श्री साईं लीलाएं - संकटमोचक साईं बाबा
कल हमने पढ़ा था.. डॉक्टर द्वारा साईं बाबा की पूजा
श्री साईं लीलाएं
संकटमोचक साईं बाबा
एक दिन संध्या के समय अचानक तूफान आया| आसमान काले बादलों से घिर गया, बिजली बड़े जोर-शोर से कड़क रही थी| वायु भी पूरी प्रचंडता के साथ बह रही थी और तभी मूसलाधार बारिश भी शुरू हो गयी| चारों तरफ पानी-ही-पानी हो गया| फसलें भीग गयीं| सुखी घास बह गयी| पालतू जानवर इधर-उधर भागने लगे| गांव वाले भी भयाक्रांत हो उठे| सब लोग मस्जिद में इकट्ठे हो गये और उन्होंने बचाव के लिए बाबा से प्रार्थना की|साईं बाबा के दिल में लोगों के प्रति दया आ गई| बाबा उठकर मस्जिद के बाहर आकर आसमान की ओर देखते हुए जोर-जोर से गरजने लगे| बाबा की आवाज चारों तरफ गूंज उठी| मस्जिद और मंदिर कांप उठे तथा लोगों ने कानों में अंगुलियां डाल लीं| वहां उपस्थित सभ ग्रामवासी बाबा का यह अनोखा स्वरूप देखते ही रह गये|
बस थोड़ी ही देर में वर्षा का जोर धीमा हो गया, हवा की गति भी थम-सी गयी| बादलों का कड़कना रुक गया और वे छंट गये तथा आसमान में तारों के साथ चाँद चमकने लगा| पशु-पक्षी अपने-अपने घरौंदों की ओर वापस लौटने लगे| सब लोग भी प्रसन्नतापूर्वक अपने-अपने घर रवाना हुए|बाबा अपने भक्तों से एक माँ की तरह प्यार करते थे| भक्त की पुकार सुनते ही बाबा न दौड़ हों - ऐसा कभी हुआ ही नहीं|इसी तरह एक बार दोपहर के समय मस्जिद में प्रज्जवलित रहने वाली धुनी एकाएक भड़क उठी| उसकी लपटें इतनी बढ़ गयीं कि वे ऊपरी छत तक पहुंचने लगीं| लपटों की भयानकता को देखते हुए वहां उपस्थित भक्तों को ऐसा लगा, मानो यह आग मस्जिद को जलाकर राख कर देगी| सब फिक्रमंद थे कि क्या करना चाहिए ? पानी डालकर अग्नि को शांत कर देना चाहिए| पानी डालें तो डाले भी कैसे ? बाबा से पूछने की हिम्मत किसी में भी न हुई| बाबा तो अंतर्यामी थे| बड़ी खामोशी से सब देख रहे थे| फिर कुछ देर बाद भक्तों की बढ़ती हुई बेचैनी को देखते बाबा ने हाथ में अपना सटका उठाया और धूनी के पास वाले खम्बे पर जोरदार प्रहार करते हुए बोले - "शांत हो जाओ, नीचे उतरो|" हर प्रहार के साथ अग्नि की लपटें धीमी होती चली गयीं और कुछ देर बाद वे सामान्य दिनों की तरह जलने लगीं तथा इस तरह लोगों के मन का डर भी मिट गया|
कल चर्चा करेंगे... काका आप कल जायें
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।
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बाबा के 11 वचन
ॐ साईं राम
1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य
.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥
Word Meaning of the Gayatri Mantra
ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe
these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation
धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"
dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God
भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।
Simply :
तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।
The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.