ॐ सांई राम
मुझे फिर किसी कि ज़रूरत नहीं है |
बिठाले अगर अपने चरणो में हर दम
किसी भी ख़ुशी कि ज़रूरत नहीं है ||
बिठाले अगर अपने चरणो में हर दम
किसी भी ख़ुशी कि ज़रूरत नहीं है ||
ये फूलों कि दुनिया, ये खारों की दुनिया
ये लालच में भटके विचारों की दुनिया |
अगर पी सकूँ साईं मस्ती का अमृत
किसी बेखुदी की ज़रूरत नहीं है ||
ये लालच में भटके विचारों की दुनिया |
अगर पी सकूँ साईं मस्ती का अमृत
किसी बेखुदी की ज़रूरत नहीं है ||
अगर हाथ राख दे मेरे सर पे साईं
दया कि है तुमने तो, हर बार कर दो
मेरी ज़िन्दगी पे ये उपकार कर दो |
अगर छोड बैठू में दामन तुम्हारा
तो इस ज़िन्दगी की ज़रूरत नहीं है ||
अगर हाथ रख दे मेरे सर पे साईं
दया कि है तुमने तो, हर बार कर दो
मेरी ज़िन्दगी पे ये उपकार कर दो |
अगर छोड बैठू में दामन तुम्हारा
तो इस ज़िन्दगी की ज़रूरत नहीं है ||
अगर हाथ रख दे मेरे सर पे साईं
पुजारी जहाँ लुट लेते है मंदिर
कभी झाकते भी नही अपने अंदर |
खुदा की ज़रूरत है ऐसी ज़मीं पर
यहाँ आदमी की ज़रूरत नहीं है ||
अगर हाथ रख दे मेरे सर पे साईं
कभी झाकते भी नही अपने अंदर |
खुदा की ज़रूरत है ऐसी ज़मीं पर
यहाँ आदमी की ज़रूरत नहीं है ||
अगर हाथ रख दे मेरे सर पे साईं
चलेंगे यहाँ से तेरे काम करके
कभी ना रहेंगे अंधेरों से डर के |
अगर साथ हो साईं बाबा का दीपक
किसी रोशनी की ज़रूरत नहीं है ||
अगर हाथ रख दे मेरे सर पे साईं
कभी ना रहेंगे अंधेरों से डर के |
अगर साथ हो साईं बाबा का दीपक
किसी रोशनी की ज़रूरत नहीं है ||
अगर हाथ रख दे मेरे सर पे साईं