ॐ सांई राम
साईं नाम की धुन में रह के
साईं की राह पे चलना
छोडो माया की नगरी को
कभी कष्ट पड़े न सहना
मन को वश में तू कर ले और
बंधन माया के तोड़ सभी
नाता साई से जोड़ के तू
भर ले अपनी खाली झोली
मोह माया से बचकर मनवा तू
अपने कर्मों को करना
छोडो माया की नगरी को
कभी कष्ट पड़े न सहना
साईं नाम की धुन में रह के
साईं की राह पे चलना
छोडो माया की नगरी को
कभी कष्ट पड़े न सहना
रख संयम मन तू मेरे सदा
जब भी तुझे कष्ट सताते हैं
तेरे कर्मों के फल हैं जो
आकर तुझको यूँ सताते हैं
सत कर्मों को अब करना तू
हर जीव की सेवा करना
छोडो माया की नगरी को
कभी कष्ट पड़े न सहना
साईं नाम की धुन में रह के
साईं की राह पे चलना
छोडो माया की नगरी को
कभी कष्ट पड़े न सहना
रख श्रद्धा साबुरी मन में सदा
साईं जी यही सिखाते हैं
सबका मालिक है एक यही
मेरे साईं जी बतलाते हैं
मन में साईं नाम को जपना और
साईं चरणों में रहना
छोडो माया की नगरी को
कभी कष्ट पड़े न सहना
साईं नाम की धुन में रह के
साईं की राह पे चलना
छोडो माया की नगरी को
कभी कष्ट पड़े न सहना
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