शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Monday, 3 November 2014

श्री गुरु अर्जन देव जी जीवन-परिचय


श्री गुरु अर्जन देव जी जीवन-परिचय







Parkash Ustav (Birth date): April 15, 1563, at Goindwal in Distt. Amritsar, Punjab. 
प्रकाश उत्सव (जन्म की तारीख): 15 अप्रैल 1563, जिला में गोइंदवाल में. अमृतसर, पंजाब.

Father: Guru Ramdas ji 
पिता: गुरु रामदास जी


Mother: Bibi Bhani ji 
माँ: बीबी भानी जी


Sibling: Prithi chand, Mahadev (brothers) 
सहोदर: प्रीथी चंद, महादेव (भाई)


Mahal (spouse): Mata Ganga ji D/o Krishen Chand, Meo village, Distt. Jullandhar 
महल (पति या पत्नी): माता गंगा जी पुत्री कृष्ण चंद, मेव गांव, जिला. जालंधर


Sahibzaday (offspring): Hargobind ji 
साहिबज़ादे (वंश): हरगोबिंद जी


Joti Jyot (ascension to heaven): May 30, 1606 
ज्योति ज्योत (स्वर्ग करने के उदगम): 30 मई 1606


रामदासि गुरु जगत तारन कउ गुरु जोति सु अर्जन माहि धरी||

श्री गुरु अर्जन देव जी का जन्म 18 वैशाख 7 संवत 1620 को श्री गुरु राम दास जी के घर बीबी भानी जी की पवित्र कोख से गोइंदवाल अपने ननिहाल घर में हुआ|

आप अपने ननिहाल घर में ही पोषित और जवान हुए| इतिहास में लिखा है एक दिन आप अपने नाना श्री गुरु अमर दास जी के पास खेल रहे थे तो गुरु नाना जी के पलंघ को आप पकड़कर खड़े हो गए| बीबी भानी जी आपको ऐसा देखकर पीछे हटाने लगी| गुरु जी अपनी सुपुत्री से कहने लगे बीबी! यह अब ही गद्दी लेना चाहता है मगर गद्दी इसे समय डालकर अपने पिताजी से ही मिलेगी| इसके पश्चात गुरु अमर दास जी ने अर्जन जी को पकड़कर प्यार किया और ऊपर उठाया| आपजी का भारी शरीर देखकर वचन किया जगत में यह भारी गुरु प्रकट होगा| बाणी का जहाज़ तैयार करेगा और जिसपर चढ़कर अनेक प्रेमियों का उद्धार होगा| इस प्रथाए आप जी का वरदान वचन प्रसिद्ध है-
"दोहिता बाणी का बोहिथा||"



बीबी भानी जी ने जब पिता गुरु से यह बात सुनी तो बालक अर्जन जी को उठाया और पिता के चरणों पर माथा टेक दिया| इस तरह अर्जन देव जी ननिहाल घर में अपने मामों श्री मोहन जी और श्री मोहरी जी के घर में बच्चों के साथ खेलते और शिक्षा ग्रहण की|

जब आप की उम्र 16 वर्ष की हो गई तो 23 आषाढ़ संवत 1636 को आपकी शादी श्री कृष्ण चंद जी की सुपुत्री गंगा जी तहसील फिल्लोर के मऊ नामक स्थान पर हुई| आप जी की शादी के स्थान पर एक सुन्दर गुरुद्वारा बना हुआ है| इस गाँव में पानी की कमी हो गई थी| आपने एक कुआं खुदवाया जो आज भी उपलब्ध है|

For Donation

For donation of Fund/ Food/ Clothes (New/ Used), for needy people specially leprosy patients' society and for the marriage of orphan girls, as they are totally depended on us.

For Donations, Our bank Details are as follows :

A/c - Title -Shirdi Ke Sai Baba Group

A/c. No - 200003513754 / IFSC - INDB0000036

IndusInd Bank Ltd, N - 10 / 11, Sec - 18, Noida - 201301,

Gautam Budh Nagar, Uttar Pradesh. INDIA.

बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.