है और हमने गुरु गद्दी श्री अर्जन देव जी को दे दी है|

इस प्रकार गुरु राम दास जी ने 1639 विक्रमी मुताबिक 1 सितम्बर 1591 को गोइंदवाल जाकर गुरु पद का तिलक दे दिया और आप भाद्रव सुदी तीज को पांच तत्व का शरीर त्यागकर अपने आत्मिक स्वरूप में विलीन हो गए| हरबंस भट्ट अपने सवैये में लिखते हैं-
हरिबंस जगति जसु संचर्यउ सु कवणु कहैं स्री गुरु मुयउ||१|| 

देव पुरी महि गयउ आपि परमेसुर भायउ||

हरि सिंघासणु दीअउ सिरी गुरु तह बैठायउ|| 

(श्री गुरु ग्रंथ साहिब पन्ना १४०९)

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बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.