ॐ साँई राम
जब जब देखूं मैं तेरी आँखों में साँई,
लगता है ये कुछ तो बोल रही है,
मेरी आँखों की नमी तेरी आँखों में साँई,
लगता है राज़ ये कुछ तो खोल रही है
साँई तुझसे एक मुलाकात पर लुटा दूँ,
मैं सारी दुनिया की दौलतें,
पर ये भी तो सच है मेरे साँई,
इस मुलाकात का तो कोई मोल नहीं है,
मेरी आँखों की नमी............
जब भी साँई मैने तुझे है पुकारा,
तेरी प्रीत ने दिया है हर मोङ पर सहारा,
मेरी प्रीत को शायद लगता है साँई,
अब तेरी प्रीत भी तोल रहे है,
मेरी आँखों की नमी............
सहना पङा है तुझ को भी मेरी,
खातिर बहुत कुछ साँई,
ना छुपा पाया तूँ भी कुछ मुझ से साँई,
तेरी आँखें हर पोल खोल रही है,
मेरी आँखों की नमी............
रंग गया है लगता है तूँ भी साँई,
प्रीत क कुछ अज़ब ही रंग है,
रंग ले मुझको भी इस रंग में साँई,
तेरी "सुधा" कब से ये रंग घोल रही है