शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Thursday 31 December 2009

आओ साईं - ॐ सांई राम - Have a promising and fulfilling new year.



ॐ सांई राम




New is the year, new are the hopes and the aspirations, new is the resolution, new are the spirits and forever my warm wishes are for you.


Have a promising and fulfilling new year.



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Tuesday 29 December 2009

ShirdiKeSaiBaba Group wishes you a Happy New Year

ॐ सांई राम











Nav varsh main BABA Hum sabko apney
Shree Charan Kamalon mein sthan dete huye
Safalta or Swasathya ka Dan dein.

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Thursday 3 December 2009


ॐ सांई राम



कष्टों की काली छाया दुखदायी है, जीवन में घोर उदासी लाई है ।
संकट को टालो सांई दुहाई है, तेरे सिवा ना कोई सहाई है ।
मेरे मन तेरी मूरत समाई है, हर पल हर क्षण महिमा गाई है ।
घर मेरे कष्टों की आँधी आई है, आपने क्यों मेरी सुध भुलाई है ।
तुम भोले नाथ हो दया निधान हो, तुम हनुमान हो महा बलवान हो ।
तुम्ही हो राम और तुम्ही श्याम हो, सारे जगत में तुम सबसे महान हो ।
तुम्ही महाकाली तुम्ही माँ शारदे, करता हूँ प्रार्थना भव से तार दो ।
तुम्ही मुहम्मद हो गरीब नवाज हो, नानक की वाणी में ईसा के साथ हो ।
तुम्ही दिगम्बर तुम्ही कबीर हो, हो बुद्घ तुम्ही और महावीर हो ।
सारे जगत का तुम्ही आधार हो, निराकार भी और साकार हो ।
करता हूँ वन्दना प्रेम विश्वास से, सुनो सांई अल्लाह के वास्ते ।
अधरों में मेरे नहीं मुस्कान है, घर मेरा बनने लगा श्मशान है ।
रहम नजर करो उजड़े विरान पे, जिन्दगी संवरेगी इस वरदान से ।
पापों की धूप से तन लगा हारने, आपका ये दास लगा पुकारने ।
आपने सदा लाज बचाई है, देर ना हो जाये मन शंकाई है ।
धीरे-धीरे धीरज ही खोता है, मन में बसा विश्वास ही रोता है ।
मेरी कल्पना साकार कर दो, सूनी जिन्दगी में रंग भर दो ।
ढ़ोते-ढ़ोते पापों का भार जिन्दगी से, मैं हार गया जिन्दगी से ।
नाथ अवगुण अब तो बिसारो, कष्टों की लहर से आके उबारो ।
करता हूँ पाप मैं पापों की खान हूँ, ज्ञानी तुम ज्ञानेश्वर मैं अज्ञान हूँ ।
करता हूँ पग-पग पर पापों की भूल मैं, तार दो जीवन ये चरणों की धूल से ।
तुमने उजाड़ा हुआ घर बसाया, पानी से दीपक तुमने जलाया ।
तुमने ही शिरड़ी को धाम बनाया, छोटे से गाँव में स्वर्ग सजाया ।
कष्ट पाप श्राप उतारो, प्रेम दया दृष्टि से निहारो ।
आपका दास हूँ ऐसे ना टालिये, गिरने लगा हूँ सांई सम्भालिये ।
सांई जी बालक मैं अनाथ हूँ, तेरे भरोसे रहता दिन-रात हूँ ।
जैसा भी हूँ, हूँ तो आपका, कीजै निवारण मेरे संताप का ।
तू है सवेरा और मैं रात हूँ, मेल नहीं कोई फिर भी साथ हूँ ।
सांई मुझसे मुख ना मोड़ो, बीच मझदार अकेला ना छोड़ो ।
आपके चरणों में बसे प्राण है, तेरे वचन मेरे गुरु समान है ।
आपकी राहों पे चलता दास है, खुशी नहीं कोई जीवन उदास है ।
आंसू की धारा है डूबता किनारा, जिन्दगी में दर्द, नहीं गुजारा ।
लगाया चमन तो फूल खिलाओ, फूल खिले है तो खुशबू भी लाओ ।
कर दो इशारा तो बात बन जाए, जो किस्मत में नहीं वो मिल जाये ।
बीता जमाना ये गाकें फसाना, सरहदें जिन्दगी मौत तराना ।
देर तो हो गयी है अंधेर ना हो, फिक्र मिले लेकिन फरेब न हो ।
देके टालो या दामन बचा लो, हिलने लगी रहनुमाई सम्भालो ।
तेरे दम पे अल्लाह की शान है, सूफी संतों का ये बयान है ।
गरीब की झोली में भर दो खजाना, जमाने के वाली करो ना बहाना ।
दर के भिखारी है मोहताज है हम, शहंशाहे आलम करो कुछ करम ।
तेरे खजाने में अल्लाह की रहमत, तुम सदगुरु सांई हो समरथ ।
आए तो धरती पे देने सहारा, करने लगे क्यों हमसे किनारा ।
जब तक ये ब्रहमांड रहेगा, सांई तेरा नाम रहेगा ।
चाँद सितारे तुम्हें पुकारेंगें, जन्मोजन्म हम रास्ता निहारेंगें ।
आत्मा बदलेगी चोले हजार, हम मिलते रहेंगे हर बार ।
आपके कदमों में बैठे रहेंगे, दुखड़े दिल के कहते रहेंगे ।
आपकी मरजी है दो या ना दो, हम तो कहेंगे दामन ही भर दो ।
तुम हो दाता हम है भिखारी, सुनते नहीं क्यों अरज हमारी ।
अच्छा चलो इक बात बता दो, क्या नहीं तुम्हारे पास बता दो ।
जो नहीं देना है इन्कार कर दो, खत्म ये आपस की तकरार कर दो ।
लौट के खाली चला जाऊँगा, फिर भी गुण तो गाऊँगा ।
जब तक काया है तब तक माया है, इसी में दुःखों का मूल समाया है ।
सब कुछ जान के अनजान हूँ मैं, अल्लाह की तू शान तेरी हूँ शान में ।
तेरा करम सदा सबपे रहेगा, ये चक्र युग-युग चलता रहेगा ।
जो प्राणी गायेगा सांई तेरो नाम, उसको मिले मुक्ति पहुँचे परमधाम ।
ये मंत्र जो प्राणी नित दिन गायेंगें, राहू, केतु, शनि निकट ना आएँगे ।
टल जाएंगें संकट सारे, घर में वास करें सुख सारे ।
जो श्रद्घा से करेगा पठन, उस पर देव सभी हो प्रसन्न ।
रोग समूह नष्ट हो जायेंगें, कष्ट निवारण मन्त्र जो गाएँगें ।
चिन्ता हरेगा निवारण जाप, पल में हो दूर हो सब पाप ।
जो ये पुस्तक नित दिन बांचे, लक्ष्मी जी घर उसके सदा बिराजै ।
ज्ञान बुद्घि प्राणी वो पायेगा, कष्ट निवारण मंत्र जो ध्यायेगा ।
ये मन्त्र भक्तों कमाल करेगा, आई जो अनहोनी तो टाल देगा ।
भूत प्रेत भी रहेंगे दूर, इस मन्त्र में सांई शक्ति भरपूर ।
जपते रहे जो मंत्र अगर, जादू टोना भी हो बेअसर ।
इस मंत्र में सब गुण समाये, ना हो भरोसा तो आजमाएँ ।
ये मंत्र सांई वचन ही जानो, स्वयं अमल कर सत्य पहचानो ।
संशय ना लाना विश्वास जगाना, ये मंत्र सुखों का है खजाना ।
इस मंत्र में सांई का वास, सांई दया से ही लिख पाया दास ।।

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बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.