शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

************************************

निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

************************************

Sunday, 19 May 2024

रामायण के प्रमुख पात्र - माता कौसल्या

रामायण के प्रमुख पात्र - माता कौसल्या


महारानी कौसल्या का चरित्र अत्यन्त उदार है| ये महाराज दशरथ की सबसे बड़ी रानी थीं| पूर्व जन्म में महराज मनु के साथ इन्होंने उनकी पत्नी रूप में कठोर तपस्या कर के श्रीराम को पुत्र रूप में प्राप्त करने का वरदान प्राप्त किया था| इस जन्म में इनको कौसल्या रूप में भगवान् श्रीराम की जननी होने का सौभाग्य मिला था|


श्री कौसल्या जी का मुख्य चरित्र रामायण के अयोध्या काण्ड से प्रारम्भ होता है| भगवान् श्रीराम का राज्याभिषेक होने वाला है| नगर भर में उत्सव की तैयारियाँ हो रही हैं| माता कौसल्या के आनन्द का पार नहीं है | वे श्रीराम की मंगल-कामना से अनेक प्रकार के यज्ञ, दान, देवपूजन और उपवास में संलग्न हैं| श्रीराम को सिहांसन पर आसीन देखने की लालसा से इनका रोम-रोम पुलकित है| परन्तु श्रीराम तो कुछ दूसरी ही लीला करना चाहते हैं | सत्य प्रेमी महाराज दशरथ कैकेयी के साथ वचनबद्ध होकर श्रीराम को वनवास देने के लिये बाध्य हो जाते हैं|


प्रात:काल भगवान् श्रीराम माता कैकेयी और पिता महाराज दशरथ से मिलकर वन जाने का निश्चय कर लेते हैं और माता कौसल्या का आदेश प्राप्त करने के लिये उनके महल में पधारते हैं| श्रीराम को देखकर माता कौसल्या उनके पास आती हैं| इनके हृदय में वात्सल्य-रस की बाढ़ आ जाती है और मुँह से आशीर्वाद की वर्षा होने लगती है| ये श्रीराम का हाथ पकड़कर उनको उन्हें शिशु की भाँति अपनी गोदमें बैठा लेती हैं और कहने लगती हैं - 'श्रीराम! राज्याभिषेक में अभी विलम्ब होगा| इतनी देर तक कैसे भूखे रहोगे, दो-चार मधुर फल ही खा लो|' भगवान् श्रीराम ने कहा - 'माता! पिताजी ने मुझको चौदह वर्षों के लिये वन का राज्य दिया है, जहाँ मेरा सब प्रकार से कल्याण ही होगा| तुम भी प्रसन्नचित्त होकर मुझको वन जाने की आज्ञा दे दो| चौदह साल तक वन में निवास कर मैं पिताजी के वचनों का पालन करूँगा, पुन: तुम्हारे श्रीचरणों का दर्शन करूँगा|'


श्रीराम के ये वचन माता कौसल्या के हृदय में शूल की भाँति बिंध गये| उन्हें अपार क्लेश हुआ| वे मूर्च्छित होकर धरती पर गिर गयीं, उनके विषाद की कोई सीमा न रही| फिर वे सँभलकर उठीं और बोलीं - 'श्रीराम! यदि तुम्हारे पिता का ही आदेश हो तो तुम माता को बड़ी जानकार वन में न जाओ! किन्तु यदि इसमें छोटी माता कैकयी की भी इच्छा हो तो मैं तुम्हारे धर्म-पालन में बाधा नहीं बनूँगी| जाओ! कानन का राज्य तुम्हारे लिये सैकड़ों अयोध्या के राज्य से भी सुखप्रद हो|' पुत्र वियोग में माता कौसल्य का हृदय दग्ध हो रहा है, फिर भी कर्त्तव्य को सर्वोपरि मानकर तथा अपने हृदय पर पत्थर रखकर वे पुत्र को वन जाने की आज्ञा दे देती हैं| सीता-लक्ष्मण के साथ श्रीराम वन चले गये| महाराज दशरथ कौसल्या के भवन में चले आये| कौसल्या जी ने महराज को धैर्य बँधाया, किन्तु उनका वियोग-दुःख कम नहीं हुआ| उन्होंने राम-राम कहते हुए अपने नश्वर शरीर को त्याग दिया| कौसल्या जी ने पतिमरण, पुत्रवियोग-जैसे असह्य दुःख केवल श्रीराम-दर्शन की लालसा में सहे| चौदह साल के कठिन वियोग के बाद श्रीराम आये| कौसल्याजी को अपने धर्मपालन का फल मिला| अन्त में ये श्रीराम के साथ ही साकेत गयीं|

For Donation

For donation of Fund/ Food/ Clothes (New/ Used), for needy people specially leprosy patients' society and for the marriage of orphan girls, as they are totally depended on us.

For Donations, Our bank Details are as follows :

A/c - Title -Shirdi Ke Sai Baba Group

A/c. No - 200003513754 / IFSC - INDB0000036

IndusInd Bank Ltd, N - 10 / 11, Sec - 18, Noida - 201301,

Gautam Budh Nagar, Uttar Pradesh. INDIA.

बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.