ॐ साँई राम
साँई के हित दीप बनाऊं।
सत्वर माया मोह जलाऊं।
विराग प्रकाश जगमग होवें।
विराग प्रकाश जगमग होवें।
राग अन्ध वह उर का खावें॥
पावन निष्ठा का सिंहासन।
निर्मित करता प्रभु के कारण।
कृपा करें प्रभु आप पधारें।
कृपा करें प्रभु आप पधारें।
अब नैवेद्य-भक्ति स्वीकारें॥
भक्ति-नैवेद्य प्रभु तुम पाओं।
सरस-रास-रस हमें पिलाओं।
माता, मैं हूँ वत्स तिहारा।
माता, मैं हूँ वत्स तिहारा।
पाऊं तव दुग्धामृत धारा॥
मन-रूपी दक्षिणा चुकाऊं।
मन में नहीं कुछ और बसाऊं।
अहम् भाव सब करूं सम्पर्ण।
अहम् भाव सब करूं सम्पर्ण।
अन्तः रहे नाथ का दर्पण॥
बिनती नाथ पुनः दुहराऊं।
श्री चरणों में शीश नमाऊं।
साँई कलियुग ब्रह्म अवतार।
साँई कलियुग ब्रह्म अवतार।
करों प्रणाम मेरे स्वीकार॥