ॐ सांई राम
साईं नाम ज्योति कलश, है जग का आधार ।
चिंतन ज्योति पुँज का करिये बारम्बार ।।
सोते जागते साईं कह, आते जाते नाम ।
मन ही मन में साईं को, शत शत करे प्रणाम ।।
देव दनुज नर नाग पशु, पक्षी कीट पतंग ।
सब में साईं समान हैं, साईं सब के संग ।।
साईं नाम वह नाव है, उस पर हो सवार ।
साईं नाम ही एक है, करता भाव से पार ।।
मंत्रमय ही मानिये, साईं राम भगवान ।
देवालय है साईं का, साईं शब्द गुण खान ।।
साईं नाम आराधिये, भीतर भर यह भाव ।
देव दया अवतरण का धार चौगुणा चाव ।।
साईं शब्द को ध्याइये, मंत्र तारक मान ।
स्वशक्ति सत्ता जग करे, ऊपरी चक्र को यान ।।
जीवन विरथा बीत गया, किया न साधन एक ।
कृपा हो मेरे साईं की, मिले ज्ञान विवेक ।।
बाबा ने अति कृपा कीन्ही, मोहे दियो समझाई ।
अहंकार को छोड़ो भाई जो तुम चाहो भलाई ।।
चिंतन ज्योति पुँज का करिये बारम्बार ।।
सोते जागते साईं कह, आते जाते नाम ।
मन ही मन में साईं को, शत शत करे प्रणाम ।।
देव दनुज नर नाग पशु, पक्षी कीट पतंग ।
सब में साईं समान हैं, साईं सब के संग ।।
साईं नाम वह नाव है, उस पर हो सवार ।
साईं नाम ही एक है, करता भाव से पार ।।
मंत्रमय ही मानिये, साईं राम भगवान ।
देवालय है साईं का, साईं शब्द गुण खान ।।
साईं नाम आराधिये, भीतर भर यह भाव ।
देव दया अवतरण का धार चौगुणा चाव ।।
साईं शब्द को ध्याइये, मंत्र तारक मान ।
स्वशक्ति सत्ता जग करे, ऊपरी चक्र को यान ।।
जीवन विरथा बीत गया, किया न साधन एक ।
कृपा हो मेरे साईं की, मिले ज्ञान विवेक ।।
बाबा ने अति कृपा कीन्ही, मोहे दियो समझाई ।
अहंकार को छोड़ो भाई जो तुम चाहो भलाई ।।
ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं