ॐ सांई राम
जब साँई को बुलाते है साँई दौड़े चले आते है
मै तेर भक्त हुँ साँई तु मेरा सहारा है
ये सोच के साँई मैने तुझे पुकारा है
तेरे दर पे आके साँई हम शीश झुकाते है
जहाँ भक्त होते है वहाँ भगवान भी होते है
मन मन्दिर मे साँई मैने तुझे बसाया है
सब छोड़ दिया साँई तुझे अप्न बनाया है
मन मन्दिर बन जाये तब साँई रहने आते है
मन मन्दिर बन जाये तब साँई रहने आते है
जहाँ भक्त होते है वहाँ भगवान भी होते है
ठंडी -ठंडी फुहारे है, जो साँई के दर से आई है
मीठी-मीठी मुरादे है जो भक्तो ने पाई है
इस दर पे आ के भक्त न खाली जाते है
जहाँ भक्त होते है वहाँ भगवान भी होते है
मै मंगता हु साँई मुझे सांची लगन लगे
मेरे मन मे भी साँई तेरे प्रेम की ज्योत जगे
तेरी मस्जिद मे साँई पानि के दिये जल जाते है
जहाँ भक्त होते है वहाँ भगवान भी होते है
जब साँई को बुलाते है साँई दौड़े चले आते है
मै तेर भक्त हुँ साँई तु मेरा सहारा है
ये सोच के साँई मैने तुझे पुकारा है
तेरे दर पे आके साँई हम शीश झुकाते है
जहाँ भक्त होते है वहाँ भगवान भी होते है
आप सभी से अनुरोध है कि कृपा करके परिन्दो-चरिन्दो को भी उत्तम भोजन एवम पेय जल प्रदान करे, आखिर उनमे भी तो साई जी ही समाये है।
बाबा जी ने स्वयं इस बात की पुष्टि की है कि मुझे सभी जीवो में देखो।