शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Friday 28 May 2010

Shirdi Sai Wallpapers

ॐ सांई राम


जहाँ जहाँ मैं जाता साई


गीत तुम्हारे गाता, गीत तुम्हारे गता

मेरे मन मन्दिर मैं साई, तुमने ज्योत जगाई

बिच भवर में उल्जी नैया, तुमने पार लगाई

इस दुनिया के दुखियारों से,तुमने जोड़ा नाता

मैं गीत तुम्हारे गाता

साई मेरे तुम ना होते, देता कौन सहारा

इस दुनिया की डगर डगर पर, फिरता मारा मारा

जिसको किस्मत ठुकरा देत, तू उसके भाग जगाता,

मैं गीत तुम्हारे गाता

मस्जिद मन्दिर गुरुद्वारे मैं, साई तुम्ही समाये

गंगाजल और आबे जाम जाम, तुमने एक बनायें,

मेरी बिनती सुन लो बाबा, कबसे तुम्हे बुलाता,

मैं गीत तुम्हारे गाता


करो कबूल, करो कबूल



करो कबूल हमारा प्रणाम साइजी

तुम्हारी एक नज़र हो तो बात बन जाए

अँधेरे मैं भी किरण, रौशनी की लेहेराए

के तुमने सबके बनाए हैं काम साइजी

तुम्हारे दर पे ..................

तुमसे करता हूँ मोहबात कहा जाऊँ मैं

इस ज़माने मैं कोई तुमसा कहा पाऊ मैं

जब से देखा है के तुम दिल मैं बसे साइजी

तुम्हारे दर पे ..................

किसी गरीब को, खाली ना तुम ने लौटाया

वोह झोली भर के गया, खाली हाथ जो आया

इसीलिए तो है तुम्हारा है नाम साइजी

तुम्हारे दर पे ..................

तुम्ही तो हो जो गरीबों का हाल सुनते हो

तमाम दर्द के मारो का दर्द, सुनते हो

जभी तो आता हैं हर ख़ास आम साइजी

तुम्हारे दर पे .................. 



कहाँ कहाँ से लोग आते हैं बाबा के दरबार मैं



साई के दरबार मैं

दिल के दुखडे मिट जाते हैं, साई के दरबार मैं,

बाबा के दरबार मैं

कहाँ कहाँ से (२)

अपना अपना रंग हो चाहे, लाखो है तस्वीरे (२)

साई के हाथों पर लिखी है, हम सब की तकदीरें

बड़ा हो छोटा (२)

बड़ा हो छोटा, जूक जाते हैं, साई के दरबार मैं

बाबा के दरबार मैं

कहाँ कहाँ से (२)

सबके मन की बातें जाने, सबको यह पहेचाने

सदियों तक गूंजेंगे इसके, गली गली अफ़साने (२)

आसूं मोंती (२)

आसूं मोंती बन जाते है साई के दरबार मैं,

बाबा के दरबार मैं

कहाँ कहाँ से (२)

यह वोह दर है रोज यहाँ पर मेले

भक्त यहाँ पर आ जाते हैं,

मस्ताने अलबेले (२)

अपनी धुन मैं ये गाते हैं, साई के दरबार मैं बाबा के दरबार मैं

कहाँ कहाँ से (२)


तू मारे या तारे (२)



साईं बाबा ! हम हैं दास तुम्हारे (२)

जब से अपनी आँख खुली हैं

दिन उजला हैं, और सब उजाला हैं

जागे भाग्य हमारे (२)

साईं बाबा..............

सदियों से हैं परदे दिल पर

आ पहुंचे अपनी मंजिल पर

आखिर तेरे सहारे (२)

साईं बाबा..............

हम तडपत हैं तेरे दर्शन को

मांगत है तुजसे तेरे मन को

कबसे हाथ पसारे (२)

साईं बाबा..............


खोज मैं तेरी नीर बहाए

जाने और कहाँ ले जाये

इन अँखियाँ के धारे (२)

साईं बाबा..............

हम क्या हैं सब जान लिया हैं

कहना तेरा मान लिया हैं

तुम जीते हम हारे (२)

साईं बाबा..............

हर संकट हर पीड़ा को देखो

भक्त जानो की पीड को देखो

कोई ना पत्थर मारे (२)

साईं बाबा..............


साईं नाम के मोती लूट ले


करले आज कमाई,



के बोलो हरि ॐ साईं



के बोलो हरि ॐ साईं....



नाम सहारे सब ने बिगड़ी बनाई



के बोलो हरि ॐ साईं



के बोलो हरि ॐ साईं..



राम रतन अनमोल है प्यारे



जीवन के परम सहारे.



बन के खिवैया साईं नाथ



ने नैया पार लगाई



के बोलो हरी ॐ साईं........



शिर्डी मै बैठे है साईं हमारे



भक्त जनों की आँख के तारे...



सब का मालिक एक है



बन्दे बात सब को बताई



की बोलो हरि ॐ साईं...



पानी के दीपक बाबा जलाये



नीम को छुकर मीठा बनाये



साईं बाबा श्याम सलोने



साईं बाबा रगुराई...



के बोलो हरि ॐ साईं..















Thursday 20 May 2010

Tuesday 11 May 2010

ॐ सांई राम

ॐ सांई राम

खाना खाना एक पवित्र अनुष्ठान की तरह है, एक यझ है. इसे चिंता या भावनात्मक क्षणों के दौरान नहीं किया जाना चाहिए। भोजन को भूख के बीमारी के लिए दवा के रूप में लिया जाना चाहिए और यह जीवन के लिए जीविका के रूप में है। तुम्हे आने वाले परिशानियो को देखकर अपने लिए भाग्यशाली मौका समझना चाहिए ताकि आप इस अवसर का उपयोग अपने आपको मन और आत्मिक शक्ति का विकास कर सकेंगे।



Eating food is a holy ritual, a Yajna. It should not be performed during moments of anxiety or emotional upheavals. Food should be considered as medicine for the illness of hunger and as the sustenance for life. Treat each trouble you encounter as a fortunate opportunity to develop your strength of mind and toughen you spiritually.

For Donation

For donation of Fund/ Food/ Clothes (New/ Used), for needy people specially leprosy patients' society and for the marriage of orphan girls, as they are totally depended on us.

For Donations, Our bank Details are as follows :

A/c - Title -Shirdi Ke Sai Baba Group

A/c. No - 200003513754 / IFSC - INDB0000036

IndusInd Bank Ltd, N - 10 / 11, Sec - 18, Noida - 201301,

Gautam Budh Nagar, Uttar Pradesh. INDIA.

बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.