ॐ साँई राम जी
थोड़ी फुरसत गर मिले तो साईं मेरे घर आना
रूबरू होंगी मेरी बातें साईं सुनकर जाना
तेरी आने की लगायी है उम्मीदें कब से
मेरे हालात पे हँसता है ये सारा ज़माना
थोड़ी फुरसत गर मिले तो साईं मेरे घर आना
रूबरू होंगी मेरी बातें साईं सुनकर जाना
तेरे साये में ही रहने को ये दिल कहता है
अपने चरणों में बिठा लो अब मुकर ना जाना
थोड़ी फुरसत गर मिले तो साईं मेरे घर आना
रूबरू होंगी मेरी बातें साईं सुनकर जाना
क्या गुनाह कर दिया ऐसा की साईं तू आया ना
'शम्मा' के होठों पे है आखिरी ग़म दक फ़साना
थोड़ी फुरसत गर मिले तो साईं मेरे घर आना
रूबरू होंगी मेरी बातें साईं सुनकर जाना