|| ॐ श्री साई नाथाय नमः ||
गुरु और ईश्वर का बहुत गहरा सम्बन्ध है.......
वेदों में गुरु को ईश्वर से अधिक पुजनिये माना है, गुरु की महिमा अपार है वो सदेव अपने शिष्य के लिए चिंतित रहता है, उसे सर्व गुण सम्पन बनाने का पर्यतन करता है, ईश्वर की प्राप्ति भी गुरु द्वारा सम्भव हो सकती है |
इसलिए गुरु को अधिक पुजनिये समझा गया है जो हमे दिशा हीन होने से बचाता रहता है |
परन्तु गुरु से भी बढकर जो है वो सदगुरु है |
परन्तु गुरु से भी बढकर जो है वो सदगुरु है |
गुरु और सदगुरु में बहुत अन्तर है.....
गुरु को हमेशा अपने शिष्य से कोई न कोई अपेक्षा रहती है,वो कभी भी समय आने पर अपने दिए हुए ज्ञान की गुरु दक्षिणा मांग लेते है परन्तु सदगुरु वो होता जो सदेव देता है कभी दक्षिणा की लालसा नही रखता
गुरु तो बहुत से मिल जाते है परन्तु सदगुरु तो एक ही है वो है .....
साई बाबा जिन्होंने कभी अपने शिष्यो से कुछ नही माँगा सिर्फ़ दिया ही है....
गुरु को हमेशा अपने शिष्य से कोई न कोई अपेक्षा रहती है,वो कभी भी समय आने पर अपने दिए हुए ज्ञान की गुरु दक्षिणा मांग लेते है परन्तु सदगुरु वो होता जो सदेव देता है कभी दक्षिणा की लालसा नही रखता
गुरु तो बहुत से मिल जाते है परन्तु सदगुरु तो एक ही है वो है .....
साई बाबा जिन्होंने कभी अपने शिष्यो से कुछ नही माँगा सिर्फ़ दिया ही है....
|| ॐ श्री साई नाथाय नमः ||