शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Saturday, 6 February 2021

श्री गुरु अर्जन देव जी - साखियाँ - मन की शांति का साधन

 ॐ साँई राम जी


श्री गुरु अर्जन देव जी - साखियाँ

मन की शांति का साधन


एक दिन सुल्तान्पुत के निवासी कालू, चाऊ, गोइंद, घीऊ, मूला, धारो, हेमा, छजू, निहाला, रामू, तुलसा, साईं, आकुल, दामोदर, भागमल, भाना, बुधू छीम्बा, बिखा और टोडा भाग मिलकर गुरु अर्जन देव जी के पास आए| उन्होंने आकर प्रार्थना की कि महाराज! हम रोज सवेरे उठकर स्नान करके गुरबानी का पाठ करने के बाद ही अपनी कृत करते हैं| मन को संयम में रखते हैं| संयम में रखने के बाद भी मन में कलहे ही रहती है| गुरु जी कृपा करके ऐसा उपदेश दो जिससे कलह समाप्त हो और मन को शांति मिले| 

गुरु जी ने उनकी बात सुनी और कहने लगे कि जब तक मन से रजो गुण और तमो गुण का त्याग ना किया जाए तब तक मन को शांति नहीं मिल सकती| इसलिए इनका त्याग जरूरी है| आगे से सिख पूछने लगे महाराज! इस गुणों की परीक्षा किस प्रकार की जा सकती है| 

गुरु जी फरमाने लगे हिंसा (जीव हत्या) और क्रोध तमो गुण में आते हैं| लोभ और अभिमान यह रजो गुण में आते हैं| इसलिए इनका त्याग जरूरी है| 

तमो गुण के लक्षण- 

· रात का बासी, खट्टा और चटपटा भोजन खाना

· बहुत अधिक सोना

· झूठ बोलना

· गन्दा रहना

· परायी निन्दा करनी

· बुरी संगत करनी


रजो गुण के लक्षण-

· भड़कीले वस्त्र पहनना

· मांस का सेवन करना

· अपना बडप्पन चाहाना


शांति गुण के लक्षण-

· उज्जवल सफ़ेद वस्त्र पहनने 

· स्नान आदि में नियमित होना

· चावल दाल आदि स्वच्छ भोजन करना

· थोड़ा सोना व थोड़ा खाना

· एक मन होकर कथा कीर्तन सुनना


राजसी गुण के लक्षण-

· जिसका कभी मन टिके और कभी न टिके व राजसी गुण की निशानियाँ हैं|


तामसिक गुण के लक्षण-

· जिसका मन कभी टिके ही न, शब्द वाणी की समझ भी कोई न आए उसे तामसिक गुण वाला समझे|


अन्त में गुरु जी कहने लगे जब आप इन शांति वाले गुणों को अपनाओगे तो आपको शांति अपने आप ही प्राप्त हो जायेगी|

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बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.