ॐ सांई राम
रहमतो का तेरी हिसाब क्या लिखुँ
तेरी लीलाओं पर किताब क्या लिखुँ
शिर्डी के शहंशाह को अपना सरताज लिखुँ
जब लिखने बैठूँ तो बेहिसाब मैं लिखुँ
कलम भी कागज पर खुद चलती हैं
जब इशारा उसे तेरे नाम का मिलता है
उनके मुकद्दर चमक जाते हैं मेरे बाबा जी
सहारा जिन्हें आपके चरणों में मिलता है