साँईं की याद में मैंने,
एक दीप जला रखा है.
अपनी साँसों के तेल से,
अपनी साँसों के तेल से,
रोशन किया रखा है.
मैं तो हूँ मेजबान,
मैं तो हूँ मेजबान,
उनके रहमो करम का
उन्हें तो अपने दिल का,
उन्हें तो अपने दिल का,
मेहमान बना रखा है.
इतनी कृपा करदे ओ "साँईं"
तेरे चरणों में जीवन बिताए
हम रहे इस जगत में कही भी
हम रहे इस जगत में कही भी
तेरी चोखट को ना भूल पाए
इतने कमजोर है हम ऐ "मैया"
जोर कुछ भी चले ना हमारा
ऐसी हालत में इतना तो सोचो
ऐसी हालत में इतना तो सोचो
हमको कैसे मिलेगा किनारा
करदे ऐसा जतन ओ "साँईं"
तेरी किरपा का वरदान पाए
प्रेम बंधन में यु हमको बांधो
प्रेम बंधन में यु हमको बांधो
डोर बंधन की टूटे कभी ना
अपनी पायल का घुंघरू बना लो
दास चरणों से छूटे कभी ना
अपने चरणों से ऐसे लगालो
अपने चरणों से ऐसे लगालो
तेरे चरणों का गुणगान गाये
इतनी कृपा करदे ओ "साँईं"
तेरे चरणों में जीवन बिताए
हम रहे इस जगत में कही भी
हम रहे इस जगत में कही भी
तेरी चोखट को ना भूल पाए !
जो जन करे रक्त दान
पावे सुख शांति और मान
साईं सवारे उसका जीवन
पावे सुख शांति और मान
साईं सवारे उसका जीवन
जिसके रक्त से बच जावे जान