श्री साईं लीलाएं - तात्या और म्हालसापति को बाबा का सानिध्य
तात्या कोते पाटिल और खडोबा मंदिर के पुजारी म्हालसापति दोनों ही साईं बाबा के परम भक्त थे और साईं बाबा भी दोनों से बहुत स्नेह किया करते थे| ये दोनों रात को बाबा के साथ मस्जिद में ही सोया करते थे| इस लोगों का सोने का ढंग भी बड़ा अजीब था| ये तीनों सिरों को पूर्व, पश्चिम और उत्तर दिशा की ओर करते थे और तीनों के पैर बीच में आपस में एक जगह मिले हुए होते थे| फिर इस तरह लेटे-लेटे तीनों देर रात तक बातचीत और चर्चा करते रहते थे| यदि इस बीच में किसी को नींद आने लगती तो दूसरा उसे जगा देता था| जब तात्या खर्रांटे लेने लगता तो बाबा उसे उठकर हिलाते| कभी-कभी म्हालसापति और बाबा मिलकर तात्या को अपनी तरफ खींचकर पैरों को धकेलकर पीठ थपथपा दिया करते थे| कभी उसके हाथ-पैर दबाते|यह सिलसिला चौदह साल तक चला - जब तात्या और म्हालसापति दोनों बाबा के साथ मस्जिद में सोया करते थे| लेकिन जब तात्या के पिता की मृत्यु हो गयी तब घर की जिम्मेदारी निभाने के लिए घर में रहना और सोना जरूरी हो गया|ऐसे सौभाग्यशाली थे तात्या और म्हालसापति जिन्हें बाबा के साथ शयन करने का अवसर मिला|