ॐ सांई राम
श्री साईं वाणी (भाग 1)
नमो नमो पावन साईं, नमो नमो कृपाला गोसाई |
साईं अमृत पढ़ पावन वाणी, साईं नाम धुन सुधा समानी|
नमो नमो सन्तन प्रतिपाला, नमो नमो श्री साईं दयाला |
परम सत्य हैं परम विज्ञान, ज्योति स्वरुप साईं भगवान ||
नमो नमो साईं अविनाशी, नमो नमो घट-घट के वासी |
साईं ध्वनि है नाम उच्चारण, साईं राम सुख सिद्धि कारण ||
नमो नमो श्री आत्मा राम, नमो नमो प्रभु पूरण काम |
अमृतवाणी अमृत साईं राम, साईं राम मृद मंगल धाम ||
साईं नाम मंत्र जप जाप, साईं नाम मेटे तराई ताप |
सैधुनी में लगे समाधि, मिटे सब आधी व्याधि वुपाधि ||
साईं जाप है सरल समाधि, हरे सब आधी व्याधि वुपाधि |
रिद्धि सिद्धि और नव निधान, दाता साईं है सब सुख खान ||
साईं साईं श्री साईं हरि, मुक्ति वैराग्य का योग |
साईं साईं श्री साईं जप, दाता अमृत भोग ||
जल थल वायु तेज आकाश, साईं से पावें सब प्रकाश |
जल और पृथ्वी साईं की माया, अंतहीन अंतरिक्ष बनाया||
नेति नेति कह वेद बखाने, भेद साईं का कोई न जाने |
साईं नाम है सब रस सार, साईं नाम जग तारण हार ||
श्री साईं बाबा की कुछ वस्तुएं
श्री साईं बाबा की कुछ वस्तुएं
कमरबंध और लंगोट --- बाबा की देह हो स्नान कराने के बाद उतारा हुआ, कमरबंध और लंगोट श्री बाबा जी पिल्ले जी के पुत्र ने संभाल कर रखा हुआ है |
द्वारकामाई का सिंहासन --- काका साहेब के साले , खांडवा के पुरुषोत्तम राव ने इसे साईं नाथ को अर्पित किया था |
रथ --- इसे रेगे , अवस्थी , कोठारी ने दिया था |
पालकी --- हरदा निवासी सदुभ्य्या , छोटू भय्या और राजा भय्या ने दी थी |
घोड़ा { श्यामसुन्दर } --- एक ताँगे वाले सातार ने दिया था |
बर्तन ---भालदार व चोपदारों के चांदी के चिन्ह , चंवर , चांदी का पुराना सिंहासन , चांदी व पीतल के पूजा के बर्तन आदि राधाकृष्णमाई ने साईं भक्तों से विनती कर साईं नाथ की शोभा यात्रा व पूजा अर्चन के लिए इकट्ठे किए थे | जो काम पुरुष न कर सके , वह काम एक महिला ने कर दिखाया |
चिलम --- नारायण कुम्हार साईं नाथ को एक कच्ची चिलम दिया करता था जिसे साईं महाराज स्वयं धुनी में पका कर पक्की करते थे | उस कुम्हार को साईं महाराज इसके चार आने दिया करते थे |
कफनी का कपड़ा --- बाबा नंदू बनिये से सफेद लट्ठा ३२ हाथ लंबा लिया करते थे | उसके बदले उसे चार रूपये दिया करते थे |
कफनी की सिलाई --- कफनी को बला शिम्पी नाम का दर्ज़ी सिलकर दिया करता था | लेकिन बाबा उसे दोबारा मोटी सुई से सिया करते थे | वे कफनी की सिलाई चार रूपये दिया करते थे |
पादुका --- चूना का बाह्मणी , जो बाबा केवल लेंडी बाग़ आने - जाने के लिए इस्तेमाल किया करते थे | बाकी समय वे उसका उपयोग नहीं करते थे |
पान के बीड़े --- राधाकृष्णमाई दिन में तीन चार बार बाबा को खाने के लिए पान बना कर दिया करती थी तथा दांत में फंसे हुए कण आदि निकालने के लिए चोटी तीली भी दिया करती थी |
बाबा के स्नान का पत्थर --- ये '' चौरंग " नासिक के रामा जी ने बनवाया था | रामा जी मानसिक रूप से असवस्थ थे , बाबा जब स्नान करते तो रामा जी उनके शरीर से छूकर गिरे हुए जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते और अपने शरीर पर मलते थे | ऐसा करने से उनकी मानसिक दशा में सुधार हुआ | बाबा को धन्यवाद करने के लिए उनहोंने यह पत्थर बनवाया था |
पलंग --- इस लकड़ी के तख़्त पर बाबा को अंतिम स्नान कराया गया | आजकल इसे चावडी की पश्चिम दीवार के साथ रखा गया है |
पान की डिब्बी --- यह डिब्बी सगुण मेरु नाईक ने अपने पास संभाल कर रखी थी |
जय साईं राम!!
ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं