शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Thursday, 30 December 2010

आओ साईं - Aaj Ka Sai Sandesh


ॐ सांई राम


  


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Tuesday, 28 December 2010

शिर्डी साई बाबा की सुबह की आरती

ॐ सांई राम
शिर्डी साई बाबा की सुबह की आरती
मराठी मे हिन्दी अनुवाद के साथ
जोडूनिया कर (भूपाळी)
(
संत तुकाराम इस आरती के रचनाकार
)
जोडूनिया कर चरणी ठेविला माथा

परिसावी विनंती माझी सदगुरुनाथा ।।
मै हाथ जोड्कार अपना माथा आपके चरणों मे रखता हूँ।
है सदगुरु नाथ, आप मेरी विनती सुनिए

असो नसो भाव आलो तुझिया ठाया
कृपादॄष्टी पाहे मजकडे सदगुरूराया
मुझमें भाव हो हो, मै आपकी शरण मे आया हूँ
हे सदगुरूराया, मुझको अपनी कृपादॄष्टी दीजिये
अखंडित असावे ऐसे वाटते पायी
सांडूनी संकोच ठाव थोडासा देई
मै सतत् आपके चरणों में रहूँ,ऐसी मेरी विनती है।
इसीलिए निस्संकोच होकर मुझे अपनी शरण में थोडी सी जगह दीजिए।
तुका म्हणे देवा माझी वेदीवाकुडी
नामे भवपाश हाती आपुल्या तोडी
तुका कहतें है, मै जिस भी तुच्छ रूप से आपको पुकारूँ,हे देव, अपने हाथों से मेरे सांसारिक बन्धनों को तोड़ देना


शिर्डी साई बाबा की सुबह की आरती उठा पांडुरंगा के सब्दः मराठी मे हिन्दी अनुवाद के साथ
२. उठा पांडुरंगा(भूपाली)
(
संत जनाबाई रचित आरती
)

उठा पांडुरंगा आता प्रभातसमयो पातला

वैष्णवांचा मेळा गरुदापारी दाटला ।। 1 ।।
हे पांडुरंग(पंढरपुर के अवतार-विठ्ठल भगवान, जो भगवान विष्णु के अवतार् माने जाते हैं) उठिए, अब प्रातः बेला आई है।
गरुडपार(वैष्णव मन्दिरों में गरूण चबूतरा,जिस पर गरूड स्तम्भ स्थापित होत है) में वैष्णव भक्त भारी संख्या में एकत्रित हो गए हैं।
गरुडपारापासुनी महाद्घारा-पर्यत
सुरवरांची मांदी उभी जोडूनियां हात ।। 2 ।।
गरुड़पार से लेकर महाद्वार(मन्दिर का मुख्य द्वार) तक,देवतागण दोनों हाथ जोड़कर दर्शन हेतु खड़े हैं
शुक-सनकादिक नारद-तुबंर भक्तांच्या कोटी |
त्रिशूल डमरु घेउनि उभा गिरिजेचा पती ।। 3 ।।
इनमें शुक-सनक (एक श्रेष्ठ मुनी का नाम), नारद-तुंबर(एक श्रेष्ठ भक्त)जैसे श्रेष्ठ कोटि के भक्त हैं।
गिरिजापती शंकर भी त्रिशूल और डमरू लेकर खड़े हैं।
कलीयुगींचा भक्त नामा उभा कीर्तनीं
पाठीमागे उभी डोळा लावुनिया जनी ।। 4 ।।
कलियुग के श्रेष्ठ भक्त नामदेव आपकी महिमा का गान कर रहे हैं।
उनके पीछे जनी(नाम देव की दासी जो विठ्ठल महाराज की अनन्य भक्त थीं)आप में भाव-विभोर हो कर खड़ी हैं।

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शिर्डी साई बाबा आरती मराठी हिन्दी अनुवाद के साथ
३. उठा उठा (भूपाली)
श्री कृष्ण जोगिस्वर भीष्म इस आरती के रचनाकार

उठा उठा श्री साईनाथ गुरु चरणकमल दावा ।
आधि-व्याधि भवताप वारुनी तारा जडजीवा ।। ध्रु. ।।

हे श्री गुरु साई नाथ, उठिए, हमें अपने चरण्-कमलों के दर्शन दीजिए।
हमारे समस्त मानसिक शारीरिक कष्टों और सांसारिक क्लेशों का हरण् करके, हम देहधारी जीवों का तारण करिए।
गेली तुम्हां सोडुनिया भवतमरजनी विलया |
परि ही अग्य्यानासी तुमची भुलवी योगमाया ||

सांसारिक अग्यानरूपी अंधकार आपको छोड चुका है।
परन्तु हम अग्यानी लोगों को आपकी योगमाया भ्रम में डाल रही है।
शक्ति न आम्हां यत्किंचितही तिजला साराया ।
तुम्हीच तीते सारुनि दावा मुख जन ताराया ।। चा. ।।

हममें इस माया को दूर करने की किंचित भी क्षमता नहीं,इसलिए आप इस माया के पर्दे को हटाकर लोगों को तारने के लिये अपना मुखदर्शन दीजिए।
भो साइनाथ महाराज भवतिमिरनाशक रवी ।
अग्यानी आम्ही किती तव वर्णावी थोरवी ।
ती वर्णिता भागले बहुवदनि शेष विधि कवी ।। चा. ।।

हे साई नाथ महाराज, आप इस संसार के अन्धकार को नष्ट करने वाले सूर्ये हैं।
हम अग्यानी हैं, हम आपकी महिमा का क्या बखान करें।
अनेक शीर्ष वाले आदिशेष(शेषनाग), ब्रह्मा और प्रशस्त कवि भी जिसका बखान करते थक गए हैं।
सकृप होउनि महिमा तुमचा तुम्हीच वदवावा ।। आधि. ।। उठा.।। 1 ।।
कॄपा करके आप ही अपनी महिमा का बखान हमसे करवा लीजिए।
भक्त मनी सद्घाव धरुनि जे तुम्हां अनुसरले ।
ध्यायास्तव ते दर्शन तुमचें द्घारि उभे ठेले ।।
अपने मन में सदभाव लेकर जिन भक्तों ने आपका अनुसरण् किया,वे भक्तजन दर्शन पाने हेतु आपके द्वार पर खड़े हैं।
ध्यानस्था तुम्हांस पाहुनी मन अमुचे धाले
परि त्वद्घचनामृत प्राशायाते आतुर झाले ।। चा. ।।

हम आपको ध्यान में स्थित पाकर आनंद-विभोर हैं,परन्तु आपके वचनों का अमॄत पीने के लिए आतुर भी हैं।
उघडूनी नेत्रकमला दीनबंधु रमाकांता ।
पाही बा क्रुपाद्रुष्टि बालका जशी माता ।
रंजवी मधुरवाणी हरीं ताप साइनाथा ।। चा. ।।

हे दीनों के बन्धु, रमाकांत(भगवान विष्णु) अपने नेत्रकमल खोलकर हम पर वैसे ही क्रुपाद्रुष्टि डालिए जैसी माँ अपने बच्चों को देती है।
हे साईनाथ, आपकी मधुर वाणी हमें आनंद-विभोर करती है और हमारे समस्त कष्ट संताप हर लेती है।
आम्हीच अपुले काजास्तव तुज कष्टवितों देवा ।
सहन करिशिल ते ऐकुनि घावी भेट कृष्ण धावा ।। 2 ।। आधिव्याधि. ।। उठा उठा. ।।

हे देव हम अपनी परेशानियों से आपको बहुत कष्ट पहुँचातें हैं, फिर भी उन्हें सुनते ही वे सारे कष्ट सहकर आप दौड़कर आईए, ऐसी कॄष्ण(रचनाकार का नाम) की आपसे विनती है।
हे! श्री गुरु साईंनाथ उठिए...

 

दर्शन द्या ( संत नामदेव ) शिर्डी साई बाबा आरती
४. दर्शन द्या (भूपाली) (संत नामदेव इस आरती के रचनाकार )
उठा पांडुरंगा आता दर्शन द्या सकळा

झाला अरुणोदय सरली निद्रेची वेळा
है पांडुरंग, उठिये, अब सबको दर्शन दीजिये
सूर्योदय हो गया है और निद्रा की बेला बीत गयी है

संत साधू मुनि अवधे झालेती गोळा
सोडा शेजे सूखे आता बधु द्या मुख्कमळा
संत, साधू, मुनि, सभी एकत्रित हो गए हैं
अब आप शयन-सुख छोड़कर हमें अपने मुखकमल के दर्शन दीजिये
रंगमंड्पी महाद्वारी झालीसे दाटी
मन उताविल रूप पहावया द्रुष्टी
मण्डप से लेकार महाद्वार तक भक्तों की भीड़ है
सभी का मन आपके श्रीमुक को देखने के लिए लालायित है
राही रखुमाबाई तुम्हां येऊ द्या दया
शेजे हालवुनी जागे करा देवराया
है राही और रखुमाबाई, हम पर दया करिए
शैय्या को थोड़ा हिलाकर देव पांडुरंग को जगाईए
गरुड़ हनुमंत उभे पाहती वाट
स्वर्गीचे सुरवर घेउनि आले बोभाट ॥ ५ ॥
गरूड़ और हनुमंत दर्शन की प्रतीक्षा में खड़े हैं, स्वर्ग से देवी-देवता
आकर आप की महिमा का गान कर रहे हैं
झाले मुक्तद्वार लाभ झाला रोकडा
विष्णुदास नामा उभा घेउनी काकडा ६॥
द्वार खुल गए हैं और हमें आपके दर्शन का धन प्राप्त हुआ है
विष्णुदास, नामदेव आरती के लिए काकडा लेकर खड़े हैं


शिर्डी साई बाबा की सुबह की आरतियों मे यहाँ पांचवी आरती है
पंचारती के कुछ शब्दों के अर्थ
पंचारती का अर्थ - पाँच बातियों की ज्योति वाली आरती
रखुमाधाव - राकुमाई के पति यानि विट्ठल
रमाधव - रुकमनी के पति यानि कृष्ण


५। पंचारती (अभंग)
श्री कृष्ण जोगिस्वर भीष्म इस आरती के रचनाकार
घेउनिया पंचारती। करू बाबांसी आरती।
करू साईसी आरती करू बाबांसी आरती
पंचारती लेक्रर हम बाबाकी आरती करें
श्री साईं की आरती करें, बाबा की आरती करें
उठा उठा हो बांधव ओवाळृ हा रखुमाधव।
साई रमाधव। ओवाळृ हा रखुमाधव
है बंधुओं उठो उठो , रखुमाधवकी आरती करें
श्री साई रमाधव की आरती करें। साई जो रखुमाधव हैं, उनकी आरती करें।
करुनिया स्थीर मन पाहू गंभीर हे ध्यान।
साइचे है ध्यान। पाहू गंभीर हे ध्यान
अपने मन को स्थिर करते हुए हम श्री साई के गम्भिर ध्यानस्थ रूप को निरखें।
श्री साई के ध्यानमग्न रूप का दर्शन करें। उनके गंभीर ध्यान को निहारें।
कृष्णनाथा दत्तसाई जडो चित तुझे पायी
चित देवा पायी। जडो चित तुझे पायी
है कृष्णनाथ दत्तसाई, हमारा ये मन आपके चरणों में स्थीर हो।
है साई देव, हमारा चित्त आपके चरणों मे लीन हो। आपके चरणों में हमारा चित्त स्थिर हो।

 

यहाँ साई बाबा की छठी आरती है चिम्न्माया रूप जोगेश्वर भिस्म्हा रचित
चिन्मय रूप (काकड़ रूप)
श्री कु. जा. भीष्म रचित
काकड आरती करितो साईनाथ देवा
चिन्मयरूप दाखवी घेउनी बालक-लघुसेवा
है साईनाथ देव, मे (प्रातः बेला) काकाड़ आरती करता हूँ। मुज बालक की अल्प-सेवा को स्वीकार करिये और अपने चिन्मय रूप का दर्शन दीजिये।
काम क्रोध मद मत्सर आटुनी काकडा केला।
वैराग्याचे तूप घालुनी मी तो भिजविला।।
मेने काम, क्रोध, लोभ और इर्ष्या को मरोड़कर (काकड़) बतियाँ बनायी है और वैराग्या रुपी घी में उन्हें भिगोया है।

साइनाथ गुरुभक्तिज्वलने तो मी पेटविला
तदवृत्ति जालुनी गुरुने प्रकाश पाडिला।
द्वैत-तमा नासूनी मिळवी तत्स्वरूपी जीवा॥
चि. का...
इनको मेने श्री साइनाथ के प्रति गुरुभक्ति की अग्नि से प्रज्वलित किया है। मेरी दुष्प्रवृतियों को जलाकर हे गुरु, आपने मुझे आत्म प्रकाशित किया है। हे साई, आप द्वैतवृति के अन्धकार को नष्ट कर मेरे जीव को अपने स्वरुप में विलीन कर लीजिये। अपना चिन्मय रूप...
भू-खेचर व्यापूनी अवधे ह्र्त्कमली राहसी।
तोचि दत्तदेव तू शिर्डी राहुनी पावसी॥
समस्त पृथ्वी-आकाश में व्याप्त आप सभी प्राणियो के ह्रदय में वास करते हैं। आप ही दत गुरुदेव हैं, जो शिर्डी में वास करके हमें धन्य करते हैं।
राहुनी येथे अन्यत्रही तू भक्तांस्तव धावसी।
निरसुनिया संकटा दासा अनुभव दाविसी।
कळे त्वल्लीलाही कोण्या देवा वा मनवा॥
चि. का...
यहाँ (शिर्डी में) होते हुए आप अपने भक्तों के लिए कही भी दौड़ते हैं। भक्तों के संकटों का निवारण करके अपनी अनुभूति देते हैं तो देवता और नही मनुष्य, आप की इस लीला को समज सके हैं।
त्वधय्शदुंदुभीने सारे अंबर हे कोंदले।
सगुण मूर्ति पाहण्या आतुर जन शिर्डी आले।।
आपके यश की दुंदूभी से सारा आकाश और समस्त दिशाएँ गुंजायमान हैं आप के दिव्य सगुण रूप के दर्शन के लिए आतुर लोग शिर्डी आये हैं।
प्राशुनी त्वद्व्चनामृत अमुचे देहभान हरपले।
सोडुनिया दुरभिमान मानस त्वच्चरणी वाहिले।
कृपा करुनिया साईमाऊले दास पदरी ध्यावा
चि. का...
वे आपके वचनामृत पाकर अपनी सुध-बुध खो चुके हैं और अपना अभिमान और अंहकार छोड़ कर आपके चरणों के प्रति समर्पित हैं। है साई माँ, कृपा करके अपने इस दास को अपने आँचल की छाँव मे ले लीजिये।

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बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.