श्री गुरु तेग बहादर जी-जीवन परिचय
ॐ साँई राम जी
श्री गुरु तेग बहादर जी-जीवन परिचय
प्रकाश उत्सव (जन्म की तारीख): अमृतसर में 1 अप्रैल 1621 (पंजाब)Parkash Ustav (Birth date): April 1, 1621 at Amritsar (Punjab)
पिता: गुरु हरगोबिंद जी
Father: Guru Hargobind ji
माँ: माता Nanaki जी
Mother: Mata Nanaki ji
सहोदर: बाबा गुरदित्ता, बाबा वीरो, बाबा सूरजमल, बाबा अनी राय, बाबा अटल राय
Sibling: Baba Gurditta, Baba Viro, Baba Suraj Mal, Baba Ani Rai, Baba Atal Raiमहल (पति या पत्नी): करतारपुर जिला के माता गुज़री जी, पुत्री श्री लाल चंद जी, जालंधर.
Mahal (spouse): Mata Gujri ji D/o Lal Chand of Kartarpur Distt. Jullandhar.साहिबज़ादे (वंश): गोबिंद राय जी
Sahibzaday (offspring): Gobind Rai jiज्योति ज्योत (स्वर्ग करने के उदगम): चांदनी चौक, दिल्ली में 11 नवंबर 1675
Joti Jyot (ascension to heaven): November 11, 1675 at Chandini Chowk, Delhi
गुरु मंगल
दोहरा|| हिंदू धरम तरु मूल को राखयो धरनि मझार||
तेग बहादर सतिगुरु त्रिण समान तन डारि||१||
श्री गुरु तेग बहादर जी का जन्म श्री गुरु हरि गोबिंद जी के घर माता नानकी जी की पवित्र कोख से रविवार वैसाख वदी पंचमी संवत 1678 विक्रमी को अमृतसर में हुआ| आप जी का विवाह गुजरी जी से जो कि श्री लाल चंद सुभिखी क्षत्रि की सुपुत्री से 15 असूज संवत 1689 विक्रमी को करतारपुर में हुआ|
माता गुजरी जी की पवित्र कोख से पटने शहर में पोष सुदी सप्तमी रविवार असूज संवत 1723 विक्रमी को सवा पहर रात रहती श्री (गुरु) गोबिंद सिंह जी ने अवतार धरण किया|
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बाबा के 11 वचन
ॐ साईं राम
1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य
.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥
Word Meaning of the Gayatri Mantra
ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe
these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation
धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"
dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God
भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।
Simply :
तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।
The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.