ॐ साँई राम
संत महान एक बाल रूप धर
इस गरीब की कुटिया में पधारे
पुत्र रत्न का चोला लिया पहन
पापी कर्म मेरे सब दिये सुधारे
रावण के पुत्र का नाम लेकर
चाँद को भी दुनिया मयंक पुकारे
सौंप कर दिये पुण्य कार्य मुझे
गाये को गुड़, चिड़ियों को दाना डारे
भूखा ना जाए दीन कोई भी घर से
प्यासा पानी पा गला तर कर डारे
अठारह वर्ष का सलोना साथ था
इतने समय में सौ जीवन जी डारे
मुख मंडल पर तेज, मन शीतल झील
दुखियों के चेहरे पर खुशियाँ निखारे
साँईं की देन, साँईं ही गोद में लीना
साँईं जी ही उसका परलोक संवारे