शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Wednesday 4 June 2014

रामायण के प्रमुख पात्र - श्रीरामभक्त विभीषण

ॐ श्री साँईं राम जी


महर्षि विश्रवाको असुर कन्या कैकसीके संयोगसे तीन पुत्र हुए - रावण, कुम्भकर्ण और विभीषण| विभीषण विश्रवाके सबसे छोटे पुत्र थे|बचपनसे ही इनकी धर्माचरणमें रुचि थी| ये भगवान् के परम भक्त थे| तीनों भाइयोंने बहुत दिनोंतक कठोर तपस्या करके श्रीब्रह्माजीको प्रसन्न किया| ब्रह्माने प्रकट होकर तीनोंसे वर माँगनेके लिये कहा - रावणने अपने महत्त्वाकांक्षी स्वभावके अनुसार श्रीब्रह्माजीसे त्रैलोक्य विजयी होनेका वरदान माँगा, कुम्भकर्णने छ: महीनेकी नींद माँगी और विभीषणने उनसे भगवद्भक्तिकी याचना की| सबको यथायोग्य वरदान देकर श्रीब्रह्माजी अपने लोक पधारे| तपस्यासे लौटनेके बाद रावणने अपने सौतेले भाई कुबेरसे सोनेकी लंकापूरीको छीनकर उसे अपनी राजधानी बनाया और ब्रह्माके वरदानके प्रभावसे त्रैलोक्य विजयी बना| ब्रह्माजीकी सृष्टिमें जितने भी शरीरधारी प्राणी थे, सभी रावणके वशमें हो गये| विभीषण भी रावणके साथ लंकामें रहने लगे|

रावणने जब सीताजीका हरण किया, तब विभीषणने परायी स्त्रीके हरणको महापाप बताते हुए सीताजीको श्रीरामको लौटा देनेकी उसे सलाह दी| किन्तु रावणने उसपर कोई ध्यान न दिया| श्रीहनुमान् जी सीताकी खोज करते हुए लंकामें आये| उन्होंने श्रीरामनामसे अंकित विभीषणका घर देखा| घरके चारों ओर तुलसीके वृक्ष लगे हुए थे| सूर्योदयके पूर्वका समय था, उसी समय श्रीराम-नामका स्मरण करते हुए विभीषणजी की निद्रा भंग हुई| राक्षसोंके नगरमें श्रीरामभक्तको देखकर हनुमान् जीको आश्चर्य हुआ| दो रामभक्तोंका परस्पर मिलन हुआ| श्रीहनुमान् जीका दर्शन करके विभीषण भाव विभोर हो गये| उन्हें ऐसा प्रतीत हुआ कि श्रीरामदूतके रूप में श्रीरामने ही उनको दर्शन देकर कृतार्थ किया है| श्रीहनुमान् जी ने उनसे पता पूछकर अशोकवाटिकामें माता सीताका दर्शन किया| अशोकवाटिका-विध्वंस और अक्षयकुमारके वधके अपराधमें रावण हनुमान् जी को प्राणदण्ड देना चाहता था| उस समय विभीषणने ही उसे दूतको अवध्य बताकर हनुमान् जी को कोई और दण्ड देनेकी सलाह दी| रावणने हनुमान् जी की पूँछमें आग लगानेकी आज्ञा दी और विभीषणके मन्दिरको छोड़कर सम्पूर्ण लंका जलकर राख हो गयी|

भगवान् श्रीरामने लंकापर चढ़ायी कर दी| विभीषणने पुन: सीताको वापस करके युद्धकी विभीषणको रोकनेकि रावणसे प्रार्थना की| इसपर रावणने इन्हें लात मारकर निकाल दिया| ये श्रीरामके शरणागत हुए| रावण सपरिवार मारा गया| भगवान् श्रीरामने विभीषणको लंकाका नरेश बनाया और अजर-अमर होने का वरदान दिया| विभीषणजी सप्त चिरंजीवियों एक हैं और अभीतक विद्यमान हैं|

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बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.