शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Saturday 16 May 2020

​​आस्था और भगवान - कड़ी : 02

​​आस्था और भगवान
जितने भी देवी-देवताओं के पोस्ट आप सभी के साथ सांझा करते हैं, उन सभी देवी-देवताओं की विस्तृत जानकारी और उनके मंदिर के विषय में अधिक महत्वपूर्ण ज्ञान आप सभी तक पहुंचाएं।

किंतु इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आप यदि हमारे द्वारा दी गई जानकारी को पढ़ेंगे नहीं तो आप हमारे पोस्ट को समझ भी नहीं पायेंगे।

इस सप्ताह हम रविवार के स्थान पर आप सभी को हमारी इस पेशकश की दूसरी कड़ी विषेश रूप से शनिवार को प्रस्तुत कर रहे हैं, वजह आप खुद ही समझ जायेंगे।के तीर्थ स्थल पर जानकारी सांझा कर रहे हैं।

शनि शिंगणापुर मंदिर की कहानी

एक ऐसे गांव की कहानी जो केवल शनि देव के भरोसे चलता है

आस्था और भगवान
क्या आप आस्था में विश्वास करते हैं? यदि हां तो आप शायद महाराष्ट्र के इस गांव के लोगों की भावनाओं को समझ सकें। एक ऐसा गांव जो केवल भगवान भरोसे चलता है। एक ऐसा गांव जो सुख एवं दुख का मालिक भगवान को ही मानता है। इस गांव के वासियों के लिए भगवान की महिमा से बढ़कर और कुछ नहीं है।
शिंगणापुर गांव
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित है शिंगणापुर गांव, जिसे शनि शिंगणापुर के नाम से जाना जाता है। यह गांव हिन्दू धर्म के विख्यात शनि देव की वजह से प्रसिद्ध है, क्योंकि इस गांव में शनि देव का चमत्कारी मंदिर स्थित है। जी हां, चमत्कारी.... यह शब्द हम इस गांव में हो रहे चमत्कारों को देखते हुए ही इस्तेमाल कर रहे हैं।
महाराष्ट्र में है स्थित
यदि कभी मौका मिले तो आप महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य के इस छोटे से गांव में जाकर तो देखिए। यह गांव शिरडी से अधिक दूर नहीं है। मैं स्वयं इस गांव में गई हूं... गांव की ओर जाता हुआ रास्ता काफी अच्छा और साफ है। रास्ते में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर गन्ने का रस मिलता है। कुल मिलाकर गांव तक पहुंचने का सफर काफी अच्छा होता है।
हैरान करने वाली जगह
लेकिन गांव में पहुंचते ही जो नज़ारा आप देखेंगे वह आपके आंखों को अच्छे-से खोलकर रख देगा। आपको शायद यकीन ना हो लेकिन इस गांव के किसी भी घर या दुकान में दरवाज़ा नहीं है। जी हां... बीते कुछ समय में यह गांव अपनी इसी खासियत से देश-दुनिया में काफी मशहूर हुआ था।
शनि देव की कृपा
शनि देव उसे ऐसे जाल में फंसा देते हैं कि वह चोरी की गई वस्तु को गांव से बाहर ले जाने में असमर्थ हो जाता है। गांव वालों के मुताबिक यह महज कहानी नहीं है बल्कि सत्य है, क्योंकि कुछ चोरों ने इस बात को कुबूल किया है कि वे चोरी करने के बाद गांव के बाहर नहीं जा सके, बस रास्ता भटकते रहे।
लोगों को नहीं है किसी का भय
यही कारण है कि खुद को सुरक्षित महसूस करने वाले गांव के वासी ना तो अपने घरों में कोई दरवाज़ा लगाते हैं और ना ही अपनी महंगी वस्तुओं को ताला लगाकर बंद करते हैं। क्योंकि उन्हें भगवान शनि पर विश्वास है कि उनकी कोई भी वस्तु चोरी नहीं होगी।
गांव की कहानी
चलिए अब आपको वह कहानी सुनाते हैं जिसके चलते शिंगणापुर गांव में शनि देव की इतनी महिमा बढ़ गई। कहते हैं एक बार इस गांव में काफी बाढ़ आ गई, पानी इतना बढ़ गया कि सब डूबने लगा। लोगों का कहना है कि उस भयंकर बाढ़ के दौरान कोई दैवीय ताकत पानी में बह रही थी। जब पानी का स्तर कुछ कम हुआ तो एक व्यक्ति ने पेड़ की झाड़ पर एक बड़ा सा पत्थर देखा।
गांव वालों को मिला एक पत्थर
ऐसा अजीबोगरीब पत्थर उसने आज तक नहीं देखा था, तो लालचवश उसने उस पत्थर को बीचे उतारा और उसे तोड़ने के लिए जैसे ही उसमें कोई नुकीली वस्तु मारी उस पत्थर में से खून बहने लगा। यह देखकर वह वहां से भाग खड़ा हुआ और गांव वापस लौटकर उसने सब लोगों को यह बात बताई।
चमत्कारी पत्थर
सभी दोबारा उस स्थान पर पहुंचे जहां वह पत्थर रखा था, सभी उसे देख भौचक्के रह गए। लेकिन उनकी समझ में यह नहीं आ रहा था कि आखिरकार इस चमत्कारी पत्थर का क्या करें। इसलिए अंतत: उन्होंने गांव वापस लौटकर अगले दिन फिर आने का फैसला किया।
शनि देव प्रकट हुए
उसी रात गांव के एक शख्स के सपने में भगवान शनि आए और बोले मैं शनि देव हूं, जो पत्थर तुम्हें आज मिला उसे अपने गांव में लाओ और मुझे स्थापित करो। अगली सुबह होते ही उस शख्स ने गांव वालों को सारी बात बताई, जिसके बाद सभी उस पत्थर को उठाने के लिए वापस उसी जगह लौटे।
कहा मुझे स्थापित करो
बहुत से लोगों ने प्रयास किया, किंतु वह पत्थर अपनी जगह से एक इंच भी ना हिला। काफी देर तक कोशिश करने के बाद गांव वालों ने यह विचार बनाया कि वापस लौट चलते हैं और कल पत्थर को उठाने के एक नए तरीके के साथ आएंगे।
शनि देव शख्स के स्वप्न में आए
उस रात फिर से शनि देव उस शख्स के स्वप्न में आए और उसे यह बता गए कि वह पत्थर कैसे उठाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि मैं उस स्थान से तभी हिलूंगा जब मुझे उठाने वाले लोग सगे मामा-भांजा के रिश्ते के होंगे। तभी से यह मान्यता है कि इस मंदिर में यदि मामा-भांजा दर्शन करने जाएं तो अधिक फायदा होता है।
कैसे उठाएं पत्थर
इसके बाद पत्थर को उठाकर एक बड़े से मैदान में सूर्य की रोशनी के तले स्थापित किया गया। आज शिंगाणपुर गांव के शनि शिंगाणपुर मंदिर में यदि आप जाएं तो प्रवेश करने के बाद कुछ आगे चलकर ही आपको खुला मैदान दिखाई देगा। उस जगह के बीचो-बीच स्थापित हैं शनि देव जी।​​
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मंदिर की महिमा
यहां जाने वाले आस्थावान लोग केसरी रंग के वस्त्र पहनकर ही जाते हैं। कहते हैं मंदिर में कथित तौर पर कोई पुजारी नहीं है, भक्त प्रवेश करके शनि देव जी के दर्शन करके सीधा मंदिर से बाहर निकल जाते हैं।
लोगों का विश्वास
रोज़ाना शनि देव जी की स्थापित मूरत पर सरसों के तेल से अभिषेक किया जाता है। मंदिर में आने वाले भक्त अपनी इच्छानुसार यहां तेल का चढ़ावा भी देते हैं।
अवश्य जाएं

तो आप शनि शिंगणापुर जाने का प्लान कब बना रहे है? मेरा दावा है कि यहां जाकर आप निराश नहीं होंगे। यह मंदिर वाकई चमत्कारों से भरा है और शिंगणापुर गांव का दृश्य भी जीवन में एक बार देखने लायक तो जरूर है।

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Gautam Budh Nagar, Uttar Pradesh. INDIA.

बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.