शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Tuesday, 29 September 2020

श्री साईं लीलाएं - ऊदी के चमत्कार से पुत्र-प्राप्ति

ॐ सांई राम


कल हमने पढ़ा था.. कुत्ते की पूँछ

श्री साईं लीलाएं

ऊदी के चमत्कार से पुत्र-प्राप्ति


शिरडी के पास के गांव में लक्ष्मीबाई नाम की एक स्त्री रहा करती थी| नि:संतान होने के कारण वह रात-दिन दु:खी रहा करती थी| जब उसको साईं बाबा के चमत्कारों के विषय में पता चला तो वह द्वारिकामाई मस्जिद में आकर वह साईं बाबा के चरणों पर गिरने ही वाली थी कि साईं बाबा ने तुरंत उसे कंधों से थाम लिया और बोले- "मां, यह क्या करती हो ?"

लक्ष्मी बुरी तरह से रोने लगी|



साईं बाबा बोले - "माँ, रोने की जरा भी जरूरत नहीं है| अब तुम यहां आ गई हो तो भगवान तुम्हारे दुःख अवश्य ही दूर करेंगे|"

लक्ष्मी ने दोनों हाथों से अपने आँसू पोंछे और बोली - "साईं बाबा ! मेरा दुःख तो आप जानते ही हैं|"

"हां, माँ ! मुझे सब पता है|"

"तो तब मेरा दुःख दूर करो न बाबा !" - वह रुंधे स्वर में बोली|

"अवश्य दूर होगा, ईश्वर पर भरोसा रखो|"

फिर साईं बाबा ने अपनी धूनी में से भभूति उठाकर उसे दी और बोले - "चुटकीभर इसे खा लेना और चुटकीभर अपने पति को खिला देना| तुम्हारी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी|"

लक्ष्मीबाई ने पूर्ण श्रद्धा के साथ बाबा की दी हुई भभूति अपने आँचल के एक छोर में बांध ली और बाबा का गुणगान करती वापस अपने गांव आ गयी| साईं बाबा के कहे अनुसार एक चुटकी भभूति पति को खिलाने के बाद दूसरी चुटकी भभूति उसने स्वयं खा ली| उसे साईं बाबा पर पूरी श्रद्धा और विश्वास था|

सही समय पर वह गर्भवती हो गयी| उसकी खुशी की कोई सीमा न रही| वह सारे गांव में हर समय साईं बाबा का गुणगान करती घूमती-फिरती थी|

उसके गांव का प्रधान दादू साईं बाबा का कट्टर विरोधी था| वह साईं बाबा को भ्रष्ट मानता था| साईं बाबा भ्रष्ट आदमी है| वह हिन्दू है, न मुसलमान| ऐसा आदमी भ्रष्ट माना जाता है| लक्ष्मी द्वारा गांव में बाबा का गुणगान करते फिरना उसे बहुत बुरा लगा|

उसने लक्ष्मी को बुलाकर डांटा - "तू साईं बाबा का नाम लेकर उसका प्रचार करती क्यों फिरती है ?"

"साईं बाबा बहुत पहुंचे हुए महापुरुष हैं|"

"तेरा दिमाग खराब हो गया है|" प्रधान गुस्से से आगबबूला हो गया|

उसने लक्ष्मी को बहुत बुरी तरह से डांटा और धमकाया और आगे से फिर कभी साईं बाबा का नाम न लेने का आदेश सुना दिया| पर वह भला कहां मानने वाली थी, उसने साईं बाबा का गुणगान पहले की तरह करना जारी रखा| इस पर गांव-प्रधान और बुरी तरह से जल-भुन गया| उसने लक्ष्मी को सबक सिखाने की सोची|

लक्ष्मी गर्भवती है| यदि किसी तरह से इसका गर्भ नष्ट कर दिया जाये, तो वह पागल हो जायेगी और साईं बाबा का गुणगान करना बंद कर देगी| अपने मन में ऐसा विचार कर प्रधान ने लक्ष्मीबाई को गर्भपात की अचूक दवा दे दी| उसने यह चाल इस प्रकार चली कि लक्ष्मीबाई को इस बारे में जरा-सा भी संदेह न हुआ|

जब दवा ने अपना असर दिखाना शुरू किया तो लक्ष्मी बुरी तरह से घबरा गयी|

"हे भगवान् ! यह क्या हो गया ? साईं बाबा ने मुझे यह किस अपराध की सजा दी है, अथवा मुझसे ऐसी क्या भूल हो गयी है जिसका दण्ड साईं बाबा मुझे इस प्रकार दे रहे हैं ?"

वह तुरंत शिरडी की ओर भागी|

गिरते-पड़ते हुए वह शिरडी आयी| द्वारिकामाई मस्जिद आकर वह साईं बाबा के सामने बुरी तरह से विलाप करने लगी| साईं बाबा मौन बैठे रहे| लक्ष्मी बिलख-बिलख कर अपनी भूल-चूक के लिए क्षमा मांगने लगी| साईं बाबा ने उसे एक चुटकी भभूति देकर कहा - "इसे खा ले| जा भाग यहां से, सब ठीक हो जायेगा| चिंता मत कर|"

लक्ष्मी ने तुरंत साईं बाबा की आज्ञा का पालन किया| भभूति खाते ही उसका रक्तस्त्राव बंद हो गया| ठीक इसी समय प्रधान की हालात मरणासन्न हो गयी| वह मुंह से खून फेंकने लगा| उसे अत्यंत घबराहट होने लगी| वह समझ गया कि यह सब साईं बाबा का ही चमत्कार है|"

उसे अपनी गलती का अहसास हो गया|

वह भागकर शिरडी पहुंचा और साईं बाबा के चरणों में गिरकर अपनी गलती के लिए क्षमा याचना करने लगा| बाबा ने उसे क्षमा कर दिया| वह ठीक हो गया|

लक्ष्मीबाई ने सही समय पर एक बच्चे को जन्म दिया| उसकी मनोकामना पूरी हो गयी| प्रधान ने भी खुशियां मनायीं और वह साईं बाबा की जय-जयकार करने लगा|

लक्ष्मीबाई अपना पुत्र लेकर साईं बाबा के पास आयी और उसे साईं बाबा के चरणों में डाल दिया| साईं बाबा ने उसे आशीर्वाद दिया|

अब साईं बाबा की जय-जयकार दूर-दूर तक गूंजने लगी थी| उनका नाम और प्रसिद्धि फैलती जा रही थी| उनके भक्तों की संख्या में भी निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही थी| लोग बड़ी दूर-दूर से उनके दर्शन करने के लिए आने लगे थे|


शिरडी के पास के गांव में लक्ष्मीबाई नाम की एक स्त्री रहा करती थी| नि:संतान होने के कारण वह रात-दिन दु:खी रहा करती थी| जब उसको साईं बाबा के चमत्कारों के विषय में पता चला तो वह द्वारिकामाई मस्जिद में आकर वह साईं बाबा के चरणों पर गिरने ही वाली थी कि साईं बाबा ने तुरंत उसे कंधों से थाम लिया और बोले- "मां, यह क्या करती हो ?"

लक्ष्मी बुरी तरह से रोने लगी|

साईं बाबा बोले - "माँ, रोने की जरा भी जरूरत नहीं है| अब तुम यहां आ गई हो तो भगवान तुम्हारे दुःख अवश्य ही दूर करेंगे|"

लक्ष्मी ने दोनों हाथों से अपने आँसू पोंछे और बोली - "साईं बाबा ! मेरा दुःख तो आप जानते ही हैं|"

"हां, माँ ! मुझे सब पता है|"

"तो तब मेरा दुःख दूर करो न बाबा !" - वह रुंधे स्वर में बोली|

"अवश्य दूर होगा, ईश्वर पर भरोसा रखो|"

फिर साईं बाबा ने अपनी धूनी में से भभूति उठाकर उसे दी और बोले - "चुटकीभर इसे खा लेना और चुटकीभर अपने पति को खिला देना| तुम्हारी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी|"

लक्ष्मीबाई ने पूर्ण श्रद्धा के साथ बाबा की दी हुई भभूति अपने आँचल के एक छोर में बांध ली और बाबा का गुणगान करती वापस अपने गांव आ गयी| साईं बाबा के कहे अनुसार एक चुटकी भभूति पति को खिलाने के बाद दूसरी चुटकी भभूति उसने स्वयं खा ली| उसे साईं बाबा पर पूरी श्रद्धा और विश्वास था|

सही समय पर वह गर्भवती हो गयी| उसकी खुशी की कोई सीमा न रही| वह सारे गांव में हर समय साईं बाबा का गुणगान करती घूमती-फिरती थी|

उसके गांव का प्रधान दादू साईं बाबा का कट्टर विरोधी था| वह साईं बाबा को भ्रष्ट मानता था| साईं बाबा भ्रष्ट आदमी है| वह हिन्दू है, न मुसलमान| ऐसा आदमी भ्रष्ट माना जाता है| लक्ष्मी द्वारा गांव में बाबा का गुणगान करते फिरना उसे बहुत बुरा लगा|

उसने लक्ष्मी को बुलाकर डांटा - "तू साईं बाबा का नाम लेकर उसका प्रचार करती क्यों फिरती है ?"

"साईं बाबा बहुत पहुंचे हुए महापुरुष हैं|"

"तेरा दिमाग खराब हो गया है|" प्रधान गुस्से से आगबबूला हो गया|

उसने लक्ष्मी को बहुत बुरी तरह से डांटा और धमकाया और आगे से फिर कभी साईं बाबा का नाम न लेने का आदेश सुना दिया| पर वह भला कहां मानने वाली थी, उसने साईं बाबा का गुणगान पहले की तरह करना जारी रखा| इस पर गांव-प्रधान और बुरी तरह से जल-भुन गया| उसने लक्ष्मी को सबक सिखाने की सोची|

लक्ष्मी गर्भवती है| यदि किसी तरह से इसका गर्भ नष्ट कर दिया जाये, तो वह पागल हो जायेगी और साईं बाबा का गुणगान करना बंद कर देगी| अपने मन में ऐसा विचार कर प्रधान ने लक्ष्मीबाई को गर्भपात की अचूक दवा दे दी| उसने यह चाल इस प्रकार चली कि लक्ष्मीबाई को इस बारे में जरा-सा भी संदेह न हुआ|

जब दवा ने अपना असर दिखाना शुरू किया तो लक्ष्मी बुरी तरह से घबरा गयी|

"हे भगवान् ! यह क्या हो गया ? साईं बाबा ने मुझे यह किस अपराध की सजा दी है, अथवा मुझसे ऐसी क्या भूल हो गयी है जिसका दण्ड साईं बाबा मुझे इस प्रकार दे रहे हैं ?"

वह तुरंत शिरडी की ओर भागी|

गिरते-पड़ते हुए वह शिरडी आयी| द्वारिकामाई मस्जिद आकर वह साईं बाबा के सामने बुरी तरह से विलाप करने लगी| साईं बाबा मौन बैठे रहे| लक्ष्मी बिलख-बिलख कर अपनी भूल-चूक के लिए क्षमा मांगने लगी| साईं बाबा ने उसे एक चुटकी भभूति देकर कहा - "इसे खा ले| जा भाग यहां से, सब ठीक हो जायेगा| चिंता मत कर|"

लक्ष्मी ने तुरंत साईं बाबा की आज्ञा का पालन किया| भभूति खाते ही उसका रक्तस्त्राव बंद हो गया| ठीक इसी समय प्रधान की हालात मरणासन्न हो गयी| वह मुंह से खून फेंकने लगा| उसे अत्यंत घबराहट होने लगी| वह समझ गया कि यह सब साईं बाबा का ही चमत्कार है|"

उसे अपनी गलती का अहसास हो गया|

वह भागकर शिरडी पहुंचा और साईं बाबा के चरणों में गिरकर अपनी गलती के लिए क्षमा याचना करने लगा| बाबा ने उसे क्षमा कर दिया| वह ठीक हो गया|

लक्ष्मीबाई ने सही समय पर एक बच्चे को जन्म दिया| उसकी मनोकामना पूरी हो गयी| प्रधान ने भी खुशियां मनायीं और वह साईं बाबा की जय-जयकार करने लगा|

लक्ष्मीबाई अपना पुत्र लेकर साईं बाबा के पास आयी और उसे साईं बाबा के चरणों में डाल दिया| साईं बाबा ने उसे आशीर्वाद दिया|

अब साईं बाबा की जय-जयकार दूर-दूर तक गूंजने लगी थी| उनका नाम और प्रसिद्धि फैलती जा रही थी| उनके भक्तों की संख्या में भी निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही थी| लोग बड़ी दूर-दूर से उनके दर्शन करने के लिए आने लगे थे|

कल चर्चा करेंगे..संकटहरण श्री साईं

==ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ==
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें । 

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Gautam Budh Nagar, Uttar Pradesh. INDIA.

बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.