ॐ सांँई राम
॥ ॐ शिरडी वासाय विधमहे सच्चिदानन्दाय धीमही
तन्नो साईं प्रचोदयात ॥
"शास्त्रों के सत्य को अनुभव करने के लिए विचार-विमर्श करने की शक्ति और मन की कल्पना-शक्ति (प्रतिभा) आवश्यक हैं I
लेकिन ज्ञान तभी प्राप्त होता है, जब इस संसार की माया का इंद्रजाल नष्ट होता है, उसके बिना यह असंभव है"।
बाबा साईं जी अपने पवित्र चरणकमल ही हमारी एकमात्र शरण रहने दो....
मेरे साथ साया है साईं का,
मेरे साथ साया है साईं का,
बस ये तसल्ली की बात है|
मैं तेरी नज़र से न गिर सका,
मैं तेरी नज़र से न गिर सका,
मुझे हर नज़र ने गिरा लिया||
तेरी रहमते बेहिसाब हैं,
तेरी रहमते बेहिसाब हैं,
करूँ किस जुबान से शुक्रिया |
मुझसे जब भी कोई खता हुई,
मुझसे जब भी कोई खता हुई,
तुने फिर गले से लगा लिया||
तेरी शान तेरे जलाल को,
तेरी शान तेरे जलाल को,
मैंने जब से दिल मैं बिठा लिया|
मैंने सब चिराग बुझा दिये,
मैंने सब चिराग बुझा दिये,
मैंने इक चिराग जला लिया||...
बाबा साईं जी अपने पवित्र चरणकमल ही हमारी एकमात्र शरण रहने दो...
ॐ साँईं राम
साँईं जी की कृपा हम सब पर बनी रहे |