ॐ साँई राम
ऐसी सुबह न आए न आए ऐसी शाम
जिस दिन जुबान पे मेरी आए न साँई का नाम
जिस दिन जुबान पे मेरी आए न साँई का नाम
मन मन्दिर में वास है तेरा, तेरी छवि बसाई,
प्यासी आत्मा बनके जोगी तेरे शरण में आया
तेरे ही चरणों में पाया मैंने यह विश्राम
ऐसी सुबह न आए न आए ऐसी शाम
जिस दिन जुबान पे मेरी आए न साँँई तेरा नाम
प्यासी आत्मा बनके जोगी तेरे शरण में आया
तेरे ही चरणों में पाया मैंने यह विश्राम
ऐसी सुबह न आए न आए ऐसी शाम
जिस दिन जुबान पे मेरी आए न साँँई तेरा नाम
तेरी खोज में न जाने कितने युग मेरे बीते,
अंत में काम क्रोध सब हारे वो बोले तुम जीते
मुक्त किया प्रभु तुने मुझको, है शत शत प्रणाम
ऐसी सुबह न आए न आए ऐसी शाम
जिस दिन जुबान पे मेरी आए ना साँँई तेरा नाम
अंत में काम क्रोध सब हारे वो बोले तुम जीते
मुक्त किया प्रभु तुने मुझको, है शत शत प्रणाम
ऐसी सुबह न आए न आए ऐसी शाम
जिस दिन जुबान पे मेरी आए ना साँँई तेरा नाम
सर्वकला संपन तुम ही हो, ओ मेरे परमेश्वर
दर्शन देकर धन्य करो अब त्रिलोक्येश्वर
भवसागर से पार हो जाऊ लेकर तेरा नाम
ऐसी सुबह न आए न आए ऐसी शाम
जिस दिन जुबान पर मेरी आए ना साँई तेरा नाम......
साँई राम ... साँईं राम ...साँईं राम