शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Friday, 7 July 2017

श्री गुरु अमर दास जी – साखियाँ - लंगड़े की टांग ठीक करनी

श्री गुरु अमर दास जी – साखियाँ - लंगड़े की टांग ठीक करनी



तलवंडी का रहने वाला एक लंगड़ा क्षत्री सिख गुरु जी के भोजन के लिए बड़ी श्रधा के साथ दही लाता था| एक दिन रास्ते में गाँव के चौधरी ने उसकी बैसाखी छीन ली और मजाक उड़ाने लगा कि रोज दुखी होकर अपने गुरु के लिए दही लेकर जाता है,तेरा गुरु तेरी टांग नहीं ठीक कर सकता?सिख ने कहा मेरा गुरु बेपरवाह हें,एक क्षण में सब कुछ ठीक कर सकता है,अगर ना चाहे तो कुछ भी नहीं| उनकी अपनी इच्छा है,वे ठीक भी कर सकते है,और नहीं भी| मैंने खुद उनको कुछ नहीं कहना|अपनी बैसाखी लेकर भगत सिख वहा से निकल पड़ा| वहा गुरु जी जी थाल रखकर प्रेमी कि प्रतीक्षा कर रहें थे| दही लेकर गुरु जी ने भोजन खाया और लेट पहुँचने का कारण भी पूछा| सिख ने सारी बात गुरु जी के आगे रख दी कि किस प्रकार रास्ते में आते हुए चौधरी ने उसकी बैसाखी छीन ली और कहा कि अगर तेरा गुरु समर्थ है तो तेरी टांग क्यों नहीं ठीक कर सकता?इतना सुनते ही गुरु जी उस सिख से कहने लगे कि शाह हुसैन के पास चला जा कि मुझे गुरु जी ने यहाँ आपके पास टांग ठीक कराने के लिए भेजा है|

गुरु जी का ऐसा वचन आते ही गुरुसिख उसी और ही चल दिया जहाँ गुरु जी ने भेजा था| शाह हुसैन जी के पास पहुंचकर सिख ने वहाँ आने का कारण बताया कि आप मेरी लंगडी टांग ठीक कर दे| हुसैन ने एकदम हाथ में मोटा डंडा उठा लिया और गुस्से से कहने लगा कि यह से भाग जा नहीं तो तेरी दूसरी टांग भी तोड़ दूँगा व लंगड़ा बना दूँगा| वह सिख डंडे कि मार से डरता हुआ जल्दी से उठकर भाग पड़ा|भागते-२ उसकी दूसरी टांग भी ठीक हो गई| तब वह पीछे मुड़कर हुसैन जी के चरणों में गिर पड़ा और धन्यवाद करने लगा| हुसैन जी कहने लगे कि करने वाले गुरु जी आप है मगर बदनामी मुझे देते है| मेरी तरफ से गुरु जी को नमस्कार करनी|गुरु जी कि ऐसी रहमत को देखकर हँसते-२ गुरसिख गुरु घर कि और चल दिया|

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बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.