ॐ सांँई राम जी
अजब तेरी सूरत देखी
गजब तेरी मूरत देखी
जब से साँई तुझे देखा
लगता है जैसे जन्नत देखी
एक तेरे मुखड़े की सादगी
लाती है दिल मे दिवानगी
कोई और सनम अब कैसे भाये
जिसे साँई के दर पनाह मिल जाये
तेरा था बस तेरा ही रहूँगा
दिल का हाल किस से कहूँगा
तू ही है पिता तू ही है माई
तू ही राम तू ही है कन्हाई
मेरे अंग संग आप सहाई
मेरे सदगुरू साँई साँई साँई
ना दुखी रहे कोई छाये खुशी की बहार
हर जन को मिल जाये साँई तेरा प्यार
ना भूख ना प्यास का रहे कोई भय
हर तरफ सब जग दिखे साँई मय
कृपा की आदत तुम्हारी
हौसला बढ़ाती है हमारी
बस एक मुस्कान तुम्हारी
जान निकाल देती है हमारी
वाह रे जादूगर देखी तेरी जादूगरी
ना गम हमारा ना खुशी रही हमारी
एक आह भी ना निकली हमारे मुख से
और तूने पल में विपदा हर ली हमारी
ना बंसी और ना ही धनुष उठाया
हर पीड़ा का हल तूने उदी बनाया
राम रहमान की बोली मिलीजुली
तुमने हर मजहब को नेक बताया
खून के रंग और पानी की प्यास का
दे कर वास्ता नया पाठ सिखलाया
अनोखी बानगी ने हमे दिवाना बनाया
सारा जग साँई रंग मे रंगा हुआ पाया