ॐ सांई राम
चिन्ता से भरा दिल साँईं को दे दे
तुझे दोनों जहां का सुख-चैन मिलेगा
चिन्ता से भरा दिल साँईं को दे दे.....
कभी दिन उजियारा कभी रैन अंधेरी
कभी मन हरियाली कभी झोली खाली
वो सब कुछ जाने कब क्या देना है
हर पग पे करेगा तेरी रखवाली
तू पकड़ के रखियो विशवास कि डोरी
वो जहां मिला था फिर वहीं मिलेगा
चिन्ता से भरा दिल साँईं को दे दे.....
स्वीकार किया है हमें साँईं ने जब से
ख़ुद को पहचाना जग को पहचाना
मुश्किल से मिली है सदगुरू कि चौखट
मुश्किल से मिला है हमें एक ठिकाना
लगता है सभी हम किस्मत के धनी हैं
अब एसी जगह से कहो कौन हिलेगा
चिन्ता से भरा दिल साँईं को दे दे.....
हो सकता है इक दिन तुम्हे नींद आ जाये
तुम रोम-रोम को ज़रा बोल के रखना
बंद भी हो जाएं जग के दरवाज़े
तुम मन की खिड़की सदा खोल के रखना
किस रात में साँईं कब चुपके-चुपके
अपने भक्तों से ख़ुद आन मिलेगा
चिन्ता से भरा दिल साँईं को दे दे...
तुझे दोनों जहां का सुख-चैन मिलेगा
फिर पतझड़ में भी तेरी बगिया में
साँईं रहमत का ही फूल खिलेगा
चिन्ता से भरा दिल साँईं को दे दे...
कभी दिन उजियारा कभी रैन अंधेरी
कभी मन हरियाली कभी झोली खाली
वो सब कुछ जाने कब क्या देना है
हर पग पे करेगा तेरी रखवाली
तू पकड़ के रखियो विशवास कि डोरी
वो जहां मिला था फिर वहीं मिलेगा
चिन्ता से भरा दिल साँईं को दे दे.....
स्वीकार किया है हमें साँईं ने जब से
ख़ुद को पहचाना जग को पहचाना
मुश्किल से मिली है सदगुरू कि चौखट
मुश्किल से मिला है हमें एक ठिकाना
लगता है सभी हम किस्मत के धनी हैं
अब एसी जगह से कहो कौन हिलेगा
चिन्ता से भरा दिल साँईं को दे दे.....
हो सकता है इक दिन तुम्हे नींद आ जाये
तुम रोम-रोम को ज़रा बोल के रखना
बंद भी हो जाएं जग के दरवाज़े
तुम मन की खिड़की सदा खोल के रखना
किस रात में साँईं कब चुपके-चुपके
अपने भक्तों से ख़ुद आन मिलेगा
चिन्ता से भरा दिल साँईं को दे दे...
तुझे दोनों जहां का सुख-चैन मिलेगा
फिर पतझड़ में भी तेरी बगिया में
साँईं रहमत का ही फूल खिलेगा
चिन्ता से भरा दिल साँईं को दे दे...
॥ ॐ शिरडी वासाय विधमहे सच्चिदानन्दाय धीमही तन्नो साईं प्रचोदयात ॥