ॐ सांई राम
प्यार ना सीखा, नफरत करना सीख लिया.....
हमने जीवन यापन करना सीखा, ज़िन्दगी जीना नहीं | अपने जीवन में हम साल-दर-साल जोड़ते गए, पर इस दौरान ज़िन्दगी कही खो गयी | हम चाँद पर टहलकदमी कर के वापस आ गए लेकिन सामने वाले घर में आये नए पडौसी से मिलने कि फुर्सत हमें नहीं मिली | हम सौरमंडल के पार जाने कि सोंच रहे है, पर आभामंडल का हमें कुछ पता नहीं | हम बड़ी बातें करते है, बेहतर बातें नहीं | हम वायु को स्वच्छ करना चाहते है, पर आत्मा को मलिन कर रहे है | हमने परमाणु तो जीत लिया, पूर्वग्रह से हार गए | हमने लिखा बहुत, सीखा कम | योजनाये बनायी बड़ी-बड़ी, काम कुच्छ किया नहीं | आपाधापी में लगे रहे, सब्र करना भूल गए | कंप्यूटर बनाए ऐसे जो काम करे हमारे लिए, लेकिन उन्होंने हमसे हमारे दोस्त छीन लिए |
क्या ज़माना आ गया है | आप इसे एक क्लिक से पढ़ सकते है, दूसरी क्लिक से किसी ओर को पढ़ा सकते है, तीसरी क्लिक से डिलीट भी कर सकते है|
मेरी बात माने :-
* उनके साथ वक़्त गुज़ारे जिन्हें आप प्यार करते है, क्योंकि कोई भी किसी के साथ हमेशा नहीं रहता | याद रखे,
* उस बच्चे से भी बहुत मिठास से बोले जो अभी आप कि बात नहीं समझता - एक न एक दिन तो उसे बड़े हो कर आपसे बात करनी ही है |
* दुसरो को प्रेम से गले लगाये, आखिर इसमें भी कोई पैसा लगता है क्या?
* 'मैं तुमसे प्यार करता हूँ' यह सिर्फ कहे नहीं, साबित भी करें |
* प्यार के दो मीठे बोल पुराणी कडवाहट ओर रिसतेज़ख्मो पर भी मरहम का काम करते है |
* हाथ थामें रखे - उस वक़्त को जी ले| याद रखे, गया वक़्त लौटकर नहीं आता |
* स्वयं को समय दे - भक्ति ओर पूजा - पाठ को समय दे |
* ज़िन्दगी को साँसों से नहीं नापिए बल्कि उन लम्हों को कैद करिए जो हमारी साँसों को चुरा ले जाते है |