शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

************************************

निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

************************************

Sunday 20 August 2023

रामायण के प्रमुख पात्र - श्रीभरत

रामायण के प्रमुख पात्र - श्रीभरत

श्रीभरतजी का चरित्र समुद्र की भाँति अगाध है, बुद्धि की सीमा से परे है| लोक-आदर्श का ऐसा अद्भुत सम्मिश्रण अन्यत्र मिलना कठिन है| भ्रातृप्रेम की तो ये सजीव मूर्ति थे|

ननिहाल से अयोध्या लौटने पर जब इन्हें माता से अपने पिता के सर्वगवास का समाचार मिलता है, तब ये शोक से व्याकुल होकर कहते हैं - 'मैंने तो सोचा था कि पिता जी श्रीराम का अभिषेक कर के यज्ञ की दीक्षा लेंगे, किन्तु मैं कितना बड़ा अभागा हूँ कि वे मुझे बड़े भइया श्रीराम को सौंपे बिना स्वर्ग सिधार गये| अब श्रीराम ही मेरे पिता और बड़े भाई हैं, जिनका मैं परम प्रिय दास हूँ| उन्हें मेरे आने की शीघ्र सुचना दें| मैं उनके चरणों में प्रणाम करूँगा| अब वे ही मेरे एकमात्र आश्रय हैं|'

जब कैकयी ने श्रीभरतजी को श्रीराम-वनवास की बात बतायी, तब वे महान् दुःखसे संतप्त हो गये| इन्होंने कैकेयी से कहा - 'मैं समझता हूँ, लोभ के वशीभूत होने के कारण तू अब तक यह न जान सकी कि मेरा श्रीरामचन्द्र के साथ भाव कैसा है| इसी कारण तूने राज्य के लिये इतना बड़ा अनर्थ कर डाला| मुझे जन्म देने से अच्छा तो यह था कि तू बाँझ ही होती| कम-से-कम मेरे-जैसे कुल कलंक का तो जन्म नहीं होता| यह वर माँगने से पहले तेरी जीभ कटकर गिरी क्यों नहीं!'

इस प्रकार कैकेयी को नाना प्रकार से बुरा-भला कहकर श्रीभरत जी कौसल्याजी के पास गये और उन्हें सान्त्वना दी| इन्होंने गुरु वसिष्ठ की आज्ञा से पिता कि अंत्येष्टि क्रिया सम्मपन्न की| सबके बार-बार आग्रह के बाद भी इन्होंने राज्य लेना अस्वीकार कर दिया और दल-बल के साथ श्रीराम को मनाने के लिये चित्रकूट चल दिये| श्रृंगवेरपुर में पहुँचकर इन्होंने निषादराज को देखकर रथ का परित्याग कर दिया और श्रीराम सखा गुह से बड़े प्रेम से मिले| प्रयाग में अपने आश्रम पर पहुँचने पर श्रीभरद्वाज इनका स्वागत करते हुए कहते हैं - 'भरत! सभी साधनों का परम फल श्रीसीता राम का दर्शन है और उसका भी विशेष फल तुम्हारा दर्शन है| आज तुम्हें अपने बीच उपस्थित पाकर हमारे साथ तीर्थराज प्रयाग भी धन्य हो गये|'

श्रीभरतजी को दल-बल के साथ चित्रकूट में आता देखकर श्रीलक्ष्मण को इनकी नीयत पर शंका होती है| उस समय श्रीराम ने उनका समाधान करते हुए कहा - 'लक्ष्मण! भरत पर सन्देह करना व्यर्थ है| भरत के समान शीलवान् भाई इस संसार में मिलना दुर्लभ है| अयोध्या के राज्य की तो बात ही क्या ब्रह्मा, विष्णु और महेश का भी पद प्राप्त कर के श्रीभरत को मद नहीं हो सकता|' चित्रकुट में भगवान् श्रीराम से मिलकर पहले श्रीभरत जी उनसे अयोध्या लौटने का आग्रह करते हैं, किन्तु जब देखते हैं कि उनकी रुचि कुछ और है तो भगवान् की चरण-पादुका लेकर अयोध्या लौट आते हैं| नन्दिग्राम में तपस्वी-जीवन बिताते हुए ये श्रीराम के आगमन की चौदह वर्ष तक प्रतीक्षा करते हैं| भगवान् को इनकी दशा का अनुमान है| वे वनवास की अवधि समाप्त होते ही एक क्षण भी विलम्ब किये बिना अयोध्या पहुँचकर इनके विरह को शान्त करते हैं| श्रीराम भक्ति और आदर्श भ्रातप्रेम के अनुपम उदाहरण श्रीभरत जी धन्य हैं|

For Donation

For donation of Fund/ Food/ Clothes (New/ Used), for needy people specially leprosy patients' society and for the marriage of orphan girls, as they are totally depended on us.

For Donations, Our bank Details are as follows :

A/c - Title -Shirdi Ke Sai Baba Group

A/c. No - 200003513754 / IFSC - INDB0000036

IndusInd Bank Ltd, N - 10 / 11, Sec - 18, Noida - 201301,

Gautam Budh Nagar, Uttar Pradesh. INDIA.

बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.