शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Monday, 6 May 2024

सृष्टि के कण-कण में भगवान समाये हैं....

सृष्टि के कण-कण में भगवान समाये हैं....


एक गांव मे एक मंदिर मे एक पुजारी था और बो बड़े नियम से भगवान की पूजा करता था और उसको या गांव वालो को कोई भी परेशानी होती थी तो बो कहता था धैर्य रखो भगवान सब ठीक कर देगा और सचमुच परेशानिया ठीक हो जाती थी .......एक बार गांव मे बहुत जोर की बाढ़ आ गयी और सब डूबने लगा तो लोग पुजारी के पास गए तो उसने कहा की धैर्य रखो सब ठीक हो जायेगा मैं भगवान की इतनी पूजा करता हूँ सब ठीक हो जायेगा ,लेकिन पानी बढ़ने लगा और गांव वाले भागने लगे और पुजारी से बोले की अब तो पानी मंदिर मे भी आने लगा हें आप भी निकल चलो यहाँ से लेकिन पुजारी ने फिर बही कहा की मैं इतनी पूजा करता हूँ तो मेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा तुम लोग जाओ मैं नहीं जाऊँगा.....फिर कुछ दिनों मे पानी और बढ़ा और मंदिर मे घुस गया तो पुजारी मंदिर पर चढ गया ...फिर उधर से एक नाव आई और उसमे कुछ बुजुर्ग लोगो ने पुजारी से कहा की सब लोग भाग गए हें और यह आखिरी नाव हें आप भी आ जाओ इसमें क्योकि पानी और बढ़ेगा ऐसा सरकार का कहना हें नहीं तो आप डूब जाओगे तो पुजारी ने फिर कहा की मेरा कुछ नहीं होगा क्योकि मैने इतनी पूजा करी हें जिंदगी भर तो भगवान मेरी मदद करेगे और फिर बो नाव भी चली गयी ......कुछ दिनों मे और पानी और बढ़ा तो पुजारी मंदिर मे सबसे ऊपर लटक गया और पानी जब उसकी नाक तक आ गया तो बो त्रिशूल पर लटक गया और भगवान की प्रार्थना करने लगा की भगवान बचाओ मैने आपकी बहुत पूजा की हें तो कुछ देर मे एक सेना का हेलिकॉप्टर आ गया और उसमे से सैनिको ने लटक कर हाथ बढ़ाया और कहा की हाथ पकड़ लो किन्तु फिर बो पुजारी उनसे बोला की मैने जिंदगी भर भगवान की पूजा करी हें मेरा कुछ नहीं होगा और उसने किसी तरह हाथ नहीं पकड़ा और परेशान होकर सैनिक चले गए ...फिर थोड़ी देर मे पानी और बढ़ा और उसकी नाक मे घुस गया और पुजारी मर गया.......


मरने के बाद पुजारी स्वर्ग मे गया और जैसे ही उसे भगवान जी दिखे तो बो चिल्लाने लगा की जिंदगी भर मैने इतनी इमानदारी से आप लोगो की पूजा करी फिर भी आप लोगो ने मेरी मदद नहीं की ...तो भगवान जी बोले की अरे पुजारी जी जब पहली बार जो लोग आप से चलने को कह रहे थे तो बो कौन था अरे बो मैं ही तो था ...फिर नाव मे जो बुजुर्ग आप से चलने को कह रहे थे बो कौन था वो मैं ही तो था और फिर बाद मे हेलिकॉप्टर मे जो सैनिक आप को हाथ दे कर कह रहा था बो कौन था बो मैं ही तो था किन्तु आप मुंझे उस रूप मे पहचान ही नहीं पाए तो मैं क्या करू ..... अरे मैं जब किसी मनुष्य की मदद करूँगा तो मनुष्य के रूप मे ही तो करूँगा चाहे वो रूप डॉक्टर का हो या गुरु का हो या किसी अच्छे इंसान का या माँ , बाप भाई या बहन का या दोस्त का लेकिन उस रूप मे आप लोग मुंझे पहचान ही नहीं पाते हो तो मैं क्या करू ..... मेरी बाणी को पहचानने के लिए ध्यान बहुत जरूरी हें और योग भी तभी इंसान मेरी बाणी को इंसान मे भी पहचान जायेगा क्योकि सच्चे आदमियो मे मेरी ही बाणी होती हें

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बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.