शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Saturday, 10 June 2017

श्री गुरु नानक देव जी


श्री गुरु नानक देव जी
 

Parkash Ustav (Birth date) :April 15, 1469. Saturday;
at Talwandi (Nankana Sahib, Present day Pakistan)
 प्रकाश उत्सव (जन्म की तारीख): 15 अप्रैल 1469. शनिवार,
तलवंडी (ननकाना साहिब, वर्तमान  पाकिस्तान)

 Father : Mehta Kalyan Dass (Mehta Kalu)
 पिता: मेहता कल्याण दास (मेहता कालू)
Mother : Mata Tripta Ji
 माँ: माता तृप्ता जी
Sibling :Bebe Nanaki Ji (sister)
सहोदर: बेबे नानकी जी (बहन)

Mahal (spouse) : Mata Sulakhani Ji
महल (पत्नी): माता सुलखनी जी

Sahibzaday (offspring) : Baba Sri Chand Ji, Baba Lakhmi Das Ji.
साहिबज़ादे (वंश): बाबा श्री चंद जी, बाबा लखमी दास जी.

Joti Jyot (ascension to heaven) :September 7, 1539 at Sri Kartarpur Sahib (present day Pakistan)ज्योति ज्योत (स्वर्ग करने के उदगम): श्री करतारपुर साहिब (वर्तमान पाकिस्तान) में 7 सितम्बर 1539



जीवनी  

जोर जबरदस्ती और हाक्मो के अत्याचारों से दुखी सृष्टि की पुकार सुनकर अकाल पुरख ने गुरु नानक जी के रूप में जलते हुए संसार की रक्षा करने के लिए माता तृप्ताजी की कोख से महिता कालू चंद बेदी खत्री के घर राये भोये की तलवंडी (ननकाना साहिब) में कतक सुदी पूरनमाशी संवत १५२६ को सवा पहर के तड़के अवतार धारण किया|
गुरु जी (अवतार) का सृष्टि पर प्रभाव 
भाई गुरदास जी
सतिगुरु  नानक प्रगटिया मिटी धुंध जग चानण होआ ||जिउ कर सूरज निकलिआ  तारे छपे अंधेर पलोआ ||सिंघ बुके म्रिगावली भन्नी जाई न धीर धरोआ ||जिथे बाबा पैर धरे पूजा  आसण थापण सोआ ||सिध आसण सभ जगत दे नानक आदि मते जे कोआ ||घर घर अंदर धरमसाल होवै  कीरतन सदा  विसोआ ||बाबे तारे चार चके नौ खंड प्रिथमी सचा ढोआ ||गुरमुख कलि  विच परगट होआ ||
जब पंडित जी ने महिता कालू से पूछा की दाई से यह पूछो की जनम के समय बच्चे ने कैसी आवाज निकाली थीतब दौलता दाई ने बताया कि पंडित जी! मेरे हाथों से अनेकों बच्चों ने जनम लिया है,पर मैंने ऐसा बालक आज तक नहीं देखाऔर बच्चे तो रोते हुए पैदा होते है पर यह बच्चा तो हँसते हुए पैदा हुआ हैमानों दुपहर का सूरज चड़ गया हो,और पूरा घर में सुगंध फ़ैल गयी होदाई कि बातों से पंडित जी ने यह अनुभव कर लिया कि यह को ई अवतार पैदा हुआ है गुरु जी को हिंदीहिसाब पढ़ने के लिए पांधे गोपाल के पाससंस्कृत के लिए पंडित ब्रिज लाल तथा फारसी पढ़ने के लिए मुल्ला कुतबुद्दीन के पास भेजा गया |गुरु जी ने जन कल्याण व समाज सुधार के लिए चार उदासियाँ कीपहली उदासी पूरब दिशा की तरफ संवत १५५६-१५६५ तक की व दूसरी उदासी दक्षिण दिशा की और संवत १५६७-१५७१ तक कीयहीं तक गुरु जी नहीं रुकेउनकी अगली उदासी उत्तर दिशा की तरफ संवत १५७१ में प्रारम्भ हो ग ई तथा चौथी उदासी संवत १५७५ के साथ यह कल्याण यात्रा समाप्त हो गई|

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बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.