ॐ सांई राम
साँईं नाम सुखदायी
मंगते बन तेरे दर ते आये
जिव्हा तेरी महिमा गाये
इक तेरा साँचा नाम साँई
रूह मेरी गद गद कर जाये
रूल्दे रहे असी मिट्टी विच्च
तू बन के साडे बाग दा माली आया
इक तू ही तारणहार है साँईंया
तेरे दर ते हर इक सवाली आया
सीने विच्च इक हूक ऊठी
कोयल वरगी कूक उठी
धड़कन धक धक करन लगी
साँईं नाल मिलन दी आस लगी
हुण जख्म वी नासूर बन गए
असी तेरिया अखाँ दे नूर बन गए
नाम वी नईयों जानदा सी कोई साडा
इक तेरे नाम दे सहारे मशहूर बन गए
मस्ता दी मस्ती चढ़ी ते सरूर आया
शिर्डी तो आप चल के मेरा हुजूर आया
ओ वसदा है हर दिल दी धड़कन विच
जो वेख नहीं सकदे उन्हा दी अखाँ च नूर आया
कैसे गाऊँ गुण मैं साँई जी तेरे
मैं अवगुण किये पाप बहुतेरे
करम की बरसात कर दे बाबा
मन का मनका कोई भी ना फेरे
मैं दासों का दास हूँ
करू साँईं चरणों में अरदास
खुशियाँ बरसे झोली में
यह संदेशा जावे जिसके पास
दर दर भटका नाम की खातिर मैं
खुद में तुझको खोज रहा था मैं
जब खुद से मैं को अलग किया
आनंद साँईं का नाम ले कर जिया
दास को अपने चरणों का दास कर दो
झोली इस दासों के दास की भी भर दो
दिये पानी से आज फिर रोशन कर दो
कौड़ी मन को छू भागो जी जैसे पावन कर दो