ॐ सांई राम
साईं जब से मै तेरा दीवाना हुआ
मुझको जीने का ऐसा सबब मिल गया
साईं जब से मै तेरा दीवाना हुआ
मुझको जीने का ऐसा सबब मिल गया
ना मै काशी गया ना मै काबा गया
ना मै काशी गया ना मै काबा गया
घर बैठे ही मुझको तो रब मिल गया
ना मै काशी गया ना मै काबा गया
घर बैठे ही मुझको तो रब मिल गया
साईं जब से मै तेरा दीवाना हुआ
जब से बैठा हूँ साईं तेरी नाँव मे
जब से बैठा हूँ साईं तेरी नाँव मे
तुझको देखूं सदा नीम की छाँव मे
तुझको देखूं सदा नीम की छाँव मे
द्वारका माई मे मेरा मन जब रमा
द्वारका माई मे मेरा मन जब रमा
हर मुसीबत मे मुझको सबर मिल गया
द्वारका माई मे मेरा मन जब रमा
हर मुसीबत मे मुझको सबर मिल गया
साईं जब से मै तेरा दीवाना हुआ
दीप श्रद्धा का जल जाये मन में अगर
दीप श्रद्धा का जल जाये
दीप श्रद्धा का जल जाये मन में अगर
आसां होती ही जाये है उसकी डगर
मै तो दर दर पे यूँ ही भटकता रहा
तेरे दर पे मुझे तो खुदा मिल गया
मै तो दर दर पे यूँ ही भटकता रहा
तेरे दर पे मुझे तो खुदा मिल गया
साईं जब से मै तेरा दीवाना हुआ
जिसका संगी न साथी कोई भी हुआ
उसका मालिक मेरा साईं बाबा हुआ
मैंने जब भी पुकारा है साईं तुझे
मुझको तेरा सहारा तभी मिल गया
मैंने जब भी पुकारा है साईं तुझे
मुझको तेरा सहारा तभी मिल गया
ना मै काशी गया ना मै काबा गया
घर बैठे ही मुझको तो रब मिल गया
साईं जब से मै तेरा दीवाना हुआ